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रोड नहीं तो अब वोट नहीं: इस गांव के हर घर ने सेना को दिया है जवान, अब दे रहा सीधी चुनौती

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Published : Oct 6, 2021, 6:17 PM IST

Updated : Oct 9, 2021, 1:11 PM IST

पिथौरागढ़ के बेलतड़ी गांव में सड़क की मांग को लेकर 6 गांवों के ग्रामीणों का अनिश्चितकालीन धरना जारी है. ग्रामीणों ने सड़क की मांग पूरी नहीं होने पर विधानसभा चुनाव बहिष्कार का ऐलान किया है.

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पिथौरागढ़

पिथौरागढ़: भारत-नेपाल सीमा पर स्थित बेलतड़ी गांव में सड़क की मांग को लेकर 6 गांवों के ग्रामीण 25 सितंबर से अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हुए हैं. ग्रामीणों ने सड़क की मांग पूरी नहीं होने पर विधानसभा चुनाव बहिष्कार का ऐलान किया है. ग्रामीणों का कहना है कि साल 2005 में इस क्षेत्र के लिए सड़क स्वीकृत हुई थी, मगर 17 साल बीत जाने के बाद भी पूरी नहीं हो सकी है. सड़क न होने से 10 हजार से अधिक आबादी प्रभावित है.

पिथौरागढ़ जिला मुख्यालय से 28 किलोमीटर दूर नेपाल सीमा से लगे बेलतड़ी, क्वार्बन, धारी, बिलई, भाटी गांव और सोन गांव के ग्रामीण सड़क की मांग को लेकर पिछले 12 दिनों से अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हुए हैं. नाराज ग्रामीणों ने मांग पूरी नहीं होने पर विधानसभा चुनाव बहिष्कार का ऐलान किया है.

बेलतड़ी गांव में ग्रामीणों का रोड नहीं तो अब वोट नहीं आंदोलन

ईटीवी भारत की टीम ग्रामीणों के आंदोलन की कवरेज के लिए नेपाल सीमा से सटे बेलतड़ी गांव पहुंची, जहां पहुंचने के लिए 5 किलोमीटर की दूरी पैदल तय करनी पड़ती है. इस दौरान गांव जाने वाले रास्ते में जगह-जगह "रोड नहीं तो वोट नहीं" के नारे लिखे हुए पोस्टर नजर आए. गांव को जोड़ने वाला पैदल रास्ता भी बेहद संकरा और खतरनाक है, जिसके एक तरफ खाई है तो दूसरी तरफ चट्टान है. इलाके की 10,000 हजार से अधिक आबादी के लिए यही एकमात्र रास्ता है. यहां घायल, बीमार और गर्भवती महिलाओं को अस्पताल पहुंचने के लिए डोली का सहारा लेना पड़ता है.

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ईटीवी भारत की टीम जब बेलतड़ी गांव पहुंची तो धरने पर बैठे ग्रामीणों ने शासन-प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. ग्रामीणों का कहना है कि वो दशकों से सड़क की मांग को लेकर आंदोलनरत हैं, मगर अभी तक उनका गांव सड़क सुविधा से नहीं जुड़ पाया है. ग्रामीणों ने बताया कि सड़क न होने के कारण गांव के तीन रिटायर्ड फौजी अस्पताल ले जाने के दौरान रास्ते में ही दम तोड़ चुके हैं. यही नहीं, गर्भवती महिलाओं को भी अस्पताल ले जाने के दौरान रास्ते में ही डिलीवरी हो चुकी है.

ग्रामीणों का कहना है कि गांव के बच्चे 5 किलोमीटर का पैदल रास्ता तय कर स्कूल तक पहुंचते हैं, लेकिन खतरनाक कच्चा रास्ता होने से हादसों का डर बना रहता है. ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द ही गांव को सड़क से नहीं जोड़ा गया तो सभी 6 गांवों के लोग चुनाव बहिष्कार करेंगे, जिसकी जिम्मेदारी शासन-प्रशासन की होगी.

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वहीं, जिलाधिकारी आशीष चौहान का कहना है कि सड़क निर्माण की स्वीकृति के लिए विभाग ने शासन को पत्र भेजा है, साथ ही कार्यदायी संस्था मौके पर जाकर सड़क का निरीक्षण करेगी.

शहीद नंद किशोर भट्ट का गांव है बेलतड़ी: बेलतड़ी गांव, देश की सेवा करते हुए 1965 की लड़ाई में शहीद हुए नंद किशोर भट्ट का है, जहां के कई युवा भारतीय सेना और अर्द्धसैनिक बलों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. मगर मूलभूत सुविधाओं के अभाव में गांव के लोग अपनी जान से हाथ धो रहे हैं. सुविधाओं के अभाव में ये गांव अब धीरे-धीरे खाली हो रहे हैं.

कृषि उत्पादों को नहीं मिल पाता बाजार: कृषि के लिहाज से नेपाल सीमा से सटे ये गांव काफी समृद्ध हैं. यहां संतरा, केला, सब्जियां, दालें इत्यादि पर्याप्त मात्रा में होती हैं लेकिन सड़क न होने की वजह से ढुलाई का चार्ज अधिक आता है और ग्रामीणों को उनके उत्पादों का सही मूल्य नहीं मिल पाता, जिससे गांव वालों की आजीविका पर भी संकट मंडरा रहा है.

Last Updated : Oct 9, 2021, 1:11 PM IST
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