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राइंका चमकोट का भवन निर्माण 10 सालों से अधर में लटका, कड़ाके की ठंड में पढ़ाई कर रहे छात्र

बीते 10 सालों से राइंका चमकोट का भवन निर्माण कार्य अधर में लटका हुआ है. ठेकेदार की लापरवाही से जर्जर भवन का ट्रीटमेंट का भी रूका हुआ है. ऐसे में छात्र कड़ाके की ठंड में खुले में पढ़ाई करने को मजबूर हैं.

GIC Chamkot building
राइंका चमकोट
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Published : Dec 30, 2021, 9:49 PM IST

रुद्रप्रयागः रानीगढ़ पट्टी के राइंका चमकोट का भवन 10 साल बीत जाने के बाद भी तैयार नहीं हो पाया है. कार्यदायी एजेंसी ने निर्माण कार्य को आधा-अधूरा छोड़ दिया है. विद्यालय का जो पुराना भवन है, वो जर्जर हालत में है. जर्जर भवन के ट्रीटमेंट को लेकर धनराशि भी स्वीकृति करा दी गई, लेकिन ग्रामीण निर्माण विभाग का ठेकेदार काम छोड़कर चला गया है. ऐसे में छात्रों को खुले आसमान के नीचे मजबूरन पढ़ाई करना पड़ रहा है.

बता दें कि विकासखंड अगस्त्यमुनि के अंतर्गत राजकीय इंटर कॉलेज चमकोट (Government Inter College Chamkot) का मुख्य भवन जर्जर होने के बाद नवीन भवन का कार्य साल 2007-08 में शुरू किया गया था, लेकिन तीन सालों तक निर्माण कार्य चलने के बाद 10 साल से कार्य बंद पड़ा है. जबकि, इस भवन पर 84.5 लाख रुपए की धनराशि खर्च की जा चुकी है. उत्तर प्रदेश निर्माण निगम ने स्कूल भवन के लिए अतिरिक्त धनराशि की मांग की. इसके बाद 128.44 लाख का रिवाइज स्टीमेट भेजा गया, जिसे अभी तक स्वीकृति नहीं मिली है. ऐसे में पुराने भवन में छात्रों का अध्ययन चल रहा है.

राइंका चमकोट का भवन निर्माण 10 सालों से अधर में लटका.

ये भी पढ़ेंः जान हथेली पर रखकर पढ़ने को मजबूर बच्चे, हादसे को दावत दे रहा स्कूल

कड़ाके की ठंड में छात्र खुले में अध्ययन करने को मजबूर हैं. मुख्य भवन के ट्रीटमेंट को लेकर हालांकि, विधायक निधि से कुछ कक्षों की मरम्मत की गई, लेकिन यह राशि पर्याप्त न होने पर दोबारा विद्यालय प्रबंधन के प्रयासों से शिक्षा विभाग से अन्य कक्षा कक्षों की मरम्मत के लिए 20 लाख की धनराशि प्रदान की गई. जिसके बाद ग्रामीण निर्माण विभाग को निर्माण कार्य की जिम्मेदारी सौंपी गई. टेंडर के बाद चहेते ठेकेदार को काम दिया गया, लेकिन ठेकेदार विद्यायल भवन के दो कमरों की छत तोड़कर कार्य को अधूरा छोड़ गया.

ये भी पढ़ेंः उत्तराखंड में स्कूल खुले तो छात्र हुए पढ़ाई में व्यस्त, नेता छात्रों पर राजनीति में मस्त!

दोबारा दूसरे ठेकेदार को कार्य दिया गया, जिसने भी फिर अन्य दो और कमरों की छत तोड़ दी और अब मरम्मत करने के बजाय निर्माण कार्य को अधर में छोड़ रखा है. स्कूल प्रबंधन के सामने अब छात्रों को बिठाने की भी समस्या खड़ी हो गई है. ग्रामीण प्रदीप रावत ने कहा कि स्कूल की नई बिल्डिंग का कार्य पूरा नहीं हो पाया है और पुराने भवन की मरम्मत के बजाय ठेकेदारों ने वहां तोड़फोड़ कर उसे अधर में लटका दिया है.

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री धामी, शिक्षामंत्री से लेकर जिलाधिकारी समेत तमाम जिम्मेदारों से पत्राचार करने के बावजूद किसी तरह की कार्रवाई नहीं हुई है. अब ऐसे में क्षेत्र की जनता के पास आंदोलन के सिवाय कोई रास्ता नहीं रह गया है. वहीं, मामले में जिलाधिकारी मनुज गोयल ने कहा कि राइंका चमकोट के भवन का कार्य पूरा कराने के प्रयास किए जा रहे हैं. शासन को रिवाइज स्टीमेट भेजा गया है. जैसे ही धनराशि स्वीकृत होती है, कार्य को तेजी से पूरा करवाया जाएगा.

रुद्रप्रयागः रानीगढ़ पट्टी के राइंका चमकोट का भवन 10 साल बीत जाने के बाद भी तैयार नहीं हो पाया है. कार्यदायी एजेंसी ने निर्माण कार्य को आधा-अधूरा छोड़ दिया है. विद्यालय का जो पुराना भवन है, वो जर्जर हालत में है. जर्जर भवन के ट्रीटमेंट को लेकर धनराशि भी स्वीकृति करा दी गई, लेकिन ग्रामीण निर्माण विभाग का ठेकेदार काम छोड़कर चला गया है. ऐसे में छात्रों को खुले आसमान के नीचे मजबूरन पढ़ाई करना पड़ रहा है.

बता दें कि विकासखंड अगस्त्यमुनि के अंतर्गत राजकीय इंटर कॉलेज चमकोट (Government Inter College Chamkot) का मुख्य भवन जर्जर होने के बाद नवीन भवन का कार्य साल 2007-08 में शुरू किया गया था, लेकिन तीन सालों तक निर्माण कार्य चलने के बाद 10 साल से कार्य बंद पड़ा है. जबकि, इस भवन पर 84.5 लाख रुपए की धनराशि खर्च की जा चुकी है. उत्तर प्रदेश निर्माण निगम ने स्कूल भवन के लिए अतिरिक्त धनराशि की मांग की. इसके बाद 128.44 लाख का रिवाइज स्टीमेट भेजा गया, जिसे अभी तक स्वीकृति नहीं मिली है. ऐसे में पुराने भवन में छात्रों का अध्ययन चल रहा है.

राइंका चमकोट का भवन निर्माण 10 सालों से अधर में लटका.

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कड़ाके की ठंड में छात्र खुले में अध्ययन करने को मजबूर हैं. मुख्य भवन के ट्रीटमेंट को लेकर हालांकि, विधायक निधि से कुछ कक्षों की मरम्मत की गई, लेकिन यह राशि पर्याप्त न होने पर दोबारा विद्यालय प्रबंधन के प्रयासों से शिक्षा विभाग से अन्य कक्षा कक्षों की मरम्मत के लिए 20 लाख की धनराशि प्रदान की गई. जिसके बाद ग्रामीण निर्माण विभाग को निर्माण कार्य की जिम्मेदारी सौंपी गई. टेंडर के बाद चहेते ठेकेदार को काम दिया गया, लेकिन ठेकेदार विद्यायल भवन के दो कमरों की छत तोड़कर कार्य को अधूरा छोड़ गया.

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दोबारा दूसरे ठेकेदार को कार्य दिया गया, जिसने भी फिर अन्य दो और कमरों की छत तोड़ दी और अब मरम्मत करने के बजाय निर्माण कार्य को अधर में छोड़ रखा है. स्कूल प्रबंधन के सामने अब छात्रों को बिठाने की भी समस्या खड़ी हो गई है. ग्रामीण प्रदीप रावत ने कहा कि स्कूल की नई बिल्डिंग का कार्य पूरा नहीं हो पाया है और पुराने भवन की मरम्मत के बजाय ठेकेदारों ने वहां तोड़फोड़ कर उसे अधर में लटका दिया है.

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री धामी, शिक्षामंत्री से लेकर जिलाधिकारी समेत तमाम जिम्मेदारों से पत्राचार करने के बावजूद किसी तरह की कार्रवाई नहीं हुई है. अब ऐसे में क्षेत्र की जनता के पास आंदोलन के सिवाय कोई रास्ता नहीं रह गया है. वहीं, मामले में जिलाधिकारी मनुज गोयल ने कहा कि राइंका चमकोट के भवन का कार्य पूरा कराने के प्रयास किए जा रहे हैं. शासन को रिवाइज स्टीमेट भेजा गया है. जैसे ही धनराशि स्वीकृत होती है, कार्य को तेजी से पूरा करवाया जाएगा.

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