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गोरखपुर में सपा का निषाद प्रत्याशी पर आठवीं बार दांव, सिर्फ एक बार मिली थी जीत

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Mar 15, 2024, 8:08 AM IST

लोकसभा चुनाव 2024 के लिए गोरखपुर में सियासी बयार बहने लगी है. भाजपा से सांसद रवि किशन शुक्ला एक बार फिर मैदान में हैं. वहीं समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ने की रणनीति तैयार की है. सपा ने काजल निषाद को प्रत्याशी बनाया है. देखें गोरखपुर का मिजाज और वोटों का समीकरण पर ईटीवी की रिपोर्ट.

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लोकसभा चुनाव 2024 में सपा ने काजल निषाद पर लगाया दांव. देखें पूरी खबर

गोरखपुर : लोकसभा चुनाव 2024 की घोषणा होना अभी बाकी है, लेकिन प्रदेश की वीआईपी और हॉट सीट के रूप में गोरखपुर से समाजवादी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी ने अपने प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं. दोनों ही प्रत्याशियों का बैकग्राउंड फिल्मी है. फिलहाल भोजपुरी फिल्मों के स्टार रवि किशन यहां से मौजूदा सांसद हैं और भाजपा प्रत्याशी भी हैं. वहीं सपा प्रत्याशी काजल निषाद भी कई फिल्मों में अभिनय के बाद पिछले डेढ़ दशक से राजनीति में सक्रिय होकर गोरखपुर को अपना कर्म क्षेत्र बनाकर संघर्ष कर रही हैं. काजल के साथ खास बात यह है कि वह निषाद समाज से आती हैं. जिसका गोरखपुर लोकसभा सीट पर जातिगत आंकड़े में बड़ा असर माना जाता है. यही वजह है कि समाजवादी पार्टी पिछले ढाई दशक में अब तक आठवीं बार इस सीट पर निषाद जाति के प्रत्याशी को मैदान में उतारने का कार्य किया है. हालांकि जीत 2018 के उपचुनाव में पहली बार कामयाबी मिली थी. यह सीट सांसद रहे योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद खाली हुई थी.

लोकसभा चुनाव 2024 में सपा और कांग्रेस ने काजल निषाद पर लगाया दांव.

मौजूदा समय में गोरखपुर सीट सपा के खाते में इंडिया गठबंधन के तहत गई है. इसके बाद कांग्रेस और सपा के बैठकों का दौर जारी है. सपा कार्यालय पर इन दोनों दलों के बड़े नेता बैठकर, मंथन और रणनीति तैयार करने में जुटे हैं. दोनों पार्टियों के जिला अध्यक्षों का कहना हैं कि इस बार भी गोरखपुर में इतिहास दोहराया जाएगा. भाजपा से लोग और खासकर युवा बेहद परेशान हैं. बेरोजगारी और महंगाई चरम पर है. ऐसे में सबको साथ लेकर समाजवादी पार्टी और कांग्रेस अपने गठबंधन की प्रत्याशी काजल निषाद को जीत दिलाने में कामयाब होगी. नेताओं का कहना है कि काजल निषाद ने अपने संघर्षों से गोरखपुर लोकसभा क्षेत्र में अलग पहचान बनाई है. काजल निषाद विधानसभा और महापौर का चुनाव लड़कर अपनी उपस्थिति दर्ज कर चुकी हैं. काजल निषाद ने कहा है कि निश्चित रूप से गठबंधन से दोनों दलों में नई ऊर्जा देखने को मिल रही है. क्षेत्र के लोग और सभी नेता एकजुट हो रहे हैं.

बता दें, पिछले 26 वर्षों में यह आठवां और लगातार चौथा लोकसभा चुनाव है, जब सपा ने गोरखपुर सीट से निषाद प्रत्याशी को मैदान में उतारा है. 1998 के चुनाव में जमुना निषाद प्रत्याशी बनाए गए थे और वह जीत के करीब पहुंचकर चुनाव हार गए थे. वर्ष 2009 में सपा ने गैर निषाद प्रत्याशी के रूप में भोजपुरी स्टार मनोज तिवारी पर अपना भरोसा जताया था, लेकिन वह भी कामयाब नहीं हुए. वर्ष 1998, 99 और 2004 के चुनाव में समाजवादी पार्टी ने जमुना निषाद को टिकट दिया. 2014 के लोकसभा चुनाव में जमुना की पत्नी राजमति निषाद प्रत्याशी बनाई गईं, लेकिन योगी आदित्यनाथ के सामने यह दल बराबर दूसरे पायदान पर ही परिणाम पाता रहा है. योगी ने करीब 3 लाख 12 हजार हजार वोटों से 2014 का चुनाव जीता था. वर्ष 2018 के उप चुनाव में इंजीनियर प्रवीण निषाद समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी के रूप में, भाजपा प्रत्याशी उपेंद्र शुक्ला को 21 हजार 961 मतों से हराने में कामयाब हो गए.

वरिष्ठ पत्रकार अवनीन्द्र शुक्ल कहते हैं कि इस लोक सभा चुनाव में बीजेपी में भितरघात की बड़ी तेज हवा थी. यही कहा जा रहा था कि जब योगी इस सीट को 3 लाख वोटों से जीत सकते हैं, तो फिर भाजपा 21 हजार वोटों से हार कैसे जाएगी. बात करें 2019 के लोकसभा चुनाव की तो सपा ने निषाद प्रत्याशी के रूप में राम भुआल निषाद को मैदान उतारा. जिन्हें रवि किशन शुक्ला ने तीन लाख से अधिक वोटों से शिकस्त दे दी. इस बार लोकसभा चुनाव में सपा ने निषाद प्रत्याशी पर दांव आजमाया है. उसके साथ सकारात्मक पक्ष यह है कि कांग्रेस पार्टी उसके साथ है. परिणाम तो चुनाव और मतगणना के बाद ही पता चलेगा, लेकिन जातीय गणित के साथ संघर्ष और चुनावी मेहनत में सभी दल जुटे हैं.

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