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प्रदेश में रिकॉर्ड आंकड़े की ओर डेंगू, पटना में इसके डंक से 9 वर्षीय मासूम की मौत

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Published : Oct 17, 2022, 7:54 PM IST

डेंगू

प्रदेश में डेंगू का प्रकोप बढ़ता जा रहा है. सोमवार को डेंगू से 9 वर्षीय बच्चे की इलाज के क्रम में मौत हो गई. बीते 24 घंटे में पटना में 213 नए मामले सामने आए हैं. अब डेंगू के मरीजों की संख्या बढ़कर के 3155 हो गई है. इनमें 2100 से अधिक मरीज 30 वर्ष से कम आयु वर्ग के हैं. डेंगू के मामले बढ़ने के साथ-साथ हॉस्पिटलाइजेशन की संख्या बढ़ गई है.

पटना:राजधानी पटना में डेंगू की स्थिति भयावह होती जा रही है. सोमवार को डेंगू से 9 वर्षीय बच्चे की मौत हो गई है. मृतक आरव राज लोजपा (रामविलास) के पूर्व प्रदेश प्रवक्ता कृष्ण कुमार कल्लू का बड़ा बेटा था. बीते 3 दिनों में डेंगू से 3 मासूम की मौत हुई है. रविवार को भी एनएमसीएच में डेंगू पीड़ित 4 माह की बच्ची की मौत हो गई थी. इससे पहले एनएमसीएच में ही शनिवार को नालंदा के 5 वर्षीय बच्चे की मौत हो गई थी. एनएमसीएच में ही 10 अक्टूबर को मसौढ़ी के एक 10 वर्षीय बच्चे की मौत हो गयी थी. पटना में अब तक अक्टूबर में डेंगू से 5 मौतें दर्ज की गई है, जिसमें 10 साल से कम उम्र के 4 बच्चे शामिल हैं. डेंगू से मौत के आंकड़े को देखें तो बच्चों को लेकर के काफी सतर्कता बरतने की आवश्यकता है.

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पटना में डेंगू से 9 वर्षीय मासूम की मौत.


पटना में 213 डेंगू पीड़ित मिलेः बीते 24 घंटे में प्रदेश में डेंगू के 305 नए मामले सामने आए हैं. पटना में 213 डेंगू पीड़ित मिले हैं. पटना में सबसे अधिक डेंगू का प्रभाव अजीमाबाद अंचल में देखने को मिल रहा है. उसके बाद बांकीपुर अंचल और पाटलिपुत्र अंचल है. पटना के सभी अंचलों में डेंगू का व्यापक प्रभाव है. डेंगू के बढ़ते मामले को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग कई विभागों के साथ मिलकर व्यापक पैमाने पर एंटी लार्वा डिसइनफेक्टेंट का फॉगिंग करा रहा है. जिला प्रशासन की ओर से डेंगू के मामले बढ़ने के साथ-साथ सिविल सर्जन कार्यालय में एक कंट्रोल रूम बनाया गया है, ताकि लोग फोन कर छिड़काव के लिए टीम बुला सके. यदि स्वास्थ्य संबंधी कोई परेशानी होती है तो चिकित्सीय परामर्श भी ले सकेंगे. कंट्रोल रूम का दूरभाष संख्या है 0612- 2951964 है. इसके अलावा 7739851777 नंबर पर व्हाट्सएप मैसेज भेज कर जरूरी सूचनाएं ले सकते हैं.


डेंगू के पिछले 6 वर्षों के आंकड़े

  • 2018- 1578 मरीज
  • 2019- 4905 मरीज
  • 2020- 243 मरीज
  • 2021- 353 मरीज
  • 2022- 3155(मरीज, अबतक मिले)
    अस्पताल में भर्ती मरीज.



लगभग 90 फीसदी रिपोर्ट पॉजिटिव आ रहीः विशेषज्ञों का कहना है कि यह पिछले 6 सालों के डेंगू के रिकॉर्ड को तोड़ सकता है. इन आंकड़ों पर गौर करें तो साल 2019 में ही डेंगू के पटना में अब तक के सर्वाधिक 4905 मामले मिले थे. उस वर्ष पटना जलजमाव से त्रस्त था और पटना के कई इलाके भारी बारिश हुई थी. कई दिनों तक जलजमाव की स्थिति बनी थी. उसके बाद के 2 वर्षों 2020 और 2021 में डेंगू के मामलों की संख्या नगण्य रही थी. लेकिन इस वर्ष अब तक 3155 मामले डेंगू के सामने आ गए हैं. रोजाना डेंगू के नए मामलों की संख्या पिछले दिनों के अपेक्षाकृत अधिक मिल रही है. पटना के न्यू गार्डिनर रोड अस्पताल में प्रतिदिन डेंगू के 130 से 150 की संख्या में जांच हो रही है. इनमें 105 से लेकर 120 की संख्या में डेंगू पॉजिटिव रिपोर्ट मिल रही है. अस्पताल के लैब टेक्नीशियन का कहना है कि डेंगू की जांच कराने के लिए मरीज इतने अधिक आ रहे हैं कि समय खत्म होने के बाद भी मरीजों का सैंपल कलेक्ट करना पड़ रहा है. कलेक्ट किए गए सैंपल में लगभग 90 फीसदी रिपोर्ट पॉजिटिव आ रही है.

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जानिए क्या है डेंगू मच्छर?
जिस मच्छर के काटने से डेंगू होता है, उस मच्छर का नाम मादा एडीज मच्छर है. यह दिखने में भी सामान्य मच्छर से अलग होता है और इसके शरीर पर चीते जैसी धारियां बनी होती है. यह मच्छर अक्सर रोशनी में ही काटते हैं. डेंगू के मच्छर दिन में खासकर सुबह के वक्त काटते हैं. वहीं, अगर रात में रोशनी ज्यादा है तो भी यह मच्छर काट सकते हैं. इसलिए सुबह और दिन के वक्त इन मच्छरों का ज्यादा ध्यान रखें. एडीज बहुत ऊंचाई तक नहीं उड़ पाता. इंसान के घुटने के नीचे तक ही पहुंच होती है.

डेंगू बुखार के क्या हैं लक्षण?
डेंगू बुखार में प्लेटलेट्स की संख्या घट जाती है. 1.5 लाख से 3.5 लाख के बीच रहने वाला प्लेटलेट्स यदि 20 हजार के नीचे आ जाये तो प्लेटलेट्स चढ़ाने की आवश्यकता पड़ती है. इसमें तेज बुखार के साथ हड्डियों के जोड़ों में तेज दर्द, सिर दर्द, उल्टी, मतली, आंखों में दर्द और शरीर पर लाल चकत्ते जैसे लक्षण शामिल हैं. सांस लेने में दिक्कत और थकान जैसे लक्षण दिखाई देते हैं.

डेंगू से कैसे करें बचाव:

  • अगर आपको जरा भी लगे कि आपके बुखार है तो तुंरत डॉक्टर से संपर्क करें
  • डॉक्टर की सलाह लेकर पैरासिटामोल ले सकते हैं
  • अत्याधिक गर्मी में ज्यादा देर रहने से बचें
  • हमेशा सोते समय मच्छरदानी या फिर का इस्तेमाल करें
  • बुखार 102 डिग्री फॉरेनहाइट से ज्यादा है तो शरीर पर पानी की पट्टियां रखें
  • ऐसे कपड़े पहने, जिससे शरीर का ज्यादा-से-ज्यादा हिस्सा ढका रहे
  • अपने आस पास खुला साफ पानी एकत्रित न होने दें
  • डेंगू का मच्छर गंदे पानी की बजाय साफ और ठहरे पानी में पनपता है
  • खिड़की और दरवाजों में जाली लगवाएं
  • अपने आस-पास सफाई बनाएं रखें
  • प्लेटलेट्स लगातार जांच कराते रहें
  • खाने-पीने का पूरा ध्यान रखें

क्या न करें :

  • जहां पर पानी इकट्ठा हो वहां पर बच्चों को खेलने न दें
  • ऐसे इलाकों में जाने से बचें जहां गंदगी हो
  • बेकार पड़ी चीजों में पानी न इकट्ठा होने दें

अपना सकते हैं ये घरेलू उपाय:

  • डेंगू के बुखार से राहत पाने के लिए नारियल पानी खूब पिएं
  • पपीते के पत्ते भी काफी असरदार हैं, इसका जूस पीने से प्लेटलेट्स तेजी से बढ़ते हैं
  • तुलसी के पत्तों और दो ग्राम काली मिर्च को पानी में उबालकर पीना सेहत के लिए अच्छा रहता है
  • गिलोय का आयुर्वेद में बहुत महत्व है. यह मेटाबॉलिक रेट बढ़ाने, प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत रखने और बॉडी को इंफेक्शन से बचाने में मदद करती है

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बच्चे का इम्यून सिस्टम अधिक सेंसिटिव होताः डॉ अजय कुमार ने बताया कि बच्चे का इम्यून सिस्टम अधिक सेंसिटिव होता है, इसलिए कोई भी संक्रामक बीमारियों के चपेट में जल्दी आ जाते हैं. पटना में जिस प्रकार से डेंगू फैला हुआ है बच्चों को लेकर विशेष सतर्कता बरतने की आवश्यकता है. सामान्यतः बच्चों को हाफ पैंट और हाफ स्लीव की शर्ट पेरेंट्स पहनाते हैं लेकिन अभी पेरेंट्स के लिए जरूरी है कि पटना में डेंगू की स्थिति को देखते हुए अपने बच्चों को फुल स्लीव की शर्ट और फुल पैंट पहनाएं ताकि उनके बॉडी का हिस्सा ओपन एयर में कम एक्सपोज हो. बच्चों के शरीर पर तेल का मालिश भी किया जा सकता है, जिसकी वजह से मॉस्किटो बाइट का खतरा कम हो. घर में मच्छर से बचाव के लिए जो भी प्रयास किए जा सकते हैं करें. घर के बागवान और गमलों में जहां थोड़ा बहुत पानी जमा होता है वहां किरासन तेल का समय-समय पर छिड़काव करें.

डॉ अजय कुमार.

"डेंगू के बुखार में यदि किसी को उल्टी अधिक आ रही है तो उसे फौरन नजदीकी अस्पताल में ले जाएं जहां पर डेंगू के इलाज की व्यवस्था बनी हुई है. इसमें याद ध्यान देने वाली बात है कि शरीर से अधिक कुछ निकले नहीं. अधिक दस्त हो रहा है तो भी हॉस्पिटल ले जाने की आवश्यकता है. क्योंकि इससे शरीर में पानी की काफी अधिक कमी हो जाती है और अस्पतालों में कंपलीट रेस्ट के साथ पानी चढ़ाने की व्यवस्था है"-डॉ अजय कुमार

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