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स्पीति घाटी के खेत होंगे जहरीले रसायन से मुक्त, 13 पंचायतों ने कृषि विभाग को दी एनओसी

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Mar 13, 2024, 4:48 PM IST

Natural Farming In Spiti Valley: इन दिनों स्पीति घाटी में बड़े पैमाने पर किसान और बागवान प्राकृतिक खेती कर रहे हैं. वहीं, नेचुरल फार्मिंग से तैयार उत्पादन की काफी डिमांड देखी जा रही है. जिससे क्षेत्र के खेतों की मिट्टी की गुणवत्ता में बढ़ोतरी हुई है. साल 2023 में स्पीति घाटी के किसान और बागवान ने मटर बेचकर 12 करोड़ रुपए से अधिक की कमाई की थी. ऐसे में अब 13 पंचायत और पंचायत समिति द्वारा एक प्रस्ताव पारित किया गया है. साथ ही एनओसी कृषि विभाग को दी गई है.

Natural Farming In Spiti Valley
Natural Farming In Spiti Valley

कुल्लू:हिमाचल प्रदेश में अब किसानों का रुझान प्राकृतिक खेती की ओर बढ़ा है. इससे किसानों के खेत भी अब जहरीले रसायन से मुक्त हो रहे हैं. इसके अलावा प्राकृतिक खेती के माध्यम से किसानों की आर्थिक की भी मजबूत हुई है. ऐसे में अब जिला लाहौल स्पीति के स्पीति में किसान प्राकृतिक तौर तरीकों से ही खेती करेंगे और इसके लिए अब सभी स्पीति खंड की 13 पंचायत के द्वारा प्रस्ताव पारित किया गया है. स्पीति घाटी की 13 पंचायत और पंचायत समिति द्वारा इस बारे एक प्रस्ताव भी पारित किया गया है और एनओसी भी कृषि विभाग को दी गई है. जिसमें यह लिखा गया है कि 13 पंचायत में किसानों द्वारा जहरीली रसायन मुक्त खेती ही की जाएगी. कृषि विभाग के अधिकारी भी इसी विषय को लेकर प्रशासन के साथ इन सभी पंचायत का संयुक्त निरीक्षण कर चुके हैं.

मटर की फसल से किसानों ने कमाए ₹12 करोड़: स्पीति घाटी में करीब 1272 हेक्टेयर भूमि कृषि और बागवानी योग्य है. इसमें 200 हेक्टेयर भूमि में बागवानी और अन्य फसलों की कृषि की जाती है. स्पीति घाटी में किसानों का बागवानों को प्राकृतिक खेती से जोड़ने के लिए साल 2017 में मुहिम शुरू की गई थी. यहां पर आत्मा प्रोजेक्ट के अधिकारियों द्वारा शिविर का आयोजन किया गया था और 13 पंचायत में 314 किसानों ने प्राकृतिक खेती को अपनाया था. वहीं, साल 2023 में स्पीति घाटी के किसानों ने प्राकृतिक खेती के माध्यम से मटर की फसल की थी और 12 करोड़ रुपए से अधिक मटर की फसल किसानों द्वारा बेची गई थी.

प्राकृतिक खेती से तैयार उत्पादों की मांग बढ़ी

प्राकृतिक खेती से तैयार उत्पादों की मांग बढ़ी: साल 2017 के बाद कृषि विभाग के द्वारा आत्मा प्रोजेक्ट के माध्यम से किसानों का पंजीकरण शुरू किया था और किसानों को प्राकृतिक खेती का प्रशिक्षण दिया था, जिसमें जीवामृत, अन्य जैविक खाद और कीटनाशक तैयार करने के बारे में उन्हें जानकारी दी गई थी. स्पीति घाटी में किसानों द्वारा फूलगोभी, मटर, बंद गोभी, ब्रोकली, मूली, पालक, आलू और जौ की खेती की जाती है. अब प्राकृतिक खेती से तैयार उत्पादों की मांग देश के बड़े शहरों में है और अच्छे दाम भी किसानों को मिल रहे हैं.

स्पीति घाटी के खेत होंगे जहरीले रसायन से मुक्त

जैविक खेती से खेतों की मिट्टी की गुणवत्ता बढ़ी: स्पीति घाटी की किसान यशे डोमा, तेंजिन, टशी दवा का कहना है कि यहां पर साल में 6 माह कृषि होती है. वहीं, सर्दियों में बर्फबारी और अधिक ठंड होने के चलते किसी भी प्रकार की फसल तैयार नहीं होती है. पहले यहां पर मटर, जौ और आलू की ही खेती की जाती थी. अच्छी फसल के लिए रसायन भी खेतों में डाले जाते थे. लेकिन उससे खेतों में बुरा प्रभाव आना शुरू हुआ और फसलों को तैयार होने में भी कई तरह की दिक्कतें पेश आने लगी. ऐसे में कृषि विभाग द्वारा किसानों को प्राकृतिक खेती के बारे में अवगत करवाया गया. हालांकि शुरुआती दौर में इस खेती के अच्छे नतीजे सामने नहीं आए. लेकिन अब प्राकृतिक खेती के माध्यम से फसल पहले से ज्यादा तैयार हो रही है. खेतों की मिट्टी की गुणवत्ता भी अधिक बढ़ी है. अब कृषि विभाग द्वारा ही प्राकृतिक खेती से तैयार फसलों के लिए बाजार उपलब्ध करवाया जा रहा है. इससे जहां फसलों के अधिक दाम मिल रहे हैं तो वही स्पीति घाटी में इस तकनीक के माध्यम से नई-नई फसले भी किसान उगा रहे हैं.

13 पंचायतों ने कृषि विभाग को दी एनओसी

प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहन देने में जुटा कृषि विभाग: हिमाचल प्रदेश में सरकार द्वारा साल 2017 में प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहन देने के लिए इस योजना की शुरुआत की गई थी. इस योजना के तहत देसी गाय के गोबर, गोमूत्र से दवाइयां और कीटनाशक तैयार की जाती हैं. इसके अलावा स्थानीय वनस्पतियों के प्रयोग भी इसमें किए जाते हैं. ताकि भूमि को जहरीले रसायनों से मुक्त किया जा सके. प्रदेश में 1 लाख 65,000 से अधिक किसानों-बागवानों ने इस योजना का लाभ उठाया है. प्रदेश में 2 लाख 48 हजार बीघा भूमि पर इस विधि से खेती और बागवानी भी की जा रही है. कृषि विभाग द्वारा वित्तीय वर्ष 2023-24 में 50,000 बीघा भूमि को प्राकृतिक खेती के अधीन करने का लक्ष्य रखा गया है. वही, प्रदेश के 9 लाख 61 हजार किसान परिवारों को भी इस योजना से जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है.

प्राकृतिक खेती उत्पादों की बिक्री के लिए 10 मंडियां: प्राकृतिक खेतों से तैयार होने वाले उत्पादों की बिक्री के लिए 10 मंडियों में अभी स्थान निर्धारित किया गया है. प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के तहत देसी गाय की खरीद पर भी किसानों को 25 हजार रुपए की सब्सिडी दी जा रही है. इसके अलावा प्रति ड्रम प्राकृतिक दवा बनाने के हिसाब से 750 रुपए किसानों को सब्सिडी दी जा रही है. कॉउ शेड लाइनिंग करने के लिए भी 8000 रुपए की सब्सिडी किसानों को दी जा रही है. संसाधन भंडारण के लिए भी 10,000 रुपए प्रति किसान को सब्सिडी देने का टारगेट इस योजना के तहत रखा गया है.

जैविक खेती से खेतों की मिट्टी की गुणवत्ता बढ़ी

किसानों के फसलों को उपलब्ध कराया जा रहा बाजार:आत्मा प्रोजेक्ट स्पीति की ब्लॉक तकनीकी प्रबंधक सुजाता नेगी ने बताया कि अब अप्रैल माह में स्पीति घाटी में कृषि कार्य शुरू हो जाएगा. किसान भी प्राकृतिक खेती यहां पर कर रहे हैं. सरकार द्वारा यहां पर 100% प्राकृतिक खेती करने की कवायद शुरू की गई है. यहां के किसानों ने भी इसमें अपनी सहमति जताई है. कृषि विभाग भी प्राकृतिक खेती के बारे में किसानों को जागरूक कर रहा है और उनकी फसलों को अच्छा बाजार भी उपलब्ध करवाया जा रहा है.

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