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9 साल में नहीं बन पाई गुप्तकाशी-बसुकेदार-जखोली रोड, जोखिम के बीच लोग कर रहे यात्रा

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Published : Aug 9, 2021, 5:23 PM IST

रुद्रप्रयाग वासियों को 9 साल बाद भी गुप्तकाशी-बसुकेदार-जखोली मोटरमार्ग और गणेशनगर-पिल्लू जहंगी मोटर मार्ग की सौगात नहीं मिल पाई है. आलम ये है मॉनसून में इन मार्गों से आवाजाही करने वाले लोग जान हथेली पर रखकर जीने के लिए मजबूर हैं.

Rudraprayag
रुद्रप्रयाग

रुद्रप्रयागः केदारघाटी क्षेत्र में लगातार हो रही मूसलाधार बारिश के कारण जनजीवन लगातार प्रभावित है. बारिश के कारण जिले के एक दर्जन से अधिक लिंक रोड बंद हैं. इसके अलावा गदेरों के उफान पर आने से ग्रामीणों के साथ-साथ स्कूली बच्चों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. गदेरों के बीच वाहनों का आवागमन जोखिम भरा हो गया है.

रुद्रप्रयाग जिले में लोक निर्माण विभाग और प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के अंतर्गत बनी सड़कों की स्थिति काफी बुरी बनी हुई है. इन मार्गों पर सफर करना किसी खतरे से खाली नहीं रह गया है. 2013 की केदारनाथ आपदा के बाद गुप्तकाशी-बसुकेदार-जखोली मोटरमार्ग की हालत बारिश के कारण बदतर बनी हुई है. क्षेत्र की जनता जान हथेली पर रखकर आवाजाही करने को मजबूर हैं. कई बार इस मार्ग पर वाहन हादसे का शिकार होते-होते बचे हैं.

15 हजार आबादी प्रभावितः ग्रामीणों का कहना है कि रोड की मरम्मत के लिए कई बार शासन-प्रशासन को ज्ञापन दिया गया है. लेकिन इस संबंध में कोई कार्रवाई नहीं होती है. मार्ग से करीब 40 गांव जुड़े हुए हैं, जहां करीब 15 हजार आबादी रहती है.

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9 साल में नहीं बन पाई 4 किमी की सड़कः रुद्रप्रयाग जिले का गणेशनगर से पिल्लू जहंगी मोटर मार्ग का निर्माण 9 साल बाद भी पूरा नहीं हो पाया है. ग्रामीणों का आरोप है कि सड़क निर्माण में जमकर भ्रष्टाचार हो रहा है. 9 सालों में कई ठेकेदारों एवं इंजीनियरों ने सड़क निर्माण के नाम पर जमकर सरकारी रुपयों की हेराफेरी की है.

बता दें कि साल 2012 में पीएमजीएसवाई के अंतर्गत गणेशनगर से पिल्लू जहंगी 4 किमी मोटर मार्ग की स्वीकृति मिली. 5 साल तक इसपर धीमी गति से कार्य चलता रहा. इस बीच कई बार ठेकेदार बदले गए, मगर निर्माण कार्य को गति नहीं मिल पाई. जबकि इस सड़क के साथ स्वीकृत हुई सड़कों पर डामर भी बिछ गया है. साल 2016 में यह सड़क एनपीसीसी (नेशनल प्रोजेक्ट्स कंस्ट्रक्शन कारपोरेशन लिमिटेड) को हस्तांतरित की गई. इससे ग्रामीणों की उम्मीदों को पंख लगे, लेकिन 4 साल बीत जाने के बाद भी सड़क की दशा नहीं सुधरी है. जबकि ठेकेदारों का आना जाना अभी भी लगा है.

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