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5 साल बाद मिला अस्तित्व के लिए जूझती ऐरू नदी को न्याय, 10 करोड़ से होगा कायाकल्प

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Feb 18, 2024, 6:43 PM IST

अपने अस्तित्व के लिए जूझ रही ऐरू नदी को पांच साल बाद न्याय मिला है. कोर्ट ने नदी में अवैध खनन और मलबा डालने पर रोक लगा दी है. इसके कायाकल्प के लिए 10 करोड़ रुपए का प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा गया है.

Airu river of Bundi
ऐरू नदी को न्याय

बूंदी.भीलवाडा के घने जंगलों से निकल कर तिलस्वां महादेव से होते हुए बूंदी जिले के बरड़ क्षेत्र की प्यास बुझाते हुए चंबल नदी में समाहित होने वाली ऐरू नदी को 5 वर्षों के संघर्ष के बाद अब नवजीवन मिल सकेगा. राजस्थान उच्च न्यायालय के आदेश के बाद एक बार फिर ऐरू नदी चंबल नदी में जाकर मिल सकेगी. न्यायालय के आदेश के बाद बूंदी जिला कलेक्टर ने डीएमएफटी फंड से 10 करोड़ रुपए की योजना बनाकर राज्य सरकार को भेजी है, जिसमें ऐरू नदी का पूरा मलबा हटाकर दोनों तरफ पिलर लगाया जाना प्रस्तावित है.

पर्यावरण प्रेमी चबंल सांसद तथा पीपुल्स फॉर एनीमल के बूंदी जिला प्रभारी विठ्ठल सनाढ्य ने नदी की दुर्दशा को लेकर साल 2018 में एडवोकेट महेंद्र सिंह कच्छावा के माध्यम से एक याचिका दा​खिल की थी. याचिका की सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने नदी में हो रहे अवैध खनन को रोकने के साथ ही नदी में पड़े मलबे को हटाने के आदेश जारी किए. जिसके बाद सालों से अवैध खनन का शिकार हो रही ऐरू नदी का कायाकल्प होगा.

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अवैध खनन व अतिक्रमण का शिकार बनी ऐरू नदी: ऐरू नदी, भीलवाड़ा के तिलस्वा महादेव मंदिर के पास से बहती है और बूंदी तथा मुकुन्दरा होते हुए चंबल नदी में समा जाती है. यह नदी अवैध खनन के कारण छलनी हो चुकी है. बरसों से ऐरू नदी में खनन माफिया अवैध रूप से पत्थर तथा पट्टी फर्सी का खनन कर रहे हैं. वर्तमान में जहां देखो वहां पत्थर और पट्टियों और खनन मलबे के ही ढ़ेर नजर आते हैं. खनन माफिया ने इस एरू नदी को अवैध खनन करते हुए डंपयार्ड बना कर छोड़ दिया है.

सनाढ्य ने बताया कि ऐरू नदी में भीलवाड़ा जिले के एक गांव से तिलस्वा, काट का बाड़ा, बाणियों का तालाब, आरोली तथा बूंदी के धनेश्वर, पीपलदा, राजपुरा, राणाजी का गुडा, लांबाखोह, मुकंदरा नेशनल पार्क, अंबारानी मंदिर तक अवैध खनन हो रहा है. जिससे समूची नदी का मूल स्वरूप समाप्त होकर पूरी नदी में गड्ढे पड़ गए हैं.

वाटरमैन राजेन्द्र सिंह से मिली प्रेरणा:सनाढ्य ने बताया कि भीलवाड़ा के 6 गांवों के बाद बून्दी जिले के 3 गांव में होती हुई मुकंदर टाइगर रिजर्व में होकर चंबल नदी में मिलने वाली ऐरू नदी की हालत देख कर इसके अस्तित्व को बचाने का विचार आया. जिसकी प्रेरणा जल बिरादरी के अध्यक्ष व वाटररमेन राजेन्द्र सिंह से मिली और 2018 में राजस्थान उच्च न्यायालय में अस्तित्व के लिये जंग लड़ रही ऐरू नदी को बचाने के लिए जनहित याचिका दायर की.

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यह रही अस्तित्व बचाने की यात्रा:वर्ष 2018 में सनाढ्य ऐरू नदी की दुर्दशा देखकर आश्चर्यचकित रह गए. सनाढ्य ने इसकी जानकारी पीपुल्स फॉर एनिमल संस्था के प्रदेश प्रभारी बाबूलाल जाजू को दी और ऐरू नदी के अस्तित्व को बचाने की यात्रा शुरू हुई. सनाढ्य ने वर्ष 2018 में एडवोकेट महेंद्र सिंह कच्छावा के माध्यम से राजस्थान उच्च न्यायालय में की डबल बेंच में जनहित याचिका दायर कर कोर्ट के समक्ष में अवैध खनन के भयावह फोटो पेश कर अधिवक्ता के माध्यम से हालातों से अवगत करवाया.

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2023 तक चले इस मामले में उच्च न्यायालय ने ऐरू नदी और सनाढ्य के पक्ष में फैसला सुनाते हुए आदेश दिया कि ऐरू नदी क्षेत्र में अवैध खनन को तुरंत रोका जाए और इसका सीमांकन करवाकर इसके कायाकल्प के सभी कार्य किए जाएं. न्यायालय के आदेश आने के बाद बूंदी जिला कलेक्टर ने डीएमएफटी फंड से 10 करोड़ रुपए की योजना बनाकर राज्य सरकार को भेजी है, जिसमें ऐरू नदी का पूरा मलबा हटाकर दोनों तरफ पिलर लगाया जाना प्रस्तावित है. राज्य सरकार से राशि स्वीकृत होने के बाद कार्यकारी एजेंसी जल संसाधन विभाग द्वारा यह कार्य करवाया जाएगा.

खनिज अभियंता, बूंदी प्रथम मनीष वर्मा ने बताया कि न्यायालय ने माइनिंग विभाग को ऐरू नदी से मलबा हटाने के निर्देश दिए हैं. इसके बाद कलेक्टर ने जल संसाधन विभाग से मलबा हटाने का एस्टीमेट बनवा कर अप्रूवल के लिए सरकार को भेजा है. राज्य सरकार से राशि स्वीकृत होने के बाद कार्यकारी एजेंसी जल संसाधन विभाग द्वारा कार्य कराया जाएगा.

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