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सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से मांगी तिहाड़ में बंद न्यूजक्लिक के संस्थापक प्रबीर पुरकायस्थ की मेडिकल रिपोर्ट

By PTI

Published : Feb 20, 2024, 7:43 PM IST

Supreme Court News, NewsClick Founder Prabir Purkayastha, सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को दिल्ली पुलिस को न्यूज़क्लिक के संस्थापक प्रबीर पुरकायस्थ की मेडिकल रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया, जो वर्तमान में आतंकवाद विरोधी कानून यूएपीए के तहत दर्ज मामले में तिहाड़ जेल में बंद हैं.

Supreme Court
सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली पुलिस को समाचार पोर्टल 'न्यूजक्लिक' के संस्थापक प्रबीर पुरकायस्थ की मेडिकल रिपोर्ट सौंपने का मंगलवार को निर्देश दिया. पुरकायस्थ अभी गैर कानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत दर्ज एक मामले में तिहाड़ जेल में बंद हैं.

न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू को एक सप्ताह के अंदर जेल के चिकित्सा अधिकारी की रिपोर्ट सौंपने को कहा. पुरकायस्थ की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि उनके मुवक्किल की तबियत ठीक नहीं है और न्यायालय को जेल अधिकारियों से एक रिपोर्ट मांगनी चाहिए, जिसके बाद शीर्ष अदालत का यह निर्देश आया.

सिब्बल ने कहा कि 'समय तेजी से बीत रहा है लेकिन मुझे कोई खबर नहीं मिल रही है. हम अभी केवल यही चाहते हैं कि न्यायालय जेल अधीक्षक से उनकी मेडिकल रिपोर्ट मांगे. वह 74 साल के हैं और बहुत मुश्किल में है.' जेल के चिकित्सा अधिकारी से रिपोर्ट मांगे जाने के सिब्बल के अनुरोध का विरोध करते हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) राजू ने कहा कि वह अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) से उपयुक्त रिपोर्ट लेंगे.

न्यायालय ने राजू की आपत्ति पर नाराजगी जताते हुए कहा कि 'आपकी ओर से ऐसा बयान आना आश्चर्यजनक है. अगर आपको अपने अधिकारी पर ही भरोसा नहीं है, तो उन्हें हटा दें या उनके खिलाफ कार्रवाई करें. अगर आप इतने साहसी हैं तो कार्रवाई करें. अपने अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करें. यह आपकी और प्रशासन की अक्षमता को दर्शाता है.'

राजू ने कहा कि वह किसी अधिकारी विशेष पर आक्षेप नहीं लगा रहे हैं. न्यायालय ने एएसजी को एक सप्ताह के अंदर रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया. मामले में अगली सुनवाई 27 फरवरी को होगी. 'न्यूजक्लिक' के मानव संसाधन विभाग के प्रमुख अमित चक्रवर्ती ने आतंकवाद रोधी कानून यूएपीए के तहत खुद की गिरफ्तारी के खिलाफ अपनी याचिका न्यायालय से वापस ले ली थी.

इस महीने की शुरूआत में, दिल्ली की एक अदालत ने चक्रवर्ती को चीन के पक्ष में दुष्प्रचार के लिए धन प्राप्त करने के आरोप में समाचार पोर्टल के खिलाफ दर्ज मामले में सरकारी गवाह बनने की अनुमति दी थी.

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