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कैलाश मानसरोवरः इस बार मुश्किल होगी डगर, नजंग से लिपुलेख दर्रे तक 70 किमी करनी होगी दुर्गम पैदल यात्रा

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Published : May 7, 2019, 5:19 PM IST

Updated : May 7, 2019, 6:10 PM IST

कैलाश मानसरोवर यात्रा 8 जून से शुरू होने वाली है. इस यात्रा में 18 दल शामिल होंगे. साथ ही इस यात्रा के लिए श्रद्धालुओं को 70 किलोमीटर की दुर्गम पैदल यात्रा करनी पड़ेगी.

kailash mansarovar yatra

पिथौरागढ़: कैलाश मानसरोवर यात्रा 8 जून से शुरू होने जा रही है. लिपुलेख दर्रे से होकर जाने वाली यात्रा में इस बार 18 दल शामिल होंगे. साथ ही कैलाश मानसरोवर यात्री नजंग तक गाड़ी से यात्रा करेंगे, इसके बाद लिपुलेख तक उन्हें 70 किलोमीटर की दुर्गम यात्रा पैदल करनी पड़ेगी. यात्रा के सफल संचालन के लिए नोडल एजेंसी पिथौरागढ़ प्रशासन ने कमर कस ली है.

जानकारी देते डीएम विजय कुमार जोगदंडे.

भगवान शिव के धाम कैलाश पर्वत और पवित्र मानसरोवर झील के दर्शन इस बार आसान नहीं होने वाले हैं. धारचूला से 60 किलोमीटर दूर गाड़ी से नजंग पहुंचने के बाद यात्री नजंग से लिपुलेख तक 70 किलोमीटर दुर्गम पैदल यात्रा तय करेंगे. यात्री नजंग, मालपा, बूंदी, गुंजी, गर्ब्यांग, नाभीढांग होते हुए लिपुलेख दर्रे तक पैदल जाएंगे. बूंदी से नाभीढांग तक 36 किलोमीटर मार्ग वाहनों के लिए खुला हुआ है. मगर यातायात का कोई साधन उपलब्ध न होने के कारण ये दूरी भी पैदल ही तय करनी पड़ेगी.

पढ़ें- चारधाम यात्राः अक्षय तृतीया पर खुले गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट

इस दौरान श्रद्धालुओं को दुर्गम और बर्फीले पैदल रास्तों को पार करना पड़ेगा. इसके साथ ही मानसून सीजन भी यात्रियों के लिए एक बड़ी चुनौती होगा. दुर्गम रास्तों को पार करने के लिए यात्री पोनी-पोर्टर का भी सहारा ले सकते हैं. गुंजी तक यात्रियों की सुरक्षा का जिम्मा पुलिस के पास होगा, जबकि इससे आगे चीन के बॉर्डर लिपुलेख तक आईटीबीपी के जवान बर्फीले रास्तों पर यात्रियों की सुरक्षा का ख्याल रखेंगे. यात्रियों के खाने-रहने की व्यवस्था का जिम्मा केएमवीएन के पास है. गुंजी में यात्रियों का मेडिकल चेकअप कराने के बाद ही यात्रियों को आगे भेजा जाएगा.

Intro:पिथौरागढ़: विगत वर्षों की भांति इस बार भी कैलाश मानसरोवर यात्रा 8 जून से शुरू होने जा रही हैं। लिपुलेख दर्रे से होकर जाने वाली यात्रा में इस बार भी 18 दल शिरकत करेंगे। कैलाश मानसरोवर यात्री नजंग तक गाड़ी से यात्रा करेंगे इसके बाद लिपुलेख तक उन्हें 70 किलोमीटर की दुर्गम यात्रा करनी पड़ेगी। यात्रा के सफल संचालन के लिए नोडल एजेंसी पिथौरागढ़ प्रशासन ने कमर कस ली है।

भगवान भोले के धाम कैलाश पर्वत और पवित्र मानसरोवर झील के दर्शन इस बार आसान नही होंगे। धारचूला से 60 किलोमीटर दूर गाड़ी से नजंग पहुंचने के बाद यात्री नजंग से लिपुलेख तक 70 किलोमीटर दुर्गम पैदल यात्रा करेंगे। यात्री नजंग, मालपा, बूंदी, गुंजी, गर्ब्यांग, नाभीढांग होते हुए लिपुलेख दर्रे तक पैदल जाएंगे। बूंदी से नाभीढांग तक 36 किलोमीटर मार्ग वाहनों के लिए खुला हुआ है। मगर यातायात का कोई साधन उपलब्ध न होने के कारण ये दूरी भी पैदल ही तय करनी पड़ेगी। इस दौरान श्रद्धलुओं को दुर्गम और बर्फीले पैदल रास्तों को पार करना पड़ेगा। इसके साथ ही मानसून सीजन भी यात्रियों के लिए एक बड़ी चुनौती होगा। दुर्गम रास्तों को पार करने के लिए यात्री पोनी-पोर्टर का भी सहारा ले सकते है। गुंजी तक यात्रियों की सुरक्षा का जिम्मा पुलिस के पास होगा जबकि इससे आगे चीन के बॉर्डर लिपुलेख तक आईटीबीपी के जवान बर्फीले रास्तों में यात्रियों की सुरक्षा का ख्याल रखेंगे। यात्रियों के खाने- रहने की व्यवस्था का जिम्मा केएमवीएन के पास होगा। गुंजी में यात्रियों का मेडिकल चेकअप कराया जाएगा जिसमें स्वस्थ पाए जाने के बाद ही श्रद्धालु आगे की यात्रा तय कर सकेंगे। पिथौरागढ़ प्रशासन यात्रा की सभी तैयारियों को अमलीजामा पहनाना में जुटा हुआ है।

byte: विजय कुमार जोगदंडे, जिलाधिकारी, पिथौरागढ़




Body:पिथौरागढ़: विगत वर्षों की भांति इस बार भी कैलाश मानसरोवर यात्रा 8 जून से शुरू होने जा रही हैं। लिपुलेख दर्रे से होकर जाने वाली यात्रा में इस बार भी 18 दल शिरकत करेंगे। कैलाश मानसरोवर यात्री नजंग तक गाड़ी से यात्रा करेंगे इसके बाद लिपुलेख तक उन्हें 70 किलोमीटर की दुर्गम यात्रा करनी पड़ेगी। यात्रा के सफल संचालन के लिए नोडल एजेंसी पिथौरागढ़ प्रशासन ने कमर कस ली है।

भगवान भोले के धाम कैलाश पर्वत और पवित्र मानसरोवर झील के दर्शन इस बार आसान नही होंगे। धारचूला से 60 किलोमीटर दूर गाड़ी से नजंग पहुंचने के बाद यात्री नजंग से लिपुलेख तक 70 किलोमीटर दुर्गम पैदल यात्रा करेंगे। यात्री नजंग, मालपा, बूंदी, गुंजी, गर्ब्यांग, नाभीढांग होते हुए लिपुलेख दर्रे तक पैदल जाएंगे। बूंदी से नाभीढांग तक 36 किलोमीटर मार्ग वाहनों के लिए खुला हुआ है। मगर यातायात का कोई साधन उपलब्ध न होने के कारण ये दूरी भी पैदल ही तय करनी पड़ेगी। इस दौरान श्रद्धलुओं को दुर्गम और बर्फीले पैदल रास्तों को पार करना पड़ेगा। इसके साथ ही मानसून सीजन भी यात्रियों के लिए एक बड़ी चुनौती होगा। दुर्गम रास्तों को पार करने के लिए यात्री पोनी-पोर्टर का भी सहारा ले सकते है। गुंजी तक यात्रियों की सुरक्षा का जिम्मा पुलिस के पास होगा जबकि इससे आगे चीन के बॉर्डर लिपुलेख तक आईटीबीपी के जवान बर्फीले रास्तों में यात्रियों की सुरक्षा का ख्याल रखेंगे। यात्रियों के खाने- रहने की व्यवस्था का जिम्मा केएमवीएन के पास होगा। गुंजी में यात्रियों का मेडिकल चेकअप कराया जाएगा जिसमें स्वस्थ पाए जाने के बाद ही श्रद्धालु आगे की यात्रा तय कर सकेंगे। पिथौरागढ़ प्रशासन यात्रा की सभी तैयारियों को अमलीजामा पहनाना में जुटा हुआ है।

byte: विजय कुमार जोगदंडे, जिलाधिकारी, पिथौरागढ़




Conclusion:
Last Updated : May 7, 2019, 6:10 PM IST
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