मध्य प्रदेश

madhya pradesh

भगवान राम के उतारे वस्त्र ही पहनते थे राजा विजय बहादुर, रोचक इतिहास है दतिया के श्री विजय राघव सरकार मंदिर का - datia Vijay Raghav Sarkar mandir

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Apr 18, 2024, 1:12 PM IST

दतिया जिले में श्री विजय राघव सरकार मंदिर बहुत प्राचीन है. यहां करीब दो सौ साल पुरानी परंपरा आज भी निभाई जा रही है. एक समय यहां के राजा विजय बहादुर सिंह थे. ये भगवान राम के अनन्य भक्त थे. भगवान राम द्वारा उतारे गए वस्त्र ही राजा पहनते थे.

datia Vijay Raghav Sarkar mandir
रोचक इतिहास है दतिया के श्री विजय राघव सरकार मंदिर का

दतिया।दतिया जिला स्थित भरतगढ़ में श्री विजय राघव सरकार मंदिर 185 वर्ष पुराना है. मंदिर की स्थापना सन् 1839 में दतिया रियासत के तत्कालीन राजा विजय बहादुर सिंह जू देव ने कराई थी. यहां भगवान राम और माता सीता की आदमकद प्रतिमा है. जानकारों का कहना है कि इतनी बड़ी प्रतिमाएं पूरे बुंदेलखंड अंचल में कहीं नहीं हैं. पूरे बुंदेलखंड के अलावा यूपी के जिलों से भी रामभक्त यहां सालभर दर्शन करने के लिए आते हैं. राम नवमी पर यहां विशेष आयोजन होता है.

चक्रवर्ती सम्राट की तरह राजसी वेशभूषा में भगवान श्री राम

मंदिर के पुजारी बबलू सरवरिया बताते हैं प्रभु श्रीराम यहां चक्रवर्ती सम्राट की तरह राजसी वेशभूषा में तीर और धनुष लिए विराजमान हैं. उनके साथ भाई लक्ष्मण भी विराजमान हैं. मंदिर प्रांगण में श्री हनुमान जी की मंदिर भी है. दतिया के मंदिरों के इतिहास की जानकारी रखने वाले पं.विनोद मिश्र बताते हैं "दतिया के राजा विजय बहादुर धार्मिक प्रवृत्ति के थे. उन्होंने दतिया में कई मंदिरों की स्थापना कराई. रामभक्त होने के कारण उन्होंने सन् 1839 में यहां विजय राघव सरकार की स्थापना कराई थी. खास बात यह है कि राजा जब भी कोई नया वस्त्र धारण करते, उससे पहले वह विजय राघव सरकार को पहनाते बाद में वही उतरे हुए वस्त्र वह स्वयं धारण करते."

दतिया में रानी ने भी बनवाया था अवध बिहारी मंदिर

यहां हर साल रामनवमी के दिन राजा की विशेष सवारी मंदिर तक पहुंचती थी. इसी परंपरा के अनुसार इस साल की रामनवमी पर भी मंदिर में भगवान की जन्म आरती हुई और शाम को भजन संध्या के साथ सुंदरकांड का पाठ किया गया. खास बात ये है कि राजा विजय बहादुर के अलावा उनकी पत्नी और बड़ी रानी विजय कुंआरी भी धार्मिक प्रवृत्ति की थीं. उन्होंने किला चौक पर अवध बिहारी मंदिर की स्थापना सन् 1843 में कराई थी. पं. विनोद मिश्र बताते हैं"यह मंदिर रामानंद संप्रदाय के भक्तों की श्रद्धा का केंद्र है. मंदिर का विशाल प्रवेश द्वार और उस पर हुई चित्रकारी भी आकर्षित करती है."

ये खबरें भी पढ़ें...

11 किलो की महाआरती से हुई मां जागेश्वरी की आराधना, सैकड़ों साल पहले फैली महामारी मिटाने शुरु हुई थी परंपरा

रामनवमी पर बाबा महाकाल का भगवान राम के रूप में हुआ भव्य श्रृंगार, दर्शन के लिए लगा तांता

अवध बिहारी मंदिर में हनुमान जी की सुंदर प्रतिमा

अवध बिहारी मंदिर में राम जानकी और उनके दरबार की दिव्य झांकी है. इसके प्रांगण में भगवान राम के ठीक सामने हनुमान जी की विशाल एवं सुंदर प्रतिमा है. अन्य उत्सवों के साथ-साथ यहां रामनवमी का उत्सव भी बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. बड़ी रानी द्वारा इस मंदिर की स्थापना कराई गई थी. इसीलिए इसे बड़ी सरकार का मंदिर भी कहा जाता है. बुधवार की दोपहर 12 बजे यहां जन्म आरती होने के बाद शाम को संगीत सभा और समाज गायन का आयोजन भी किया गया.

ABOUT THE AUTHOR

...view details