चंडीगढ़: किसानों के दिल्ली कूच मामले को लेकर पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट में लगी पीआईएल पर सुनवाई चल रही है. गुरुवार को इस मामले में कोर्ट के आदेश के मुताबिक सभी पक्षों ने स्टेटस रिपोर्ट हाई कोर्ट को सौंपी. हरियाणा ने भी इस मामले में अपना पक्ष हाई कोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट के जरिए रखा. जिसमें कई चौंकाने वाले खुलासे किए गए हैं. हरियाणा के गृह सचिव टीवीएसएन प्रसाद की तरफ से हाई कोर्ट में दी गई स्टेटस रिपोर्ट के मुताबिक दावा किया है गया कि किसान यूनियनों के नेताओं ने आम जनता से "दिल्ली चलो मार्च" में अधिकतम भागीदारी का आह्वान किया है.
हरियाणा सरकार ने हाई कोर्ट में दाखिल की स्टेटस रिपोर्ट: हाई कोर्ट में दाखिल स्टेटस रिपोर्ट में सरकार ने दावा किया गया है कि ऐसे इनपुट थे कि हजारों की संख्या में आंदोलनकारी मोडिफाइड ट्रैक्टर/ट्रॉलियों में हथियारों के साथ दिल्ली में डेरा डालने की व्यवस्था के साथ आगे बढ़ेंगे. इनपुट ये भी आ रहे हैं कि वो संसद का भी घेराव करेंगे. रिपोर्ट में हरियाणा सरकार ने ये भी दावा किया है कि किसान संगठनों का आंदोलन शांतिपूर्ण नहीं है. रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि पिछला किसान आंदोलन ना सिर्फ हिंसक था, बल्कि आंदोलनकारियों ने अपराध भी किए.
'पिछले आंदोलन में हिसा हुई, अपराध हुआ': सरकार ने बताया कि पिछले आंदोलन में 26 जनवरी, 2021 के को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में हंगामा भी किया. जब उन्होंने लाल किले पर तिरंगा भी हटा दिया. रिपोर्ट में बताया गया है कि पिछले आंदोलन के समय प्रदेश में अपराध करने के लिए 294 एफआईआर आंदोलनकारियों के खिलाफ दर्ज हुई थी. जिनमें से 185 में चालान भी पेश किया जा चुका है. रिपोर्ट में सरकार ने हत्या, सामूहिक दुष्कर्म, हत्या के प्रयास और हथियार अधिनियम जैसे अपराधों से संबंधित दर्ज कुछ मामलों का हवाला दिया है.
'दिल्ली पुलिस ने हरियाणा को लिखा था पत्र': इसमें ये भी बताया गया है कि अगर आंदोलनकारियों को प्रदेश के क्षेत्र में जाने और डेरा डालने की इजाजत दी गई, तो वहां के लोगों को सबसे ज्यादा नुकसान होगा. हरियाणा की तरफ से दी गई रिपोर्ट में दिल्ली पुलिस के पत्र का भी जिक्र किया गया है. जिसमें बताया गया है कि दिल्ली पुलिस की तरफ से एक पत्र प्रदेश सरकार को मिला था. जिसमें बताया गया था कि प्रदर्शनकारियों द्वारा दिल्ली में कानून-व्यवस्था और सुरक्षा स्थिति में व्यवधान पैदा करने की संभावना है.