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इनरलाइन परमिट न बनने से रास्तों में फंसे भेड़ पालक

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Published : May 28, 2020, 9:50 PM IST

इनरलाइन परमिट नहीं मिलने से उच्च हिमालयी इलाकों में माइग्रेशन पर जाने वाले भेड़ पालक अपनी भेड़-बकरी और मवेशियों के साथ आधे रास्ते में ही फंसे हुए हैं. हर साल इन भेड़ पालकों को भेड़-बकरी चुगाने के लिए इनर लाइन परमिट आसानी से मिल जाता था, लेकिन इस बार लॉकडाउन के कारण तहसील से प्रदेश स्तर तक फाइल दौड़ रही है, जिस कारण यह लंबे समय से रास्ते में ही फंसे हुए हैं.

Pithoragarh
इनरलाइन परमिट नही बनने से भेंड़पालक रास्तों में फंसे

पिथौरागढ़: इनरलाइन परमिट नहीं मिलने से उच्च हिमालयी इलाकों में माइग्रेशन पर जाने वाले भेड़ पालक अपनी भेड़-बकरी और मवेशियों के साथ आधे रास्ते में ही फंसे हुए हैं. हर साल इन भेड़ पालकों को भेड़-बकरी चुगान के लिए इनर लाइन परमिट आसानी से मिल जाता था, लेकिन इस बार लॉकडाउन के कारण तहसील से प्रदेश स्तर तक फाइल दौड़ रही है, जिस कारण यह लंबे समय से रास्ते में ही फंसे हुए हैं.

जिला पंचायत सदस्य जगत मार्तोलिया ने प्रशासन से इन भेड़पालकों को जल्द से जल्द ही इनरलाइन पास दिए जाने की मांग की है और साथ ही उन्होंने मांग पूरी न होने पर आंदोलन की धमकी भी दी है.

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गौरतलब है कि मुनस्यारी और धारचूला के सैकड़ों भेड़ पालक इन दिनों अपनी भेड़ों को तराई क्षेत्र से सीमांत क्षेत्र धारचुला के चरागाहों में ला चुके हैं. ठंड में तराई भाभर और गर्मी में उच्च हिमालयी क्षेत्र में स्थित चरागाहों के लिए आना जाना इनका सालों पुराना रूटीन है, अब इन भेड़-बकरी व पालतू मवेशियों को इनरलाइन की सीमा से ऊपर के क्षेत्र में चुगान के लिए जाना है, लेकिन इस साल लॉकडाउन की वजह से यह भेड़ पालक रास्ते में ही फंसे हुए हैं. समय पर अगर भेड़ पालक उच्च हिमालयी क्षेत्रों में स्थित चरागाह में नहीं पहुंचे तो सैकड़ों भेड़-बकरी और मवेशियों के लिए भुखमरी की स्थिति आ सकती है.

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