हैदराबाद: भारत में बैसाखी का पर्व बहुत ही श्रद्धा और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. बैसाखी मुख्य रूप से सिखों का त्यौहार है. परंतु इसे हिंदू धर्म के अनुयायी भी बहुत ही श्रद्धा और भक्ति विश्वास के साथ मनाते हैं. बैसाखी का पर्व मुख्य रूप से नई फसल के तैयार होने का प्रतीक है. प्राचीन काल में कृषि ही जन सामान्य की आय का मुख्य स्रोत हुआ करती थी, जिस कारण से नई फसल उनके जीवन यापन का जरिया बनती थी इसलिए इस फसल उत्सव का विशेष महत्व होता था.
यदि बात करें धार्मिक मान्यताओं की तो इसी दिन खालसा पंथ की स्थापना की गई थी. सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोविंद सिंह ने आज ही के दिन खालसा पंथ की स्थापना करते हुए समाज को एकता. समानता और भाईचारे का संदेश दिया था. बैसाखी त्यौहार की मनाने की शुरुआत सबसे पहले गुरुद्वारे से होती है. गुरुद्वारों को सजाया सजाया जाता है उसके बाद जुलूस निकालते हुए नगर कीर्तन किया जाता है जिसमें गुरु ग्रंथ साहिब का पाठ और भजन कीर्तन किया जाता है. नि:शुल्क भोजन के लिए लंगर की व्यवस्था की जाती है. कई लोग इस दिन सिख धर्म की दीक्षा भी लेते हैं.
ऐसी मान्यता है कि धरती पर गंगा अवतरण के लिए तपस्या कर रहे महाराज भगीरथ की तपस्या इसी दिन पूरी हुई थी और मां गंगा ने धरती पर आने का वरदान दिया था. आज सोलर नव वर्ष है व मेष संक्रांति है. इस दिन से ही सूर्यदेव एक वर्ष बाद पुनः से पहली राशि मेष में प्रवेश करते हैं, इसके साथ ही नए सौर वर्ष की शुरुआत होती है. इस कारण से आज के दिन गंगा स्नान या गंगाजल से स्नान का व अन्न दान का विशेष महत्व है. इससे श्रद्धालुओं सभी कष्ट दूर हो जाते हैं, मां गंगा मनोकामना पूरी करती हैं और मोक्ष प्रदान करती हैं.