काशीपुर: 18 फरवरी को महाशिवरात्रि का पर्व धूमधाम से मनाया जाएगा. जिसको लेकर हरिद्वार से गंगाजल कांवड़ में रखकर लाने वाले कांवड़ियों का उत्साह अपने चरम पर है. काशीपुर में कांवड़ बनाने वाले कारीगरों में भी इसे लेकर उत्साहित हैं. महंगाई के बावजूद कांवडिये अपनी मनपसंद कांवड़ों को खरीदने में जुटे हुए हैं.
बताते चलें हर साल काशीपुर तथा आसपास के क्षेत्र से हरिद्वार से गंगाजल लेकर जाने वाले कांवड़ियों की संख्या काफी अधिक मात्रा में रहती है. कांवड़ियों का उत्साह में पिछले 40 सालों से चार चांद लगा रहे हैं. कांवड़ बनाने वाले कारीगरों ने भी इसकी तैयारियां पूरी कर ली हैं. अमरनाथ यादव और उनका परिवार ये ही काम करता है. अमरनाथ यादव के मुताबिक महाशिवरात्रि से दो से ढाई माह पूर्व वह और उनका परिवार कांवड़ के ढांचे तैयार करने में जुट जाता है. उनके मुताबिक इसके लिए बांस, सुतली, टूल, पतली डंडी, गोटा, लाल कपड़ा, टोकरी आदि सामान की जरूरत होती है. कांवड़ की कीमतों में काफी उछाल आ गया है. कांवड़ पहले डेढ़ ₹150 से ₹200 तक की मिलती थी. बैकुंठी कांवड़ जो पहले डेढ़ सौ रुपए की मिलती थी वह ₹400 में मिलती है. वहीं खडेश्री और झूलेश्री कांवडों की कीमतों मे भी दोगुनी हो गई है.
हरिद्वार कांवड़ लेने जाने वाले शिव भक्तों के मुताबिक पहले बैकुंठी कांवड़ के ढांचे 150 रुपए में मिल जाते थे, अब बैकुंठी कांवड़ के के ढांचे की कीमत ₹400 है. जहां पहले ₹500 में पूरी कांवड़ लेकर वापस घर आ जाते थे, अब केवल ₹500 में कांवड़ के ढांचे और सजावट का सामान मिलता है. जहां शिवभक्त स्वयं भी कांवड़ के ढांचे तैयार करके हरिद्वार के लिए रवाना होते हैं. वहीं आधुनिकता के दौर में बाजार में कांवड़ के ढांचे मिलने से शिव भक्तों को किसी भी तरह की दिक्कत नहीं होती. उनका समय भी कांवड़ के ढांचे को तैयार करने में बच जाता है.