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श्रद्धालुओं के लिए खुले डोडीताल अन्नपूर्णा मंदिर के कपाट, जानिये क्या है महत्ता

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Published : Apr 9, 2023, 7:14 PM IST

प्रसिद्ध गणेश मंदिरों में शामिल डोडीताल अन्नपूर्णा मंदिर के कपाट खुल गये हैं. पहले दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने अन्नपूर्णा मंदिर में दर्शन किया. इसके साथ ही इस मौके पर बड़ी संख्या में स्थानीय लोग भी मौजूद रहे.

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श्रद्धालुओं के लिए खुले डोडीताल अन्नपूर्णा मंदिर के कपाट

श्रद्धालुओं के लिए खुले डोडीताल अन्नपूर्णा मंदिर के कपाट

उत्तरकाशी: भगवान गणेश की जन्मस्थली माने जाने वाले डोडीताल स्थित मां अन्नपूर्णा मंदिर के कपाट गणेश चतुर्थी के पावन पर्व श्रद्धालुओं के लिए खुल गये हैं. आज दूधारी नाग देवता की मौजूदगी में विधिविधान एवं धार्मिक अनुष्ठान के बाद मंदिर के कपाट खोले गये. इस मौके पर गंगोत्री विधायक सुरेश चौहान भी मौजूद रहे. आयोजन में शामिल ग्रामीणों एवं पर्यटकों ने डोडीताल क्षेत्र में बिखरे प्राकृतिक सौंदर्य का लुत्फ उठाया.

तय कार्यक्रमानुसार शनिवार को अगोड़ा से उत्तरौं, भंकोली व अगोड़ा के आराध्य नागदेवता की डोली की अगुआई में धार्मिक यात्रा डोडीताल के लिए रवाना हुई. देर शाम डोडीताल पहुंचकर ग्रामीणों ने यहां मां अन्नपूर्णा मंदिर परिसर में रातभर रात्रि जागर किया. रविवार को गणेश चतुर्थी के पावन पर्व पर डोडीताल में देव डोली के पवित्र स्नान के बाद धार्मिक अनुष्ठान के साथ अन्नपूर्णा मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोले गए. इस दौरान पांडव पश्वाओं पर देवता अवतरित होने पर उन्होंने ग्रामीणों की समस्याओं का समाधान बताया.

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इस दौरान दिल्ली, मुबई, महाराष्ट्र से भी पर्यटक डोडीताल में पहुंचे. मंदिर के मुख्य पुजारी डा.राधेश्याम खंडूड़ी ने बताया पुराणों के अनुसार डोडीताल भगवान गणेश की जन्म स्थली है. यह क्षेत्र पर्यटन के साथ ही तीर्थाटन महत्व का भी है. इस मौके पर गंगोत्री विधायक सुरेश चौहान भी मौजूद रहे.

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डोडीराजा के रुप में पूजे जाते हैं गणेश: आचार्य संतोष खंडूड़ी ने बताया स्कंदपुराण में वर्णित कथा के अनुसार डोडीताल मां पार्वती का स्नानस्थल था. जहां एक बार जब मां पार्वती स्नान के लिए जा रही थी, तो उन्होंने अपनी सुरक्षा के लिए एक बालक की दिव्य आकृति बनाई. जिसमें डोडीताल का जल डाला तो उसमें प्राण आ गए. इसी बालक ने जब शिव का रास्ता रोका तो उनके बीच युद्ध हुआ. तब शिव ने गणेश का सिर काट दिया. बाद में हाथी के बच्चे का सिर लगाकर गणेश भगवान को पुनर्जीवित किया गया. यहां स्थानीय बोली में गणेश को डोडीराजा कहा जाता है, जो केदारखंड में गणेश के लिए प्रचलित नाम डुंडीसर का अपभ्रंश है. मंदिर के कपाट खुलने के बाद बड़ी संख्या में देशी-विदेशी पर्यटक पहुंचते हैं.

कैसे पहुंचे डोडीताल: जिला मुख्यालय उत्तरकाशी से डोडीताल करीब 32 किमी की दूर है. अगोड़ा गांव तक 15 किमी की दूरी वाहन से तय की जा सकती है. जिसके बाद करीब 16 किमी पैदल दूरी तय करनी पड़ती है. जहां एक छोटा प्राचीन मां अन्नपूर्णा का मंदिर है. इसके पास ही एक भव्य मंदिर का निर्माण कराया गया है.

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