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सेमिनार में छात्र-छात्राओं को खेती के लिए किया प्रेरित, बोले- अब नहीं छोड़ेंगे गांव

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Published : Dec 6, 2019, 3:03 PM IST

जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल की अध्यक्षता में आयोजित कार्यक्रम में कृषक मुरली सिंह चौधरी ने द्वीप प्रज्वलित कर शुभारंभ किया. उन्होंने कहा कि युवावर्ग गांव में कार्य करने को तैयार नहीं है. जबकि शिक्षित युवा और युवतियां गांव में ही वैज्ञानिक तरीके से कृषि कर स्वरोजगार को बढ़ावा दे सकते हैं.

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सेमिनार में छात्र-छात्राओं को खेती के लिए किया प्रेरित.

रुद्रप्रयाग: अगस्त्यमुनि महाविद्यालय में पर्वतीय कृषि पर गोष्ठी का आयोजन किया गया. जिसमें छात्र-छात्राओं, शिक्षकों और जिले के कृषकों ने भाग लिया. साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि को बढ़ावा देने और पलायन को रोकने पर चर्चा हुई.

सेमिनार में छात्र-छात्राओं को खेती के लिए किया प्रेरित.

जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल की अध्यक्षता में आयोजित कार्यक्रम में कृषक मुरली सिंह चौधरी ने द्वीप प्रज्वलित कर शुभारंभ किया. इस मौके पर मुरली सिंह चौधरी ने कहा कि युवावर्ग गांव में कार्य करने को तैयार नहीं है, जबकि शिक्षित युवा और युवतियां गांव में ही वैज्ञानिक तरीके से कृषि कर स्वरोजगार को बढ़ावा दे सकते हैं. उन्होंने अपना उदाहरण देते हुए कहा कि जब वे दिव्यांग होकर कृषि कार्य कर अच्छी आमदानी कर सकते हैं, तो अन्य भी कर सकते हैं. वहीं जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियालने अपने सम्बोधन में कहा कि छात्र- छात्राएं नकारात्मक विचारों को त्यागकर असंभव लक्ष्य को भी हासिल कर सकते हैं.

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इस दौरान उन्होंने सफल उद्यमियों का उदाहरण भी दिया. साथ ही जिलाधिकारी ने छात्र-छात्राओं से अपील करते हुए कहा कि वे कृषि में बेहतर संभावनाओं को तलासते हुए कार्य कर सकते हैं. वहीं काश्तकारी को स्वरोजगार का साधन बना सकते हैं, जिससे पलायन को रोका जा सका है.वहीं जनपद से पलायन कर हरिद्वार आईटीसी कंपनी में कार्यरत टेक्नीशियनों ने भी अपनी बातों को सामने रखा. उन्होंने कहा कि प्राइवेट कम्पनियों में युवाओं का शोषण किया जाता है. साथ ही मासिक वेतन भी मात्र पन्द्रह हजार तक दिया जा रहा है, जिसमें भरण-पोषण बहुत मुश्किल होता है. इस मौके पर छात्र-छात्राओं ने भी अपने विचार साझा किए.

Intro:महाविद्यालय अगस्त्यमुनि में कैरियर विषय पर परिचर्चा का आयोजन
दिव्यांग कृषक ने छात्रों से की पहाड़ को बचाने की अपील
वैज्ञानिक तरीके से खेती कर आजीविका सुदृढ़ बनाने का आह्वान
कार्यक्रम में मैदानी इलाकों को छोड़कर पुनः गांव में आये लोगों ने की शिरकत
रुद्रप्रयाग। अगस्त्यमुनि महाविद्यालय में पहाड़ी कृषि युवाओं के लिए एक बेहतर कैरियर विषय पर गोष्ठी परिचर्चा कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें छात्र-छात्राओं, शिक्षकों व जिले के सफल कृषक, उद्यमियों ने प्रतिभाग किया। कार्यक्रम में ऐसे व्यक्तियों को आमंत्रित किया गया था, जो गांव से पलायन कर निजी क्षेत्रों में कार्यरत हैं और निजी क्षेत्र में बेहतर भविष्य उपलब्ध न होने के कारण वर्तमान मेें पुनः ग्रामीण क्षेत्रों से जुड़कर कृBody:जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल की अध्यक्षता में आयोजित कार्यक्रम का प्रसिद्ध कृषक मुरली सिंह चैधरी ने द्वीप प्रज्वलन कर शुभारंभ किया। उन्होंने कहा कि पहाड़ का युवा पहाड़ में कार्य करने को तैयार नहीं है। शिक्षित युवा व युवती अपने गांव में रूककर वैज्ञानिक तरीके से कृषि का कार्य कर सकते हैं। उन्होंने अपना उदाहरण देते हुए कहा कि जब वे दिव्यांग होकर कृषि कार्य कर अपनी अच्छी आमदानी कर सकते हैं, तो बाकी अन्य भी कर सकते है। जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल ने अपने सम्बोधन मंे छात्र छात्राआंे से कहा कि नकारात्मक विचारों को त्याग कर निश्चित संकल्प से लक्ष्यों को निर्धारित कर यदि कार्य किया जाय तो मुश्किल कार्य को भी किया जा सकता है। उन्होने सफल उद्यमियों के उदाहरण के साथ छात्र-छात्राओं से अपील की कि वे कृषि में बेहतर सम्भावनाओं को तरासते हुए बेहतर कार्य कर सकते हैं और पहाड़ में रहकर ही स्वच्छ जीवन व्यतीत कर सकते हंै, जिससे पलायन तो रूकेगा ही पहाड़ों में विकास की अवधारणा भी फलीभूत होगी। जनपद से पलायन कर हरिद्वार आईटीसी कम्पनी मंे कार्यरत टैक्नीशियन द्वारा अपने जीवन की कठिनाईयों को साझा किया गया। बताया कि बाहर प्राइवेट कम्पनियों में युवाओं का शोषण किया जाता है। साथ ही मासिक वेतन भी मात्र पन्द्रह हजार तक मिलता है, जिसमें भरण-पोषण बहुत मुश्किल होता है। आईटीसी से आये दो युवा नागेन्द्र अंथवाल व देवेन्द्र राणा ने रिवर्स माईग्रेशन की बात कही। नागेन्द्र अंथवाल ने बताया कि पहाड़ में कोल्ड स्टोरेज नहीं है, जिस कारण पहाड़ी उत्पादों को कम दाम पर देना पड़ता है। कहा कि कोल्ड स्टोरेज के माध्यम से सरपल्स उत्पादों को स्टोर किया जा सकेगा। साथ ही पहाड़ी लोगों को अपने उत्पादों का अच्छा दाम भी मिल पायेगा।
बाइट - रंजना रावत, महिला कृषक Conclusion:
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