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नया कानून में प्रशासनिक और पुलिस अधिकारी को ED और CBI वाला पावर, लागू करने में कितनी चुनौती? देखें रिपोर्ट

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Mar 1, 2024, 5:43 PM IST

Bihar Crime Control Act: बिहार में अपराध नियंत्रण कानून 2024 के तहत बिहार में बढ़ते अपराध पर लगाम लगाने की तैयारी है. विशेषज्ञों का मानना है कि पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों को ईडी और सीबीआई वाला पावर दिया सकता है. हालांकि इसका दुरुपयोग भी हो सकता है. ऐसे में सरकार के पास इसे लागू करने में कितनी चुनौती है? पढ़ें पूरी खबर.

अपराध नियंत्रण कानून 2024
अपराध नियंत्रण कानून 2024

अपराध नियंत्रण कानून 2024

पटनाःबिहार में कथित जंगलराज से मुक्ति के लिए सरकार अपराध नियंत्रण कानून 2024 लागू करने जा रही है. गुरुवार को विधानसभा में इसे पास कर दिया गया है. विशेषज्ञ मान रहे हैं कि इसमें जिला अधिकारी. एसपी और इंस्पेक्टर लेवल तक के अधिकारियों को अतिरिक्त पावर दिया जाएगा. ईडी और सीबीआई की तरह काम करेंगे. इससे अपराधियों और माफियाओं पर नकेल कसा जा सकेगा.

नए कानून की जरूरत क्यों? विशेषज्ञ मान रहे हैं कि सरकार ने नया कानून तो लायी है लेकिन इसे लागू करने में चुनौती है. क्योंकि इसका दुरुपयोग भी हो सकता है. वरिष्ठ पत्रकार अरुण पांडे का कहना है की बिहार में 2005 से पहले अपराधियों का मनोबल काफी बढा हुआ था. नीतीश कुमार के सत्ता में आने के बाद इसी कानून के सहारे स्थिति में बदलाव किया गया. 2005 से दो दशक हो गया. अपराध के नए-नए स्वरूप सामने आ रहे हैं.

अधिकारियों की बढ़ेगी शक्तिः बिहार में आए दिन शराब, भू माफिया, बालू माफिया जैसे संगठित अपराध हो रहे हैं. साइबर अपराध की घटना भी बढ़ी है. ग्रामीण इलाकों में भी निजी जमीन हो या सरकारी जमीन माफिया स्थानीय प्रशासन की मिलीभगत से कब्जा कर रहे हैं. खरीद फरोख्त हो रहा है. ऐसे में इस नए कानून में काफी संसोधन कर इसे लाया गया है. इसमें अधिकारियों की शक्ति को बढ़ाया गया है.

"1981 के कानून को निरस्त कर नया कानून 2024 लागू किया गया है. इसमें पुलिस प्रशासन को अधिक ताकत दी गई है. जिला बदर तक करने की शक्ति है. यह अधिकार उसी तरह है जिस प्रकार से ईडी को दिया गया था. यानि अब अधिकारी खुली तरह से काम कर सकेंगे. हालांकि इसे लागू करने में चुनौती भी आ सकती है."- अरुण पांडे, वरिष्ठ पत्रकार

अपराधियों और माफियाओं पर अंकुश लगेगा:बिहार में कुछ दिन पहले एनडीए की सरकार बनी है. डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी लगातार अपराधियों और माफियाओं पर कार्रवाई की बात करते रहते हैं. ऐसे में क्या बिहार सरकार भाजपा के दबाव में कानून तो नहीं लायी है? इसपर अरुण पांडे का कहना है कि भाजपा सत्ता में आई है. इस कानून के भाव वही है कि अपराधियों और माफियाओं पर अंकुश लगेगा.

पारदर्शी रखना जरूरीः विशेषज्ञ का मानना है कि जिस एजेंसी को पावर दिया जा रहा है, उसकी कार्रवाई पारदर्शी हो यह देखना भी एक बड़ी चुनौती होगी. लोकसभा चुनाव से पहले सरकार ने यह कानून लाया है तो सरकार के लिए चुनौती है कि इसे सही ढंग से लागू करें. ऐसा ना हो कि पहले भी प्रशासन की मिली भगत से संगठित गिरोह अपराध करने वाले अपना काम कर रहे थे तो इससे अधिक और उगाही शुरू हो जाए.

कानून में संसोधन जरूरी थाः सरकार ने लोकसभा चुनाव से पहले कानून लाया है. इसका चुनाव पर कितना असर रहेगा. इसको लेकर अरुण पांडे ने बताया कि तो निश्चित रूप से सरकार की कोशिश इमेज बिल्डिंग की भी है. लेकिन पहले के कानून काफी पुराने थे. तब से लेकर अब तक अपराध के स्वरूप बदले हैं. नए नए अपराधिक घटना जुड़ गए हैं. ऐसे में इसपर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने के लिए कानून में संसोधन की जरूरत थी.

नए कानून से क्या प्रभाव पड़ेगा?1957 के खान खनिज अधिनियम बिहार उत्पाद व निषेध अधिनियम, आईटी अधिनियम और जमीन पर अवैध कबजा से निपटने की शक्ति नहीं थी. नए कानून में बालू, शराब, जमीन माफियाओं से निपटने की तैयारी है. 1981 के कानून से साइबर अपराध के साथ गैंग बनाकर बालू शराब, जमीन से जुड़े अपराध को नियंत्रित करना संभव नहीं हो रहा था. नए कानून से इसपर लगाम लगेगा.

इंस्पेक्टर को भी मिलेगा पावरः 1981 के अपराध नियंत्रण कानून की तुलना में नए कानून में इंस्पेक्टर को भी तलाशी और सामान जब्त करने की शक्ति दी गई है. पुलिस रिपोर्ट के आधार पर प्रशासन को कार्रवाई करने की व्यापक शक्ति प्रदान की गई है. नए कानून में अपराध में शामिल गैंगस्टर पर सीसीए भी लगेगा. पहली बार 6 महीने के लिए सीसीए लगेगा. सीसीए की अवधि 6 माह और बढ़ाई जा सकेगीय. सरकार सलाहकार बोर्ड की रिपोर्ट पर यह फैसला लेगी.

सलाहकार बोर्ड बनाया जाएगा: सलाहकार बोर्ड में तीन हाई कोर्ट के जज या ऐसी ही अहर्ता वाले अधिकारी नियुक्त किए जाएंगे. अपराध नियंत्रण कानून के साथ है बिहार लोक सुरक्षा उपाय प्रवर्तन विधायक 2024 भी लागू किया गया है. जिसमें राज्य के प्रतिष्ठानों, धार्मिक शैक्षणिक संस्थानों, डिपार्टमेंट, अस्पताल, बैंक, स्टेशन, बस स्टैंड पर सीसीटीवी कैमरा लगाने या निजी सीसीटीवी के 30 दिनों तक वीडियो फुटेज लेने की शक्ति सरकार को होगी. इसके लिए मना नहीं किया जा सकता है.

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