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Check Bounce Case: 10 लाख के लोन की नहीं चुकाई किस्त, चेक हुआ बाउंस, अब हुई जुर्माने के साथ जेल की सजा

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Sep 1, 2023, 2:29 PM IST

Loan from finance company ऋषिकेश निवासी शख्स ने हिंडोलाखाल की ऋषि गंगा फाइनेंस कंपनी से 10 लाख रुपए का ऋण लिया. उसने तीन साल में 18 फीसदी ब्याज के साथ ऋण चुकाना था. किस्त नहीं चुकाने और चेक बाउंस होने पर इस कर्जदार को अब जेल जाना होगा. Loan Installment

Check Bounce Case
टिहरी बैंक लोन

टिहरी: चेक बाउंस के आरापी को छह माह का कारावास हुआ है. इसके साथ ही 9.05 लाख रुपये कंपनी को और 5 हजार रुपये राजकीय कोष में जमा करने का आदेश दिया गया है. मामला करीब 7 साल पुराना है. ऋषिकेश निवासी व्यक्ति ने 10 लाख रुपए का कर्जा लिया था.

चेक बाउंस होने पर सजा: नई टिहरी में अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, अपर सीनियर सिविल जज आफिया मतीन की अदालत ने चेक बाउंस के आरोपी को 9.10 लाख रुपये अर्थदंड और छह माह की साधारण कारावास की सजा से दंडित किया है. साथ ही 9.05 लाख रुपये संबंधित कंपनी को बतौर प्रतिकर और पांच हजार रुपये राजकोष में जमा करने के आदेश भी जारी किए हैं.

ये है पूरा मामला: वादी के अधिवक्ता सोहन सिंह रावत ने बताया कि अभियुक्त मुंशी विरेंद्र सिंह राणा पुत्र कुंदन सिंह राणा निवासी शिवाजी नगर ऋषिकेश ने ऋषि गंगा फाइनेंस हिंडोलाखाल से व्यवसाय के लिए सितंबर 2016 में तीन साल के 18 प्रतिशत ब्याज पर कुल 10 लाख रुपये का ऋण लिया था. लेकिन उसने नियमित रूप से ऋण की किस्त नहीं चुकाई.

ऋण लेकर नहीं चुकाई किस्त: उसने कंपनी के नाम बकाया ऋण की अदायगी के लिए चेक जारी किया, जो बाउंस हो गया. जिसके बाद ऋषि गंगा कंपनी ने अभियुक्त के खिलाफ कोर्ट में वाद दायर किया. 11 दिसंबर 2021 को राष्ट्रीय लोक अदालत में अभियुक्त ने कंपनी को 1.50 लाख रुपये का भुगतान कर अवशेष 14 लाख रुपये की धनराशि 8 दिसंबर 2022 तक भुगतान करने का वादा किया. लेकिन अभियुक्त ने दिए गए समय पर कंपनी को पैसा वापस नहीं लौटाया.

6 महीने की जेल: कंपनी की ओर से भुगतान के लिए लगातार दबाव बनाने पर अभियुक्त ने 8 दिसंबर 2022 की तिथि का चेक कंपनी को दिया. उसके बाद कंपनी ने 12 दिसंबर को चेक भुगतान के लिए बैंक में लगाया. लेकिन चेक वाले खाते में पर्याप्त धनराशि नहीं मिली. अधिवक्ता ने अदालत में अभियुक्त की ओर से जारी किया गया मूल चेक, जमा पर्ची और रिटर्न मेमो प्रस्तुत कर अभियुक्त से धनराशि वापस दिलाने की गुहार लगाई. अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, अपर सीनियर सिविल जज आफिया मतीन की अदालत ने अभियुक्त को चेक बाउंस का दोषी पाते हुए सजा सुनाई.
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