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GOOD NEWS : थार की वनस्पति में है कुछ खास, जानने के लिए जोधपुर पहुंची फ्रांस की स्पेशल टीम

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Mar 16, 2024, 3:14 PM IST

Updated : Mar 16, 2024, 5:35 PM IST

French interns in Jodhpur, रेगिस्तान की वन​स्पतियां अब विदेशियों को भी लुभाने लगी हैं. इन वनस्पतियों पर शोध करने और इसकी खेती का तरीका जानने के लिए विदेशी छात्र शोध करने के लिए जोधपुर आए हुए हैं. ये छात्र न केवल परम्परागत तरीके से खेती करना सीखेंगे, बल्कि इन वस्पतियों के सरंक्षण के उपाय भी बताएंगे.

French interns are doing farming in Jodhpur to conserve Thar vegetation.
थार की वनस्पति के संरक्षण के लिए फ्रांस के इंटर्न जोधपुर में कर रहे खेती

किसने क्या कहा, सुनिए...

जोधपुर. थार के रेगिस्तान में वनस्पति के संरक्षण और लोगों का पलायन रोकने के लिए एक नवचार किया जा रहा है. गैर सरकारी संगठन संभली ट्रस्ट के सहयोग से फ्रांस के पुरपान स्कूल ऑफ एग्रीकल्चरल इंजीनियरिंग के छात्र और शिक्षक मिलकर खेती कर रहे हैं, जिसमें थार की परंपरागत वनस्पति जैसे खेजडी, कैर कुमठिया व अन्य शामिल हैं. यह ऐसी वनस्पति है, जिसके पौधे खेत में लगे रहते हैं. इनके साथ दूसरी खेती भी हो सकती है.

संभली ट्रस्ट के संस्थापक गोविंद सिंह ने बताया कि वर्तमान में 1600 वर्ग मीटर के खेत में यह काम शुरू हुआ है. उन्होंने बताया कि गत वर्ष हमारे पास दो इंटर्न आए थे, जिन्होंने यहां रूक कर शोध किया था. इसमें बताया गया था कि रेगिस्तान की पारंपरिक वनस्पति लगातार कम होती जा रही है. इससे जैव विविधता प्रभावित हो रही है. ग्रामीणों का रोजगार कम होने से वे पलायन करने लगे हैं. इसे रोकने के लिए यह प्रोजेक्ट शुरू किया गया है. इसके माध्यम से हम ग्रामीणों को यह बताना चाहते हैं कि हमारी परपंरागत वनस्पति की खेती कितनी फायदेमंद है.

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तीन से चार महीने चलेगा काम : गोविंद सिंह ने बताया कि वर्तमान में फ्रांस से आए इंटर्न लियो बिन्सन, कैमिल जूलौद, कैपुसिन आरेंट्स, अलिक्स लेमेर्ले और उनके साथ एक फ्रांसीसी इतिहास और भूगोल के शिक्षक टॉम रेव भी शामिल हैं. यह सब मिलकर खेत के परंपरागत तरीकों पर काम कर रहे हैं. यहां 1600 वर्ग मीटर में हमारी थार की वनस्पति लगाने का प्रोजेक्ट शुरू किया है. इस पहल का उद्देश्य स्थानीय किसानों को उनके खेतों पर पेड़ लगाए रखने के लिए भी प्रोत्साहित करना है. क्योंकि हमारी वनस्पति के पेड़ पौधे भी हमारे लिए बहुत अहम है. यह भी बताने का प्रयास किया जाएगा कि ऐसे कामों में कीटनाशक का खर्च नहीं होता है। यह प्रोजेक्ट जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने, जैव विविधता की रक्षा करने, और स्वस्थ्य मिट्टी को बढावा देने में कारगर होगा. यह काम तीन से चार माह तक चलेगा.

फ्रांस के इंटर्न जोधपुर में कर रहे खेती...

संस्थाओं का भी लिया सहयोग : जोधपुर से करीब 100 किमी दूर सेतरावा गांव में चल रहे इस प्रोजेक्ट के लिए संभली ट्रस्ट ने कृषि कार्यों से जुडी संस्थाएं काजरी, आफरी व कृषि विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों से भी सहयोग लिया है. थार के परंपरागत पेड़ पौधों में फिलहाल खेजड़ी, कैर व कुमठिया पर फोकस किया गया है. इनका संरक्षण सफल हुआ तो यह ग्रामीणों को रोजगार व आर्थिक संबल देने वाली वनस्पति हैं. तीन से चार माह के प्रोजेक्ट के बाद इसका रिव्यू किया जाएगा. धीरे धीरे अन्य क्षेत्रों में इसे बढावा देकर ग्रामीणों को फिर से अपनी परंपरागत वनस्पति के संरक्षण के प्रति जागरूक किया जाएगा.

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खेजड़ी थार की जीवनदायिनी है. इसे राज्य वृक्ष का भी दर्जा दिया गया है, लेकिन विगत समय से लगातार खेतों में इसकी कटाई होने संख्या घट रही है. यह वृक्ष पशुओं के लिए हरा चारा व सूखा चारा दोनों देता है. इसका फल सांगरी सब्जी के रूप में काम में लिया जाता है. सूखी हुई सांगरी की सब्जी तो पूरे देश में प्रसिद्ध है. सूखी हुई सांगरी के साथ कैर व कुमठिया का उपयोग होता है. सूखी हुई सांगरी बाजार में 1 हजार से 1500 रुपए किलो मिलती है, जबकि कैर व कुमठिया क्वालिटी के हिसाब से तीन हजार रुपए किलो तक बिकते हैं.

Last Updated : Mar 16, 2024, 5:35 PM IST

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