दिल्ली

delhi

पिछले चार साल के तनाव से ना भारत को कुछ हासिल हुआ, न ही चीन को : जयशंकर

By PTI

Published : Mar 12, 2024, 11:32 AM IST

Jaishankar India China border row: विदेश मंत्री जयशंकर ने भारत चीन सीमा विवाद पर अपने विचार प्रकट किए. उन्होंने कहा कि पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ जारी सीमा विवाद से उपजे तनाव से दोनों देशों में से किसी को भी कुछ हासिल नहीं हुआ.

Tension over last four years not served either India or China (photo IANS)
पिछले चार साल के तनाव से ना भारत को कुछ हासिल हुआ, न ही चीन को : जयशंकर (फोटो आईएएनएस)

नई दिल्ली: पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ लगभग चार साल से जारी सीमा विवाद की पृष्ठभूमि में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा है कि इस अवधि के दौरान 'तनाव' से दोनों देशों में से 'किसी को भी कुछ हासिल नहीं हुआ.' जयशंकर ने कहा कि भारत 'निष्पक्ष और उचित समाधान' खोजने के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन यह ऐसा समाधान होना चाहिए, जो समझौतों का सम्मान करता हो और वास्तविक नियंत्रण रेखा को मान्यता देता हो.

उन्होंने सोमवार शाम को एक कार्यक्रम में परिचर्चा के दौरान कहा कि भारत ने ‘पाकिस्तान के साथ बातचीत के लिए अपने दरवाजे कभी बंद नहीं किए, लेकिन आतंकवाद का मुद्दा ईमानदारी से बातचीत के केंद्र में होना चाहिए.' हाल ही में दक्षिण कोरिया और जापान की आधिकारिक यात्रा से लौटे जयशंकर ने नयी दिल्ली में ‘एक्सप्रेस अड्डा’ के दौरान कूटनीति की बदलती प्रकृति से लेकर बदल रही वैश्विक व्यवस्था सहित कई मुद्दों पर अपने विचार साझा किए.

बाद में, उन्होंने राजनयिकों, व्यवसायियों, शिक्षाविदों, उद्यमियों, पत्रकारों और विदेश नीति के बारे में जानने के इच्छुक लोगों के एक वर्ग के प्रश्नों के उत्तर भी दिए. जब उनसे सवाल किए गए कि सीमा मुद्दे को सुलझाने के लिए ‘चीनी पक्ष ने अतीत में किन प्रस्तावों की पेशकश की और क्या कभी ऐसी स्थिति बनी जब उन्हें ऐसा लगा कि इस मुद्दे को वास्तव में सुलझाया जा सकता है, तो मंत्री ने कहा, ‘‘सीमा संबंधी विवादों को लेकर वार्ता कर रहे हर देश को यह मानना होता है कि इसका कोई समाधान अवश्य होगा.'

यह पूछे जाने पर कि यदि वर्तमान सरकार को ‘(संसद में) और सीट मिलती है तो क्या वह इस मुद्दे पर बात करने के लिए और अधिक सशक्त हो जाएगी’’, केंद्रीय मंत्री ने हस्तक्षेप करते हुए कहा, 'मेरे लिए, भारत की जमीन और सीमा समाधान की निष्पक्षता का सीट की संख्या से कोई लेना-देना नहीं है...या तो कोई समझौता अच्छा होता है या अच्छा नहीं होता। आज मुद्दा यह नहीं है कि आपके पास राजनीतिक बहुमत है या नहीं। मुद्दा यह है कि वार्ता की मेज पर आपके पास उचित समझौता है या नहीं.'

पूर्व विदेश सचिव जयशंकर ने भारत-चीन संबंधों पर कुछ श्रोताओं के सवालों के जवाब भी दिए. उन्होंने कहा, 'मुझे लगता है कि यह हमारे साझा हित में है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर इतनी अधिक संख्या में बल नहीं होने चाहिए. मुझे लगता है कि यह हमारे साझा हित में है कि हमें उन समझौतों का पालन करना चाहिए जिन पर हमने हस्ताक्षर किए हैं। पिछले चार साल से हमने जो तनाव देखा है, उससे हम दोनों देशों में से किसी को कोई फायदा नहीं हुआ.'

जयशंकर ने कहा, 'इसलिए, मेरा वास्तव में मानना है कि हम जितना जल्द इसे सुलझाते हैं, हमारे लिए यह उतना ही अच्छा होगा. मैं अब भी निष्पक्ष, उचित समाधान खोजने के लिए प्रतिबद्ध हूं लेकिन यह समाधान ऐसा होना चाहिए जो समझौतों का सम्मान करता हो, वास्तविक नियंत्रण रेखा को मान्यता देता हो और यथास्थिति को बदलने की कोशिश नहीं करता हो। मुझे लगता है कि यह हम दोनों के लिए अच्छा होगा.'

पैंगोंग झील क्षेत्र में हिंसक झड़प के बाद पांच मई, 2020 को पूर्वी लद्दाख सीमा पर गतिरोध पैदा हुआ था. जयशंकर ने भारत-पाकिस्तान संबंधों से जुड़े सवालों के भी जवाब दिए. उन्होंने इस बात का भी जवाब दिया कि अगर पाकिस्तान संपर्क करता है तो क्या भारत बातचीत के लिए तैयार होगा. उन्होंने कहा, 'हमने पाकिस्तान के साथ बातचीत के लिए अपने दरवाजे कभी बंद नहीं किए. सवाल यह है कि किस बारे में बात की जानी है... अगर किसी के पास इतनी अधिक संख्या में आतंकवादी ठिकाने हैं... तो वही बातचीत का केंद्र होना चाहिए.'

जब उनसे पूछा गया कि क्या पाकिस्तानी सेना के साथ बातचीत हो सकती है, तो उन्होंने कहा, ‘चीजें ऐसे काम नहीं करतीं.' उन्होंने कहा, 'जैसा कि मैंने कहा कि हमने पाकिस्तान के साथ बातचीत के लिए अपने दरवाजे कभी बंद नहीं किए... लेकिन बातचीत के केंद्र में स्पष्ट रूप से आतंकवाद का मुद्दा होना चाहिए. यह प्रमुख मुद्दा है... मैं यह नहीं कह रहा कि कोई अन्य मुद्दे नहीं हैं लेकिन मैं केवल बात करने के लिए इस मुद्दे को टालने वाला नहीं हूं.'

एक व्यक्ति ने सवाल किया कि क्या अमेरिका के प्रति भारत की नीति का चीन के प्रति रूस की नीति पर कोई प्रभाव पड़ा है। इसके जवाब में जयशंकर ने कहा, 'अगर रूस और चीन करीब आ गए हैं तो यह कोई मसला नहीं है... इससे भारत का लेना-देना नहीं है। यह उस स्थिति का परिणाम हो भी सकता है और नहीं भी, जिसमें रूस खुद को पश्चिम की तुलना में पाता है... रूस के प्रति हमारी नीति बहुत निष्पक्ष, बहुत उद्देश्यपूर्ण रही है. उन्होंने म्यांमा की स्थिति को ‘चिंताजनक’ बताया. उन्होंने कहा, 'अगर कोई केंद्रीय प्राधिकरण नहीं होता और बहुत खंडित प्रणाली होती है, तो कई अन्य समस्याएं पैदा होती हैं। यह स्थिति कई अवैध गतिविधियों के लिए उपजाऊ जमीन तैयार करती है.'

ये भी पढ़ें-भारत-जापान संबंधों पर एस जयशंकर बोले, 'महत्वपूर्ण है जापान आज भारत की सराहना करे...'

ABOUT THE AUTHOR

...view details