दरभंगा:मिथिलांचल (Mithilanchal) में पारंपरिक रूप से तालाबों में मखाना की खेती (Makhana Farming) की जाती है. दरभंगा का मखाना अनुसंधान केंद्र (Makhana Research Center Darbhanga) खेतों में भी मखाना की खेती को प्रोत्साहन दे रहा है. इसके तहत मखाना अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिक किसानों को बिचड़ा और तकनीकी सहायता उपलब्ध करा रहे हैं.
ये भी पढ़ें:भारत सरकार की योजना का दिखा असर, मखाना की खेती से लाखों कमा रहे किसान
बरसात के मौसम में कम पानी में सामान्य धान-गेहूं की खेतों में तालाब विधि से कम लागत पर ज्यादा मुनाफे के साथ मखाना की खेती हो रही है. इस मखाने की क्वालिटी तालाब में उपजाए गए मखाने की तुलना में बेहतर होती है. इसी के तहत मॉनसून शुरू होने के बाद मखाने के बिचड़े खेतों में लगाए गए हैं.
मखाना को प्रोत्साहन देने की भारत सरकार की योजना के बाद किसानों की रुचि मखाना की खेती में बढ़ रही है. मखाना अनुसंधान केंद्र दरभंगा के वरीय वैज्ञानिक डॉ. बीआर जाना ने बताया कि तालाब विधि की तुलना में खेतों में मखाना की खेती ज्यादा फायदेमंद है. उन्होंने कहा कि बारिश के पानी से खेतों में मखाना की खेती की जा सकती है.