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उत्तरकाशी एवलॉन्च: रेस्क्यू में इंद्रा और रजिया ने दिखाया दम, लखनऊ से आए डॉग्स हैं खास

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Published : Oct 13, 2022, 11:01 AM IST

Updated : Oct 13, 2022, 12:33 PM IST

द्रौपदी का डांडा चोटी आरोहण के दौरान हुए हिमस्खलन (Uttarkashi Avalanche) की घटना में नेहरू पर्वतारोहण संस्थान (निम) उत्तरकाशी के दो प्रशिक्षु अभी भी लापता हैं. जिनकी तलाश जारी है. वहीं, रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान सेना के डॉग स्क्वायड में तैनात इंद्रा और रजिया ने बर्फ में दबे चार पर्वतारोहियों के शवों को खोज निकाला.

Uttarkashi Avalanche
उत्तरकाशी एवलॉन्च

उत्तरकाशी: उत्तरकाशी के द्रौपदी का डांडा (Draupadi ka Danda II) चोटी आरोहण के दौरान एवलॉन्च की घटना में नेहरू पर्वतारोहण संस्थान (Nehru Institute of Mountaineering) के दो प्रशिक्षु अभी भी लापता हैं, जिनकी तलाश जारी है. एसडीआरएफ की टीम क्रेवास में उतरकर लापता प्रशिक्षुओं की तलाश में जुटी हैं. वहीं, लापता पर्वतारोहियों को खोजने में सेना के सेंटर कमांड लखनऊ के डॉग स्क्वायड में तैनात इंद्रा और रजिया (Army dogs Indra and Razia) ने भी अहम भूमिका निभाई है.

पांच दिनों तक 17 हजार फीट की ऊंचाई पर चले रेस्क्यू अभियान के दौरान इन दोनों डॉग्स ने चार शवों को तलाश किया. इंद्रा और रजिया ऐसे कई रेस्क्यू अभियानों में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर चुकी हैं. द्रौपदी का डांडा 2 (Draupadi ka Danda II) एवलॉन्च की चपेट में आने से मृत 29 पर्वतारोहियों के परिजनों ने घटना के लिए नेहरू पर्वतारोहण संस्थान (Nehru Institute of Mountaineering) को जिम्मेदार ठहराया है.

वहीं, लापता पर्वतारोहियों की तलाश के लिए हाई एल्टीट्यूड वॉरफेयर स्कूल गुलमर्ग, आईटीबीपी, एसडीआरएफ, सेना, वायु सेना और एनडीआरएफ एवं निम के जवान जुटे हुए हैं. इन टीमों का साथ दे रही हैं सेना की दो बहादुर डॉग्स, जिनका नाम इंद्रा और रजिया है. इंद्रा 5 साल और रजिया 6 साल की लेब्राडोर प्रजाति की डॉग्स हैं और जन्म से ही सेना के साथ सेवाएं दे रही हैं.
पढ़ें- उत्तरकाशी एवलॉन्च: पूरे देश को लगा झटका, बुझ गए कई घरों के चिराग, अपनों की लाशें थाम रहे थे कांपते हाथ

सेना के जवानों के मुताबिक इन दोनों डॉग्स ने 17 हजार फीट की ऊंचाई पर रेस्क्यू ऑपरेशन में हिस्सा लिया और 4 पर्वतारोहियों के शवों की तलाश की. इंद्रा के हैंडलर लांस नायक प्रभुदास और रजिया के हैंडलर लांस नायक शुभंकर पाल ने बताया कि दोनों जन्म से ही सेना में हैं. दोनों अब तक कई रेस्क्यू अभियान में भाग ले चुकी हैं. डोकरानी बामक ग्लेशियर क्षेत्र में रेस्क्यू के दौरान दोनों पांच से छह घंटे तक काम करते थे.

बीते मंगलवार को इंद्रा एवं रजिया वायु सेना के हेलीकाप्टर से मातली हेलीपैड पहुंचे. वह अभी कुछ दिनों तक तेखला स्थित सेना के कैंप में रहेंगी. संभावना है कि आवश्यकता पड़ने पर इन्हें फिर घटनास्थल पर भेजा जाएगा.

सिलसिलेवार जानिए घटनाक्रम

  1. 4 अक्टूबर को करीब पौने नौ बजे एवलॉन्च की चपेट में आए प्रशिक्षु पर्वतारोही और प्रशिक्षक.
  2. 4 अक्टूबर को ही फर्स्ट रिस्पांडर ने 4 शव बरामद किए.
  3. 5 अक्टूबर को 42 पर्वतारोहियों में से 13 को बचाया गया.
  4. 6 अक्टूबर को रेस्क्यू दल घटनास्थल पर पहुंचा और 15 शव बरामद किए.
  5. 7 अक्टूबर को रेस्क्यू दल ने 7 और शव बरामद किए. घटना के दिन बरामद चार शवों को उत्तरकाशी पहुंचाया गया.
  6. 8 अक्टूबर को 7 शवों को एडवांस बेस कैंप से मातली हेलीपैड पहुंचाया गया. वहीं, रेस्क्यू दल ने घटना स्थल से एक और शव बरामद किया.
  7. 9 अक्टूबर को 10 शव सेना के हेलीकॉप्टर से मातली लाए गए.
  8. अब तक 27 शव परिजनों को सौंप जा चुके हैं.
  9. वहीं, 2 पर्वतारोही अभी भी लापता हैं.
  10. बर्फबारी और खराब मौसम की वजह से रेस्क्यू ऑपरेशन रोका गया है.
Last Updated : Oct 13, 2022, 12:33 PM IST
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