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झांसी में आज शाम तक बसपा घोषित कर सकती है प्रत्याशी, पार्टी में खेमेबाजी से दुविधा में फंसे पदाधिकारी और कार्यकर्ता - lok sabha election 2004

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Apr 29, 2024, 6:45 AM IST

झांसी में अभी तक बसपा ने अपना प्रत्याशी नहीं उतारा है. पिछले दिनों बड़े पदाधिकारियों की जिम्मेदारियों में फेरबदल के बाद पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं का भी उत्साह कम हो गया है.

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झांसी :झांसी में पांचवें चरण में 20 मई को वोटिंग होनी है. नामांकन भी तीन दिनों से चल रहा है. इसके बावजूद अभी तक यहां से बसपा ने प्रत्याशी घोषित नहीं किया है. इससे बसपा पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं ने खुद को नजरबंद कर लिया है. भाजपा और I.N.D.I अलायंस के प्रत्याशी की घोषणा हो चुकी है. एक से दो दिनों में नामांकन भी होना है. बसपा ने झांसी में पिछले सप्ताह प्रत्याशी बनाने के बाद हटा दिया था. जिलाध्यक्ष को बदलने के साथ बुंदेलखंड प्रभारी के अधिकार भी सीमित कर दिए थे. ऐसे में कार्यकर्ताओं का मनोबल गिरा है. इससे उन्होंने खुद को नजरबंद कर लिया है. पार्टी ने कुशवाहा समाज से किसी दावेदार को टिकट देेने की जिद छोड़ दी है. संभावना है कि पार्टी अब साहू या पाल समाज का प्रत्याशी मैदान में उतार सकती है. सोमवार की शाम तक प्रत्याशी की घोषणा हो सकती है.

राकेश कुशवाहा को टिकट मिलने के बाद जिस तरह से पार्टी में खेमेबाजी हुई, वह सबके सामने है. संगठन में लगातार बदलाव कर पार्टी असमंजस में दिखी. पार्टी ने बुंदेलखंड के बड़े नेता लालाराम अहिरवार पर कार्रवाई की. बाद में फिर उन्हें झांसी मंडल का प्रभार सौंप दिया. दो खेमों में बंटी पार्टी को एक भी खेमा कुशवाहा समाज का प्रत्याशी नहीं दे सका. एक दिया भी, तो उस पर सपा से नजदीकी होने का आरोप लग गया.

पार्टी सूत्र बता रहे हैं कि अब बसपा ने कुशवाहा समाज से ही प्रत्याशी देने की जिद छोड़ दी है. इस समाज का कोई प्रत्याशी बनने को तैयार नहीं था. दोनों प्रमुख दल भाजपा व गठबंधन प्रत्याशी जब नामांकन पत्र खरीद चुके हैं, ऐसे में बसपा पर भी दबाव बढ़ा है. संभावना है कि साहू या पाल समाज से किसी पर पार्टी दांव लगा सकती है. बसपा सुप्रीमो मायावती के पास दो नाम भेजे गए हैं. इसमें से एक नाम साहू समाज जबकि दूसरा पाल समाज से ताल्लुक रखता है. एक मुस्लिम प्रत्याशी का नाम भी भेजा गया था, पर उस पर विचार नहीं किया जाएगा. हालांकि इसके कयास ही हैं, पार्टी स्तर पर अभी इसकी पुष्टि होनी बाकी है.

समझा जा रहा था कि बसपा प्रत्याशी अगर जीत की दहलीज तक नहीं पहुंचे तो किसी की हार-जीत में ही बड़ा रोल निभा सकते हैं, लेकिन पार्टी इस सीट पर प्रत्याशी उतारने में ही देरी कर रही है. इसी की वजह से पार्टी से पदाधिकारी और कार्यकर्ता भी दूरी बनाने लगे हैं. कार्यकर्ता हों या पदाधिकारी अब अपने रिश्तेदारों की शादियों में भी जाने से परहेज करने लगे हैं.

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