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उत्तराखंड में ढाई लाख से ज्यादा सैन्य पृष्ठभूमि के वोटर होंगे निर्णायक, राजनीतिक दलों में लुभाने की लगी होड़ - Lok Sabha elections 2024

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Mar 30, 2024, 7:38 AM IST

Updated : Mar 30, 2024, 4:15 PM IST

Military voters of Uttarakhand in Lok Sabha elections 2024 लोकसभा चुनाव 2024 में उत्तराखंड में राजनीतिक पार्टियों की नजर सैन्य मतदाताओं पर भी है. उत्तराखंड में सर्विस मतदाताओं की संख्या 93,385 है. राज्य में सर्विस वोटर्स, पूर्व सैनिक और उनके परिजनों की संख्या मिला दें तो ये 2 लाख 57 हजार के करीब है. यानी उत्तराखंड के कुल मतदाताओं में करीब 13% मतदाता सैन्य पृष्ठभूमि से जुड़े हैं. ऐसे में बीजेपी और कांग्रेस सैन्य मतदाओं को लुभाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं.

Military voters of Uttarakhand
सैन्य मतदाता समाचार

उत्तराखंड में ढाई लाख से ज्यादा सैन्य पृष्ठभूमि के वोटर होंगे निर्णायक

देहरादून: उत्तराखंड सैनिक बाहुल्य प्रदेश होने के नाते यहां की राजनीति भी सैन्य मतदाताओं के इर्द गिर्द रही है. लोकसभा चुनाव के दौरान एक बार फिर सैन्य पृष्ठभूमि के परिवार राजनेताओं की जुबां पर हैं. हर दल खुद को सैनिकों का हितैषी बताने में जुटा है. खास बात यह है कि सबसे ज्यादा सर्विस वोटर्स की संख्या पौड़ी लोकसभा सीट में है. इसी सीट पर सर्विस वोटर्स, पूर्व सैनिकों और इनके परिजनों से जुड़े मुद्दे भी राजनेताओं की जुबान पर हैं.

सैन्य पृष्ठभूमि के वोटर को लुभाने में लगे राजनीतिक दल

सैनिक बाहुल्य प्रदेश है उत्तराखंड: उत्तराखंड में सैनिकों के सम्मान से जुड़े तमाम विषय राजनीतिक कार्यक्रमों में दिखते रहे हैं. पार्टियों के बड़े मंच हों या महत्वपूर्ण पद, सभी जगहों पर पूर्व सैनिकों को तवज्जो भी मिलती रही है. इसका सीधा कारण उत्तराखंड का सैनिक बाहुल्य प्रदेश होना है. शायद यही कारण है कि प्रदेश में देशभक्ति से जुड़े विषय राजनीतिक दल हाथों हाथ लेते हैं. लोकसभा चुनाव के दौरान भी सर्विस वोटर्स और पूर्व सैनिक राजनीतिक दलों के एजेंडे में दिख रहे हैं. इसीलिए जहां एक तरफ विपक्षी दल सेना से जुड़े कुछ मुद्दों को उठा रहे हैं तो भाजपा सेना में किए गए बड़े बदलावों की फेहरिस्त गिनवा रही है. उत्तराखंड में सैन्य वोटर्स को लेकर क्या है स्थिति आपको बताते हैं

उत्तराखंड में सैन्य मतदाता

  1. उत्तराखंड में सर्विस मतदाताओं की संख्या करीब 93,385 है
  2. सबसे ज्यादा सर्विस वोटर्स पौड़ी जनपद में हैं 15,999 हैं
  3. राज्य में सर्विस वोटर्स, पूर्व सैनिक और उनके परिजनों की संख्या 2 लाख 57 हजार से अधिक है
  4. इस लिहाज से सबसे ज्यादा मतदाता देहरादून जिले में मौजूद हैं
  5. कुल मतदाताओं में करीब 13% मतदाता सैन्य पृष्ठभूमि से जुड़े हैं
  6. भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस ने भी अपने संगठनों में पूर्व सैनिकों को स्थान दिया है
  7. अबतक सैन्य पृष्ठभूमि से जुड़े मतदाताओं की पहली पसंद भाजपा रही है

बीजेपी रही है सैनिकों की पहली पसंद:उत्तराखंड में सैन्य पृष्ठभूमि से जुड़े मतदाताओं की पहली पसंद अब तक भारतीय जनता पार्टी ही मानी जाती रही है. पिछले चुनावों के परिणामों में भी यह बात स्पष्ट होती हुई दिखाई देती है. लेकिन इतिहास को पीछे छोड़ते हुए कांग्रेस अब इन मतदाताओं के महत्व को समझकर इन्हें रिझाने के प्रयास में कमतर नहीं रहना चाहती. शायद इसीलिए लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस के प्रत्याशी अग्निवीर जैसे मुद्दे को फिर से हवा देने में जुटे हुए हैं. यही नहीं पूर्व सैनिकों की समस्याओं से जुड़े विषयों को भी चुनाव में उठाया जा रहा है. कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष मथुरा दत्त जोशी कहते हैं कि भारतीय जनता पार्टी दूसरे दलों के कार्यों को भी अपने खाते में जोड़ती रही है. वन रैंक वन पेंशन के मामले में यूपीए सरकार ने महत्वपूर्ण फैसला लिया था. लेकिन भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने लिए गए निर्णय में विसंगति लाकर सैनिकों का नुकसान किया. इसके अलावा अग्निवीर के जरिए सेना को कमजोर करने की कोशिश की जा रही है और युवाओं को भी स्थाई रोजगार से दूर रखा जा रहा है.

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष मथुरा दत्त जोशी.

उत्तराखंड में हैं करीब 94 हजार सैन्य मतदाता :उत्तराखंड में सर्विस मतदाताओं की बात करें तो सबसे ज्यादा सर्विस मतदाता पौड़ी जनपद में हैं. इसके बाद दूसरे नंबर पर पिथौरागढ़ जिला है. पिथौरागढ़ जिले में 14,353 सर्विस मतदाता हैं. तीसरे नंबर पर चमोली जिला है, यहां भी 10,372 सर्विस मतदाता हैं. इस तरह देखा जाए तो टॉप 3 जिले पर्वतीय हैं और यहां पर पूर्व सैनिकों की भी अच्छी खासी संख्या है. हालांकि सर्विस मतदाता और पूर्व सैनिक समेत उनके परिजनों की कुल संख्या को देखा जाए तो इस मामले में देहरादून जनपद में सबसे ज्यादा सैन्य पृष्ठभूमि के मतदाता रहते हैं. देहरादून में कुल 34,900 से ज्यादा ऐसे मतदाता रह रहे हैं. इस मामले में भी दूसरे नंबर पर पौड़ी जिला है, जहां 30,000 से ज्यादा यह सभी मतदाता रहते हैं.

ये हैं सैन्य मतदाताओं की मांगें:सैन्य पृष्ठभूमि से जुड़े मतदाताओं के मुद्दों पर नजर दौड़एं तो उनकी समस्याओं या सुविधाओं के रूप में कई जरूरतें हैं, जिनकी मांग होती रही है. इसमें पर्वतीय जिलों में सीएसडी कैंटीन खोले जाने की मांग भी शामिल है. इसके अलावा जिला सैनिक कल्याण दफ्तरों का विभिन्न शहरों में होना, स्वास्थ्य सेवाओं के लिए सैनिक अस्पताल प्रत्येक जनपद में स्थापित किया जाना और सैनिक विश्रामालय बनाया जाना शामिल है.

कांग्रेस ने उठाया अग्निवीर का मुद्दा:सैन्य पृष्ठभूमि से जुड़े मतदाताओं को भारतीय जनता पार्टी के तमाम कार्यक्रम भी आकर्षित करते रहे हैं. पिछले समय में भारतीय जनता पार्टी ने देहरादून में सैन्य धाम का शिलान्यास किया था. यही नहीं सैन्य धाम को प्रदेश का पांचवा धाम बनाये जाने की बात कह कर ऐसे मतदाताओं का दिल जीतने की भी कोशिश की गई थी. इतना ही नहीं प्रदेश भर में शहीद सम्मान यात्रा भी निकाली गई थी. हालांकि कांग्रेस भी इन मुद्दों पर कई तरह की प्रतिक्रिया देती रही है. चुनाव के दौरान कांग्रेस ने अग्निवीर का मुद्दा उठाकर भाजपा सरकार को घेरने की कोशिश की है. इसके अलावा कांग्रेस सैनिक सम्मेलन करने से लेकर राहुल गांधी सरीखे के बड़े नेताओं के मंच पर पूर्व सैनिकों को जगह देने तक का काम करती रही है.

बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता सुरेश जोशी.

सैनिकों को लुभाने की होती है कोशिश:उत्तराखंड के लोगों को हमेशा ही देशभक्ति से जुड़े मुद्दे भाते रहे हैं और राजनीतिक दल भी प्रदेश की इस आब-ओ-हवा को समझते हुए अपनी राजनीति को इसी दिशा में आगे बढ़ाने का काम करते रहे हैं. राजनीतिक दलों के घोषणा पत्र में भी सैनिक कल्याण से जुड़े विषयों को रखा जाता रहा है. सैनिक प्रकोष्ठ बनाकर राजनीतिक दलों ने इस बात को सिद्ध भी किया है. यही नहीं प्रदेश में सेना से जुड़े भुवनचंद्र खंडूड़ी, टीपीएस रावत राजनीति के दिग्गजों में शुमार किये गए हैं. लोकसभा चुनाव के लिहाज से प्रदेश की तीन लोकसभा सीटें ऐसे मतदाताओं को लेकर काफी अहम मानी जाती हैं. इनमें पौड़ी गढ़वाल लोकसभा, टिहरी लोकसभा सीट और अल्मोड़ा लोकसभा सीट शामिल हैं.

क्या कहती है बीजेपी:भारतीय जनता पार्टी इस मामले में सैन्य पृष्ठभूमि के मतदाताओं को लेकर आश्वस्त सी दिखाई देती है. इसके पीछे बड़ी वजह यह है कि प्रदेश में ऐसे मतदाता भाजपा के ही खाते में गिने जाते रहे हैं. शायद पिछले चुनावों में भाजपा को इसका बड़ा फायदा भी मिलता रहा है. पार्टी के वरिष्ठ नेता सुरेश जोशी कहते हैं कि भारतीय जनता पार्टी हमेशा से ही सेना के प्रति सम्मान और कर्तव्य को निभाती रही है. सीमा पर शहीद हुए जवान के शव को उनके घर तक पहुंचाने की जिम्मेदारी हो या फिर वन रैंक वन पेंशन का हक देने की बात भारतीय जनता पार्टी की सरकारों ने ही इस मामले में पहल की है.
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Last Updated : Mar 30, 2024, 4:15 PM IST

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