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मनोज तिवारी को तीसरी बार दिल्ली से लोकसभा टिकट, जानिए उनके राजनीतिक सफर के बारे में...

By ETV Bharat Delhi Team

Published : Mar 3, 2024, 8:09 PM IST

Lok Sabha Elections 2024: भाजपा ने आगामी लोकसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी. इस सूची में दिल्ली की पांच सीटें शामिल हैं. इन पांचों सीटों में से चार सीटों नए चेहरे को टिकट दिया गया है. बस एक पर बीजेपी ने पुराने कैंडिडेट मनोज तिवारी पर भरोसा जताया है. ऐसे में आइए जानते हैं उनके राजनीतिक सफर के बारे में...

मनोज तिवारी को तीसरी बार दिल्ली से लोकसभा टिकट
मनोज तिवारी को तीसरी बार दिल्ली से लोकसभा टिकट

मनोज तिवारी को तीसरी बार दिल्ली से लोकसभा टिकट

नई दिल्ली:भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा चुनाव 2024 के लिए दिल्ली में पांच सीटों पर प्रत्याशियों के नाम की घोषणा कर दी. पहली लिस्ट में बीजेपी ने बांसुरी स्वराज समेत चार नए चेहरे को टिकट दिया है. केवल मनोज तिवारी ही अपना टिकट बचाने में कामयाब रहे हैं. ऐसे में आइए जानते हैं मनोज तिवारी के राजनीतिक सफर के बारे में...

मनोज तिवारी साल 2014 और 2019 में बीजेपी के टिकट पर लोकसभा का चुनाव लड़ा था. साल 2014 के चुनाव में उन्होंने आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी आनंद कुमार को 1,44,084 वोटो के अंतर से आया था. वहीं, साल 2019 में उन्होंने कांग्रेस की प्रत्याशी पूर्व दिल्ली की मुख्यमंत्री स्वर्गीय शीला दीक्षित को 3,66,102 वोटों के अंतर से हराया था. ऐसे में एक बार फिर पार्टी ने उन पर भरोसा जताया है और उन्हें उत्तर पूर्वी दिल्ली से लोकसभा का उम्मीदवार बनाया है. मनोज तिवारी के प्रत्याशी बनाए जाने के बाद उनके सरकारी आवास पर कार्यकर्ताओं ने जमकर आतिशबाजी की और एक दूसरे को मिठाई खिलाई.

पीएम मोदी और शीर्ष नेतृत्व नेतृत्व का किया आभार:तिवारी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि मैं पहले वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और पार्टी के शीर्ष नेतृत्व का आभार प्रकट करना चाहता हूं. तिवारी ने आगे कहा कि पार्टी ने जो विश्वास जताया है उस पर खराब उतरूंगा. बीजेपी पूरी दिल्ली में 2019 के चुनाव में 56% वोट शेयर लेकर सातों सीटों पर जीत हासिल की थी. प्रयास रहेगा कि उस 56% वोट शेयर को 60% से अधिक लेकर आएं और बीजेपी को फिर से दिल्ली की सभी सात सीटों को जिताएं.

आप और कांग्रेस के कार्यकर्ताओं में गठबंधन से निराशा:इस समय आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता और कांग्रेस के कार्यकर्ता निराश और हताश है. दोनों पार्टियों के कार्यकर्ता को समझ में नहीं आ रहा है कि जो एक दूसरे के खिलाफ थे आज एक कैसे हो सकते हैं. हम लोग उनके बीच जाएंगे और कहेंगे कि जो दिल्ली को धोखा दे सकता है वह किसी को धोखा दे सकता है. पीएम मोदी ने 370 सीटों का टारगेट दिया है. बीजेपी इस बार 375 और एनडीए 400 पार सीट जीतेगी.

जिनको नहीं मिला टिकट वह मिलकर लड़वाएंगे चुनाव:तिवारी ने कहा कि जिन लोगों को टिकट भी नहीं मिला है वह पार्टी से बाहर नहीं हैं. वह भी पार्टी के लिए काम करेंगे. बीजेपी में किसी को भी खाली नहीं बैठाया जाता है. किसी को कुछ ना कुछ दिया जाता है. सभी मिलजुलकर चुनाव लड़ते हैं. लड़वाते हैं. इसलिए किसी भी कार्यकर्ता में कोई निराशा नहीं है.

मनोज तिवारी के बारे में कैसे हुई जीवन की शुरुआत: मनोज तिवारी मूल रूप से बिहार के रहने वाले हैं. उनका जन्म एक फरवरी 1971 को हुआ है. मनोज तिवारी ने वर्षों तक भोजपुरी फिल्मों में काम किया और नाम बनाया. उन्होंने साल 2010 में टेलीविजन रियलिटी शो 'बिग बॉस' में भी हिस्सा लिया था. भोजपुरी के साथ-साथ मनोज तिवारी ने कई हिंदी फिल्मों में भी काम किया है. कई मशहूर गाने भी उन्होंने गाए हैं. जिनका जादू लोगों पर सर चढ़कर बोला है. इतना ही नहीं हाल ही में उन्होंने कई भक्ति गाने भी गाए, जो काफी हिट साबित हुई.

तिवारी की पहली शादी साल 1999 में रानी तिवारी के साथ हुई थी. उनसे मनोज तिवारी की एक बेटी है, जिसका नाम रीति है. साल 2012 में मनोज तिवारी ने रानी से तलाक ले लिया. इसके बाद उन्होंने सुरभि से शादी कर ली. उनसे भी मनोज तिवारी को एक बेटी है. तिवारी क्रिकेट के भी शौकिन माने जाते हैं.

समाजवादी पार्टी से की थी राजनीतिक सफर की शुरुआत: मनोज तिवारी के राजनीतिक जीवन की शुरुआत साल 2009 में हुई थी. तब उन्होंने पहली बार समाजवादी पार्टी की टिकट पर गोरखपुर से चुनाव लड़ा था, लेकिन वह बीजेपी उम्मीदवार योगी आदित्यनाथ से हार गए थे. इसके बाद तिवारी अन्ना हजारे द्वारा शुरू किए गए आंदोलन में भी सक्रिय रहे थे.

वहीं, साल 2014 में जब बीजेपी के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा, तब उन्होंने कांग्रेस नेता आनंद कुमार को 1,44,084 वोटो के अंतर से हराया. तब तिवारी पहली बार सांसद बने. उसके बाद साल 2016 में दिल्ली में उन्हें भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया गया. जबकि, 2019 के लोकसभा चुनाव में वह दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय शीला दीक्षित को हराकर दूसरी बार सांसद बने थे.

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