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इस गंभीर बीमारी के मरीजों को नहीं मिल रही दवाइयां ! कई मरीजों की हालत नाजुक - TB disease

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : May 13, 2024, 9:26 AM IST

Updated : May 13, 2024, 11:19 AM IST

स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से टीबी यानी ट्यूबरक्लोसिस के मरीजों को मुफ्त दवाईयां उपलब्ध कराई जाती है. लेकिन पिछले 6 महीने से टीबी के मरीजों को पर्याप्त मात्रा में दवाई नहीं मिल पा रही है. छत्तीसगढ़ के कई जिलों में टीबी की दवाइयों की कमी चल रही है. मरीज को 6 महीने के कोर्स की दवाई नहीं मिल पा रही है, जो मरीजों के लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकती है.

TB patients
टीबी (ETV Bharat Chhattisgarh)

टीबी बीमारी के मरीजों को नहीं मिल रही दवाइयां (ETV Bharat Chhattisgarh)

बिलासपुर: भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय ने टीबी रोग को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन योजना में शामिल किया है. इसके मरीजों का इलाज मुफ्त करने और दवाइयां मुफ्त बांटने की व्यवस्था सरकार ने की है. टीबी रोग एक जानलेवा बीमारी है. इसके निवारण के लिए केंद्र सरकार देश के सभी अस्पतालों में इसका इलाज और दवाइयां मुफ्त बांटती है लेकिन पिछले 6 माह से टीबी रोग की दवा पर्याप्त मात्रा में नहीं मिलने से मरीजों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. छत्तीसगढ़ के कई जिलों में मरीज को 6 महीने के कोर्स के लिए टीबी की दवाई नहीं मिल पा रही है.

दवा कम है और मरीजों की संख्या अधिक: जिले के टीबी मरीजों को टीबी की दवा पर्याप्त मात्रा में नहीं मिल पा रही है. महीने–दो महीने की दवाई देकर मरीज को चलता कर दिया जाता है. मरीज को बार बार दावा लेने अस्पताल के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं. यहां तक कि मरीजों को कुछ दवाईयां दी जाती है और बाकी दजवाई के लिए बाजार भेज दिया जाता है. ऐसा नहीं है कि सरकारी अस्पताल से मरीजों को दावा नहीं दी जाती. बल्कि टीबी के दवाई की सप्लाई ही इतनी कमजोर है कि दवाई खत्म हो जाती है. दवा कम है और मरीजों की संख्या अधिक हो रही है. सप्लाई कमजोर और डिमांड ज्यादा होने से मरीजों को सही समय पर दवा नहीं मिल रही. जिस वजह से मरीजों की स्थिति बिगड़ने लगी है.

जरूरत के मुताबिक नहीं हो रही दवाइयों की सप्लाई : स्वास्थ्य मंत्रालय जरूरत के मुताबिक दवाइयां की सप्लाई नहीं कर रही है. इस वजह से टीबी के मरीजों की स्थिति खराब होती जा रही है. सरकारी अस्पतालों के अलावा निजी अस्पतालों में टीबी की दवाइयां मुफ्त दी जाती है, लेकिन पर्याप्त दवा ना शासकीय अस्पतालों में है और ना ही निजी अस्पतालों में है. 50 हजार से भी ज्यादा की संख्या छत्तीसगढ़ में टीबी के मरीजों की बताई जा रही है. हालांकि यह आंकड़ा और बढ़ सकता है. निजी अस्पताल अपनी दर्ज संख्या 3 महीने में एक बार राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रम विभाग को देते हैं, इसलिए यह आंकड़े और ज्यादा हो सकते हैं.

छह महीने से नहीं मिल रही पर्याप्त दवाइयां : बिलासपुर के सिम्स मेडिकल कॉलेज में भर्ती रवि यादव के परिजनों और सहयोगियों ने बताया कि रवि यादव की रिपोर्ट में 8 महीने पहले टीबी रोग होने का पता चला था. तब से सिम्स मेडिकल कॉलेज में वह अपना इलाज करवा रहा है. लेकिन 8 महीने बाद भी उसकी स्थिति नाजुक बनी हुई है. रवि यादव को 2 दिन पहले फिर सिम्स मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया है.

"उसे 6 महीने के कोर्स के लिए पर्याप्त दवा नहीं दी गई है. दो महीने की दवा देने के बाद फिर आकर दवा ले जाने की बात कही गई थी और जब वह दवा लेने पहुंचा, तो दवा खत्म होने की जानकारी दी गई. वह बाजार से कुछ दिनों तक दवाइयां खरीद कर खा रहा था, लेकिन आर्थिक स्थिति खराब होने की वजह से वह दवाइयां समय पर नहीं खा पाया. इस वजह से उसकी स्थिति दिन पर दिन कमजोर होती जा रही है."- मरीज के पिता

"छत्तीसगढ़ में बढ़ रही मरीजों की संख्या": दवाइयां पर्याप्त मात्रा में नहीं रवि यादव को भर्ती करने वाली समाजसेविका शहजादी कुरैशी ने बताया,"रवि यादव को जब अस्पताल लेकर गई, तो उसकी स्थिति काफी गंभीर लग रही थी. वह अपने पैरों से चल नहीं पा रहा था, उसे स्ट्रेचर पर ले जाना पड़ा. वह 8 महीने से सिम्स मेडिकल कॉलेज में टीबी रोग का इलाज करवा रहा है."

"टीबी रोग को जब राष्ट्रीय कार्यक्रम के तहत शामिल किया गया है, तो इसकी दवाइयां पर्याप्त मात्रा में क्यों नहीं दी जा रही है. पर्याप्त मात्रा में छत्तीसगढ़ को दवाइयां नहीं मिल पा रही है, यही वजह है कि छत्तीसगढ़ में मरीजों की संख्या बढ़ रही है. बिलासपुर जिले के अलावा पूरे छत्तीसगढ़ में यही स्थिति बनी हुई है." - शहजादी कुरैशी, समाज सेविका, बिलासपुर

6 महीने के लिए नहीं मिली पर्याप्त दवा : बिलासपुर के टीबी रोग विशेषज्ञ और आईएमए के अध्यक्ष डॉ अखिलेश देवरस ने बताया, "भारत को टीबी कैपिटल ऑफ वर्ल्ड कहा जाता है. यहां सबसे ज्यादा मरीजों की संख्या है. यही कारण है कि इस रोग को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन योजना में शामिल किया गया है. प्रधानमंत्री की देखरेख में डॉट कार्यक्रम भी चलाया गया, लेकिन पिछले एक डेढ़ माह से टीबी की दवाइयां बहुत कम मात्रा में उपलब्ध हो रही है. इसके लिए हमने प्रॉपर अथॉरिटी को इस बात की जानकारी दे दी है, लेकिन अब तक दवाइयां उपलब्ध नहीं हुई है."

टीबी रोग क्या होता है? : टीबी या क्षय रोग एक संक्रामक रोग है, जो मरीज के फेफड़ों या अन्य ऊतकों को संक्रमित कर देता है. आमतौर पर टीबी रोग मरीजे के फेफड़ों को प्रभावित करता है, लेकिन बीमारी के बढ़ जाने पर यह मरीज के रीढ़ की हड्डी, दिमाग या गुर्दे जैसे अन्य अंगों को भी प्रभावित कर सकता है. टीबी को क्षय रोग के नाम से भी जाना जाता है. टीबी से संक्रमित होने वाला हर व्यक्ति बीमार नहीं पड़ता. लेकिन यदि कोई बीमार होता हैं, तो उसे इलाज की जरूरत होती है.

टीबी रोग कितने तरह के होते हैं? : डॉ अखिलेश देवरस ने बताया ,"टीबी रोग दो तरह की होती है. पहले चरण में जब मरीज को पर्याप्त मात्रा में सही समय पर दवाई मिल जाती है. साथ ही 6 माह के कोर्स को मरीज पूरा करता है, तो वह ठीक हो जाता है. लेकिन यदि दवा लेना बंद हो जाए या कुछ समय तक दवा खाना बंद कर दे और फिर दवा शुरू करें. ऐसे में उसे दूसरे स्टेज का टीबी रोग हो सकता है, जो जानलेवा होता है.

"टीबी रोग में यदि मरीज चार-पांच दिन दवा नहीं खाता है, तो पहले खाए हुए दावा का असर खत्म हो जाता है. यह काफी गंभीर स्थिति होती है, जिससे मरीज की जान भी जा सकती है." - डॉ. अखिलेश देवरस, टीबी रोग विशेषज्ञ

जिम्मेदार कुछ भी बोलने को नहीं तैयार :राज्य के स्वास्थ्य अधिकारियों सहित जिला स्तर के अधिकारी इस बात को जानते हैं कि टीबी की दवाई पर्याप्त मात्रा में सप्लाई नहीं हो रही. लेकिन वे अपनी नौकरी बचाने के लिए कुछ भी कहने से इनकार कर रहे हैं. जिला स्वास्थ्य य़ा चिकित्सा अधिकारी अनिल श्रीवास्तव से जब इस मामले में बात करने और वर्जन की बात कही गई तो वह बात को घुमाते हुए टाल गए और कुछ भी बोलने से मना कर दिया. वह भी ये मान रहे है कि टीबी की दवाइयां पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं है.

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Last Updated : May 13, 2024, 11:19 AM IST

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