ETV Bharat / state

उत्तरकाशीः डोडीताल में मां अन्नपूर्णा के दर्शन के साथ संपन्न हुई सोमेश्वर देवता की पदयात्रा

author img

By

Published : Jul 26, 2022, 6:31 PM IST

Updated : Jul 26, 2022, 9:00 PM IST

उत्तरकाशी के गीठ पट्टी के 12 के आराध्य सोमेश्वर देवता की डोली पदयात्रा का समापन हुआ. पदयात्रा का समापन बडिया गांव में हुआ. समापन से पहले डोली भगवान गणेश के जन्मस्थल डोडीताल में मां अन्नपूर्णा के मंदिर भी पहुंची. इस दौरान सैकड़ों ग्रामीणों ने भी मां के दर्शन किए.

ganesh
भगवान गणेश की जन्मस्थली डोडीताल

उत्तरकाशीः सावन माह में उत्तराखंड के मैदानी जिलों में बम भोले के जयकारे गुंजायमान हैं तो ऊंचे हिमालय में आराध्य देवताओं की पदयात्रा निकाली जा रही है. बीते दिन पहाड़ी जिले उत्तरकाशी के गीठ पट्टी के 12 गांव के आराध्य सोमेश्वर देवता की डोली पदयात्रा का समापन हुआ. इस दौरान असी गंगा घाटी के ग्रामीणों ने डोडीताल में देव डोली का भव्य स्वागत किया.

21 जुलाई से उत्तरकाशी के बडिया गांव से शुरू हुई सोमेश्वर देवता डोली की पदयात्रा का बीते दिन गांव पहुंचने पर ही समापन हुआ. 32 किमी की पदयात्रा के दौरान डोली बीते दिन भगवान गणेश की जन्म स्थली डोडीताल पहुंची. जहां मां अन्नपूर्णा मंदिर के दर्शन किए. इस दौरान डोली के साथ बड़ी संख्या में 12 गांव ग्रामीण मौजूद रहे. इसके बाद डोली अपने समापन स्थल बडिया गांव के लिए रवाना हुई.

डोडीताल में मां अन्नपूर्णा के दर्शन के साथ संपन्न हुई सोमेश्वर देवता की पदयात्रा.

इन 32 किमी की पदयात्रा के दौरान देव डोली हनुमान चट्टी, कंडोला, सेम, बंगाणी, द्रवा टॉप होते हुए करीब 32 किलोमीटर लंबी यात्रा के बाद डोडीताल पहुंची. इस ग्रामीणों ने बुग्याल से अच्छादित डोडीताल में रसौ-तांदी नृत्य कर यात्रा का लुत्फ भी उठाया. यात्रा में शामिल संदीप राणा ने बताया कि 32 किलोमीटर लंबे ट्रैक पर अनेक र‌मणिक पर्यटक स्थल हैं.
ये भी पढ़ेंः विधि-विधान के साथ खुले डोडीताल में मां अन्नपूर्णा मंदिर के कपाट, यहीं हुआ था भगवान गणेश का जन्म

भगवान गणेश का जन्म स्थानः डोडीताल को गणेश भगवान की जन्मस्थली कहा जाता है. स्कंदपुराण और शिवपुराण में उल्लेख है कि उत्तरकाशी के केलशु घाटी में मां पार्वती अन्नपूर्णा के स्वरूप में निवास करती थीं. मां अन्नपूर्णा डोडीताल अपनी सखियों के साथ सरोवर में हर दिन स्नान किया करती थीं. एक दिन भगवान शिव अचानक डोडीताल में प्रवेश कर गए. तब मां की सखियों ने डोडीताल के द्वार पर एक द्वारपाल रखने सुझाव दिया.

इसके बाद मां अन्नपूर्णा ने अपनी दिव्यशक्ति से एक पुत्र उत्पन्न किया. जिनका नाम गणेश रखा गया. मां ने गणेश को डोडीताल में द्वारपाल बनाकर खड़ा किया. गणेश जी को किसी को भी अंदर नहीं आने देने का आदेश दिया गया था. कहा जाता है कि इसी दौरान भगवान शिव वहां पहुंचे और भगवान गणेश ने उन्हें रोक दिया. इससे भगवान शिव क्रोधित हो गए और दोनों के बीच युद्ध शुरू हो गया.

क्रोध में आकर भगवान शिव ने गणेश जी का सिर धड़ से अलग कर दिया था. जिस पर मां अन्नपूर्णा ने भगवान शिव से उनके पुत्र को जीवित करने के लिए कहा. इसके बाद भगवान शिव ऋषिकेश के जंगलों से हाथी के एक बच्चे का सिर लाए. जिसे गणेश के धड़ से जोड़ा गया. तभी से भगवान गणेश को गजानन नाम से जाना जाने लगा. तब से केलशु क्षेत्र के लोग मां अन्नपूर्णा और गणेश की पूजा करते आ रहे हैं.

Last Updated :Jul 26, 2022, 9:00 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.