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आजादी के बाद पहली बार पिरान कलियर दरगाह में फहराया तिरंगा, मदरसों के पाठ्यक्रम में शामिल होगी श्रीराम की कहानी

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jan 27, 2024, 12:53 PM IST

Updated : Jan 27, 2024, 1:37 PM IST

Tricolor hoisted for the first time at Piran Kaliyar in Roorkee आजादी के अमृतकाल में बहुत सी चीजें ऐसी हो रही हैं जो पहले नहीं हुई थीं. उत्तराखंड में हरिद्वार जिले के रुड़की की पिरान कलियर दरगाह पर पहली बार तिरंगा फहराया है. गणतंत्र दिवस पर उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के चेयरमैन शादाब शम्स ने पिरान कलियर दरगाह पर तिरंगा फहराया. शम्स ने इस मौके पर कहा कि राष्ट्र सर्वोपरि है. मैं एक हिंदू मुसलमान हूं. पहले हिंदू हूं बाद में मुसलमान हूं. इसके साथ ही शादाब शम्स ने कहा कि हम मदरसों में श्रीराम की कहानी पढ़ाएंगे.

Piran Kaliyar in Roorkee
पिरान कलियर दरगार में तिरंगा फहराया

पिरान कलियर दरगाह में फहराया तिरंगा

रुड़की: विश्वविख्यात दरगाह पिरान कलियर शरीफ में देश की आजादी के बाद पहली बार देश का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा फहराया गया. इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर उत्तराखंड वक्फ बोर्ड चेयरमैन शादाब शम्स ने ज्वाइंट मजिस्ट्रेट रुड़की, मुख्य कार्यपालक अधिकारी वक्फ बोर्ड, तहसीलदार रुड़की और दरगाह प्रबंधक रजिया मौजूद रहीं. सैकड़ों की तादाद में जायरीनों और क्षेत्रीय लोगों ने मिलकर मादरे वतन हिंदुस्तान जिंदाबाद, भारत माता की जय के नारे लगाए और बड़ी शान से ध्वजारोहण किया.

पिरान कलियर में पहली बार फहराया तिरंगा: इस कार्यक्रम में पहुंचे लोगों ने बताया कि पहली बार यहां तिरंगा फहराया गया और राष्ट्रीय गान भी हुआ. भारत माता के नारों से दरगाह का परिसर गूंज उठा. शादाब शम्स ने बताया कि तिरंगे को यहां फहराने का शुभ अवसर मिला है, जिससे मैं खुश हूं. मां भारती को मैं अपना सलाम पेश करता हूं. उन्होंने कहा कि देश के अंदर कोई जगह ऐसी नहीं रहनी चाहिए, जहां तिरंगा न फहराया गया हो. हमारा मानना है नेशन फर्स्ट यानी देश प्रथम, मजहब द्वितीय. हम अंतिम पायदान पर खड़े हैं. इसलिए राष्ट्र सर्वोपरि है. मैं एक हिंदू मुसलमान हूं. पहले हिंदू हूं बाद में मुसलमान हूं.

पिरान कलियर के बारे में जानिए: आपको बता दें पिरान कलियर मुसलमानों के सबसे बड़े धार्मिक स्थलों में से एक है. हरिद्वार जिले के रुड़की के नजदीक ये दरगाह है. इसे हजरत मखदूम अलाउद्दीन अली अहमद साबिर की दरगाह भी कहते हैं. मुसलमानों में इस धार्मिक स्थल की बड़ी मान्यता है. यहां पर यात्रा करने के लिए देश विदेश और हर साल पाकिस्तान से भी इनके भक्त पहुंचते हैं. इस दरगाह पर केवल मुस्लिम ही नहीं बल्कि हिंदुओं की बड़ी आबादी भी माथा टेकने के लिए आती है. इसे रहस्यमयी शक्तियों का स्थान भी कहा जाता है.
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मदरसा पाठ्यक्रम में शामिल की जाएगी भगवान राम की कहानी:उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स का कहना है, "आधुनिक मदरसों में हम औरंगजेब के बारे में पढ़ाने के बजाय भगवान राम के बारे में और अपने नबी के बारे में पढ़ाएंगे. हम हिंदुस्तानी हैं और हमारा डीएनए भगवान राम से मेल खाता है. इसलिए हमने फैसला किया है कि हम ऐसा करेंगे. मार्च में शुरू होने वाले आधुनिक मदरसों में भगवान राम के बारे में पढ़ाया जाएगा.

Last Updated : Jan 27, 2024, 1:37 PM IST

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