बिहार

bihar

आज पिंडदानी गोदावरी से आरंभ करेंगे त्रैपाक्षिक श्राद्ध

By

Published : Sep 19, 2021, 11:18 AM IST

Gaya
Gaya ()

त्रैपाक्षिक श्राद्ध करने वाले पिंडदानी पुनपुन वेदी या फिर गया शहर के गोदावरी पिंडवेदी से कर्मकांड शुरू करेंगे. सनातन पुस्तकों के अनुसार गोदावरी पिंडवेदी का काफी महत्व है. अनादि काल से मान्यता है कि गया श्राद्ध प्रारंभ करने के पूर्व भाद्र शुक्ल चतुर्दशी को पटना स्थित पुनपुन नदी में स्नान करके पिंडदान करने के उपरांत गया आना चाहिए. पढ़ें पूरी खबर.

गया: देश के कोने-कोने से आने वाले पिंडदानी 17 दिनों का कर्मकांड पटना (Patna) जिला स्थित पुनपुन नदी या जो पुनपुन नदी नहीं जा सकेंगे, वो गया (Gaya) शहर स्थित गोदावरी सरोवर में पिंडदान (Pind Daan) करके त्रैपाक्षिक श्राद्ध कर्म की शुरूआत करेंगे. आज सुबह से कोविड महामारी के बीच पहली बार हो रहे पितृपक्ष में पिंडदानियों की संख्या काफी कम है.

ये भी पढ़ें: पितृपक्ष 2021: 20 सितंबर से मगही कुंभ की होगी शुरुआत, देश के कोने-कोने से पिंडदानी पहुंचेंगे गयाजी

दरअसल, त्रैपाक्षिक श्राद्ध करने वाले पिंडदानी पुनपुन वेदी या फिर गया शहर के गोदावरी पिंडवेदी से कर्मकांड शुरू करेंगे. सनातन पुस्तकों के अनुसार गोदावरी पिंडवेदी का काफी महत्व है. अनादि काल से मान्यता है कि गया श्राद्ध प्रारंभ करने के पूर्व भाद्र शुक्ल चतुर्दशी को पटना स्थित पुनपुन नदी में स्नान करके पिंडदान करने के उपरांत गया आना चाहिए. जो तीर्थयात्री पुनपुन नहीं जा पाते है, उनके लिए गयाधाम में ही गोदावरी सरोवर में स्नान व पिंडदान का विधान रखा गया है. इस जगह पर पिंडदान करने से 21 कुल का उद्धार होता है.

गोदावरी वेदी पर आज सुबह से दस पिंडदानी पिंडदान करने पहुंचे हैं. पूर्व पितृपक्ष की तुलना में दस प्रतिशत भी पिंडदानी गोदावरी सरोवर नहीं पहुंचे हैं. गोदावरी सरोवर के पास प्रशासनिक व्यवस्था नगण्य है. तालाब का पानी काफी गंदा है लेकिन गया नगर निगम की ओर से सीढ़ियों और पिंडदान स्थल पर सफाई की व्यवस्था की गयी है.

ये भी पढ़ें: गया जी और तिल में है गहरा संबंध, पिंडदान से लेकर प्रसाद तक में होता है उपयोग

त्रैपाक्षिक श्राद्ध कब और कहां किया जाएगा पिंडदान, जानिए

पहला दिन : फल्गु श्राद्ध

दूसरा दिन : ब्रह्मकुंड, प्रेतशिला, रामकुंड, रामशिला, कागबली

तीसरा दिन: उत्तरमानस, मोनार्क, दक्षिणमानस, सूर्यकुंड, जिहृा लोल वेदी

चौथा दिन : सरस्वती तर्पण, पंचर| धाम, मातड्गव्यापी, धर्मारण्य, बोधि दर्शन

पांचवा दिन : ब्रह्मसरोवर, कागबली, आम्रसेंचन

छठा दिन : विष्णुपद, रुद्रपद, ब्रह्मपद

सातवां दिन : कार्तिक, दक्षिणाग्नि, गार्हपस्य,

आठवां दिन: मतड्गपद, क्रॉच्छपद, इंद्रपद, अगस्त्य, कश्यप वेदी

नौवा दिन: रामगया, सीताकुंड, सौभाग्यपिटारी दान

दसवां दिन: गया सिर, गया कूप

ग्यारहवें दिन : मुंडपृष्टा, आदिगया, द्यौतपद (चांदी दान)

बारहवें दिन : भीमगया, गो प्रचार, गदालोल (स्वर्ण दान)ॉ

तेरहवें दिन: फल्गु दूध तर्पण, दीपदान (पितरों की दिवाली)

चौदहवें दिन : वैतरणी श्राद्ध, और अक्षयवट (श्राद्ध, शय्यादान)

पन्द्रहवें दिन : गायत्री घाट वेदी, आचार्य विदाई

ये भी पढ़ें: पितृपक्ष में गया में करना है पिंडदान, तो आने से पहले जान लीजिए गाइडलाइंस

ABOUT THE AUTHOR

...view details