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मॉडिफाई ट्रैक्टर-ट्रॉली लेकर हथियारों के साथ संसद का घेराव कर सकते हैं किसान, हरियाणा सरकार की स्टेटस रिपोर्ट में दावा

Haryana status report in High Court: किसानों के दिल्ली कूच को लेकर हरियाणा सरकार ने पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल की. जिसमें सरकार ने दावा किया है कि किसान मॉडिफाई ट्रैक्टर-ट्रॉली लेकर हथियारों के साथ संसद का घेराव कर सकते हैं.

Haryana status report in High Court
Haryana status report in High Court

By ETV Bharat Haryana Team

Published : Feb 16, 2024, 5:49 PM IST

चंडीगढ़: किसानों के दिल्ली कूच मामले को लेकर पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट में लगी पीआईएल पर सुनवाई चल रही है. गुरुवार को इस मामले में कोर्ट के आदेश के मुताबिक सभी पक्षों ने स्टेटस रिपोर्ट हाई कोर्ट को सौंपी. हरियाणा ने भी इस मामले में अपना पक्ष हाई कोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट के जरिए रखा. जिसमें कई चौंकाने वाले खुलासे किए गए हैं. हरियाणा के गृह सचिव टीवीएसएन प्रसाद की तरफ से हाई कोर्ट में दी गई स्टेटस रिपोर्ट के मुताबिक दावा किया है गया कि किसान यूनियनों के नेताओं ने आम जनता से "दिल्ली चलो मार्च" में अधिकतम भागीदारी का आह्वान किया है.

हरियाणा सरकार ने हाई कोर्ट में दाखिल की स्टेटस रिपोर्ट: हाई कोर्ट में दाखिल स्टेटस रिपोर्ट में सरकार ने दावा किया गया है कि ऐसे इनपुट थे कि हजारों की संख्या में आंदोलनकारी मोडिफाइड ट्रैक्टर/ट्रॉलियों में हथियारों के साथ दिल्ली में डेरा डालने की व्यवस्था के साथ आगे बढ़ेंगे. इनपुट ये भी आ रहे हैं कि वो संसद का भी घेराव करेंगे. रिपोर्ट में हरियाणा सरकार ने ये भी दावा किया है कि किसान संगठनों का आंदोलन शांतिपूर्ण नहीं है. रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि पिछला किसान आंदोलन ना सिर्फ हिंसक था, बल्कि आंदोलनकारियों ने अपराध भी किए.

'पिछले आंदोलन में हिसा हुई, अपराध हुआ': सरकार ने बताया कि पिछले आंदोलन में 26 जनवरी, 2021 के को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में हंगामा भी किया. जब उन्होंने लाल किले पर तिरंगा भी हटा दिया. रिपोर्ट में बताया गया है कि पिछले आंदोलन के समय प्रदेश में अपराध करने के लिए 294 एफआईआर आंदोलनकारियों के खिलाफ दर्ज हुई थी. जिनमें से 185 में चालान भी पेश किया जा चुका है. रिपोर्ट में सरकार ने हत्या, सामूहिक दुष्कर्म, हत्या के प्रयास और हथियार अधिनियम जैसे अपराधों से संबंधित दर्ज कुछ मामलों का हवाला दिया है.

'दिल्ली पुलिस ने हरियाणा को लिखा था पत्र': इसमें ये भी बताया गया है कि अगर आंदोलनकारियों को प्रदेश के क्षेत्र में जाने और डेरा डालने की इजाजत दी गई, तो वहां के लोगों को सबसे ज्यादा नुकसान होगा. हरियाणा की तरफ से दी गई रिपोर्ट में दिल्ली पुलिस के पत्र का भी जिक्र किया गया है. जिसमें बताया गया है कि दिल्ली पुलिस की तरफ से एक पत्र प्रदेश सरकार को मिला था. जिसमें बताया गया था कि प्रदर्शनकारियों द्वारा दिल्ली में कानून-व्यवस्था और सुरक्षा स्थिति में व्यवधान पैदा करने की संभावना है.

'किसानों को प्रदर्शन के लिए दी गई जगह': दिल्ली पुलिस ने इस बात का अनुरोध किया कि विरोध प्रदर्शन में भाग लेने के इरादे से आने वाले सभी व्यक्तियों की पहचान की जाए और उन्हें दिल्ली में प्रवेश की इजाजत ना दें. प्रदेश सरकार ने हाई कोर्ट को ये भी जानकारी दी है कि उनकी तरफ से हरियाणा के छह जिलों में शांतिपूर्ण प्रदर्शन के लिए जगह चिन्हित की गई है. जिनमें झज्जर, चरखी दादरी, कुरुक्षेत्र, यमुनानगर, करनाल और पंचकूला में शामिल हैं. इन जिलों में कुछ जगह चिह्नित किया गया है. जहां प्रदेश के प्रदर्शनकारी स्थानीय प्रशासन की अनुमति से शांतिपूर्ण आंदोलन कर सकते हैं.

सरकार की तरफ से दी गई रिपोर्ट में दावा किया है कि बहादुरगढ़ चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ने कहा है कि पिछले आंदोलन से उनके कारोबार को भारी नुकसान हुआ था. ये भी कहा गया कि कई ग्राम पंचायतों ने जिला प्रशासन को लिखित में दिया है कि वे किसी भी तरह से आंदोलन का समर्थन नहीं करेंगे. इसलिए ऐसे आंदोलनों में रुकावट से आम जनता को बहुत असुविधा होती है, अराजकता की भावना पैदा होती है. जिससे बड़े पैमाने पर जनता में असुरक्षा की भावना पैदा होती है. रिपोर्ट में ये भी जानकारी दी गई है कि कुछ किसान यूनियनों ने खासतौर पंजाब और हरियाणा से 'किसान मजदूर मोर्चा' और 'संयुक्त किसान मोर्चा' (गैर-राजनीतिक) के बैनर तले, बिना किसी अनुमति के "दिल्ली चलो मार्च" का आह्वान किया है.

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