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मत्स्य निरीक्षक ने मांगुर मछली का व्यापार करने वालों को दी चेतावनी

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Published : Sep 18, 2020, 1:25 PM IST

Updated : Sep 18, 2020, 2:53 PM IST

मांगुर मछली को भारत सरकार द्वारा बैन करने के बावजूद काशीपुर, जसपुर और महुआखेड़ा क्षेत्रों में खुलेआम इन मछलियों को तालाबों में पालकर मंडी में बेचा जा रहा है. मत्स्य निरीक्षक ने ऐसे लोगों को चेतावनी दी है.

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मांगुर मछली

काशीपुर: पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रही अफ्रीकी मांगुर मछली का पालन करने और इसकी बिक्री करने पर सरकार और एनजीटी द्वारा रोक लगा दी गई थी. इसके बावजूद इस मछली का पालन आज भी काशीपुर, जसपुर और महुआखेड़ा क्षेत्रों में खुलेआम हो रहा है. साथ ही बाजारों और मंडियों में बेचकर सरकार के आदेशों का उल्लंघन किया जा रहा है. मांगुर मछली पालक पर्यावरण के अलावा जीव-जंतुओं और मनुष्य को भी नुकसान पहुंचाने का कार्य कर रहे हैं. जिसके बाद अब जिला प्रशासन के द्वारा मांगुर मछली पालकों पर कार्रवाई करने की तैयारी हो रही है. जिसके तहत मत्स्य विभाग के निरीक्षक ने जांच की.

व्यापार करने वालों को दी चेतावनी

मांगुर मछली पर्यावरण के अलावा पानी में रहने वाले जीव-जंतुओं के लिए घातक है. इसके सेवन करने से अनेकों प्रकार की बीमारी होने की आशंका होती है. इसको देखते हुए सरकार ने इसके पालने और बिक्री पर प्रतिबंध लगाया है. इसके बावजूद काशीपुर, जसपुर और महुआखेड़ा क्षेत्र में कई ऐसे तालाब हैं जिनमें बड़ी तादाद में मांगुर मछली पालन किया जा रहा है. एनजीटी और केंद्र सरकार द्वारा वर्षों पूर्व मांसाहारी मांगुर मछली पर देशभर में इसके पालने और बेचने पर रोक लगाई गई है. जिला प्रशासन के द्वारा प्रतिबंधित मांगुर मछली पालकों पर नकेल कसने की तैयारी शुरू कर दी है. मत्स्य विभाग के मत्स्य निरीक्षक विकास सिंह ने रामनगर रोड पर स्थित सोना फार्म में पाली जा रही मछली के तालाबों का निरीक्षण किया.

मत्स्य निरीक्षक विकास सिंह ने बताया कि जांच के बाद मछली पालकों को नोटिस देने की तैयारी की जा रही है. उन्होंने बताया कि नोटिस देने के एक सप्ताह के भीतर अगर मछली पालकों ने प्रतिबंधित मांगुर मछली को नष्ट नहीं किया तो प्रशासनिक कार्रवाई की जाएगी. टीम द्वारा तालाबों में पाली जा रही मांगुर मछली की खेप को जमीन में गड्ढा खोदकर दफन किया जाएगा.

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बता दें कि, अफ्रीकी मांगुर मछली भारत की मांगुर मछली से एकदम भिन्न है. क्योंकि देशी मांगुर मछली सामान्य शुद्ध भोजन खाती है जो कि करीब एक वर्ष में तैयार होती है. लेकिन अफ्रीकी मांगुर मछली एक मांसाहारी प्रजाति है. यह मात्र चार-पांच महीने में ही दो से ढाई किलो की हो जाती है. देशी मांगुर मछली को तैयार होने में ज्यादा समय लगता है. साफ-सुथरा पानी, भोजन के कारण खर्च ज्यादा होने के चलते मछली पालक अधिकतर प्रतिबंधित मांसाहारी मांगुर मछली पालन को प्राथमिकता देते हैं. क्योंकि यह दूषित पानी में भी रह जाती है. स्लॉटर हाउस से लाया गया बचा खुचा मांस तालाबों में डाल दिया जाता है. जिस मांस को खाकर यह 4-5 माह में ही दो से ढाई किलो के वजन की हो जाती है. इससे मछली पालकों को कम समय में अच्छा मुनाफा मिल जाता है.

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काशीपुर क्षेत्र के ग्राम बांसखेड़ा स्थित तालाब में करीब 50-60 क्विंटल, रामनगर रोड स्थित सोना फार्म के निकट बने कई तालाबों में सैकड़ों क्विंटल मांसाहारी मांगुर मछली पालन किया जा रहा है. मांगुर मछली तैयार है, लेकिन कोरोना के चलते बाहर के मछली व्यापारियों के न आने के कारण मांगुर मछली की बिक्री नहीं हुई है. लेकिन लोकल बाजार और मछली मंडी में इसकी बिक्री की जा रही है. इसके अलावा महुआखेड़ा और जसपुर क्षेत्र में बड़े-बड़े तालाबों में प्रतिबंधित मांसाहारी मांगुर मछली पालन किया जा रहा है. जो पर्यावरण के साथ-साथ नदी-नालों और तालाबों में रहने वाले जीव-जन्तुओं, कछुआ आदि जीवों को नुकसान पहुंचा रही है.

Last Updated : Sep 18, 2020, 2:53 PM IST
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