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उत्तराखंड: कैलाश मानसरोवर के परंपरागत रूट पर टूटा रिकॉर्ड, इस साल 925 यात्रियों ने की यात्रा

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Published : Sep 12, 2019, 5:48 PM IST

Updated : Sep 12, 2019, 6:28 PM IST

कैलाश-मानसरोवार यात्रा में इस साल रिकॉर्ड टूटा है. इस साल 925 यात्रियों ने कैलाश मानसरोवर यात्रा सफलतापूर्वक पूर्ण की. वहीं, एक यात्री की बीमारी के कारण मौत हो गई.

925 तीर्थयात्रियों ने पूरी की कैलाश मानसरोवर यात्रा.

पिथौरागढ़: दुनिया की सबसे दुर्गम यात्राओं में शुमार कैलाश-मानसरोवर यात्रा सम्पन्न हो गई है. 12 जून से शुरू हुई कैलाश-मानसरोवर यात्रा में तीर्थयात्रियों ने भोले के दर्शन किए. इस यात्रा में 198 महिला तीर्थ यात्री शामिल हुईं. वहीं, इस साल यात्रा के दौरान एक यात्री की मौत भी हुई.

925 तीर्थयात्रियों ने पूरी की कैलाश मानसरोवर यात्रा.

बीते सालों के मुकाबले इस बार यात्रा काफी सुगम रही. नाथूला दर्रे से यात्रा शुरू करने के बाद इस साल सबसे अधिक यात्रियों ने परंपरागत मार्ग से यात्रा की. इस साल की यात्रा में यात्रियों की संख्या ने बीते तीन सालों के आंकड़ों को पार कर दिया है.

साल यात्रियों की संख्या
2016 714 यात्री
2017 917 यात्री
2018 892 यात्री
2019 925 यात्री

कैलाश मानसरोवर यात्रा में शामिल यात्रियों का आंकड़ा.

केएमवीएन के प्रबंधक दिनेश गुरुरानी ने बताया कि नाथूला से यात्रा शुरू होने के बावजूद इस साल परम्परागत रूट में तीर्थ यात्रियों की संख्या सबसे अधिक है. इस साल 925 यात्रियों ने कैलाश मानसरोवर यात्रा सफलतापूर्वक पूर्ण की. वहीं, एक यात्री की बीमारी के कारण मौत हो गई जबकि, 23 यात्रियों ने अलग-अलग कारणों से यात्रा को बीच में ही छोड़ दिया.

Intro:पिथौरागढ़: दुनिया की सबसे दुर्गम यात्राओं में शुमार कैलाश-मानसरोवर यात्रा सम्पन्न हो गई है। बीते चार सालों से मानसरोवर यात्रा के लिए लिपुलेख के अलावा नाथूला दर्रे को भी खोला गया है। नाथूला से यात्रा खुलने के बावजूद इस साल परम्परागत रूट में तीर्थ यात्रियों की संख्या सबसे अधिक है। यही नही इस साल परम्परागत मार्ग में नजंग तक सड़क बनने से भी यात्रियों का पैदल सफर भी काफी कम रहा।

इस साल 12 जून से शुरू हुई विश्व विख्यात कैलाश-मानसरोवर यात्रा सम्पन्न हो गई है। बीते सालों की तरह इस बार भी 18 दलों ने यात्रा में शिरकत की। लेकिन यात्रियों की संख्या में गुजरे 4 सालों के मुकाबले इस बार खासा इजाफा देखने को मिला है। बीते साल जहां कुल 892 तीर्थ यात्री यात्रा में शामिल रहे, वहीं इस बार ये आंकड़ा बढ़कर 925 जा पहुंचा। जिनमें महिला तीर्थ यात्रियों की तादात 198 रही। इस साल यात्रा के दौरान एक यात्री मौत हो हुई, जबकि 23 यात्रियों ने अलग-अलग कारणों से यात्रा को बीच में ही छोड़ दिया।

Body:बीते साल खराब मौसम के चलते 17 यात्री दलों को हेलीकॉप्टर की मदद से गुंजी पहुंचाना पड़ा था। मगर इस साल सभी दल पारम्परिक मार्ग से यात्रा करने में सफल रहे। हालांकि 17 वें और 18 वें दल के यात्रियों को खराब मौसम के कारण कुछ दिक्कतें उठानी पड़ी थी। बावजूद इसके बीते सालों के मुकाबले इस बार यात्रा काफी सुगम रही। नाथूला दर्रे से यात्रा शुरू करने के बाद इस साल सबसे अधिक यात्रियों ने परम्परागत मार्ग से यात्रा की। 2016 में जहां 714 यात्री यात्रा में शामिल रहे, वहीं 2017 में ये आंकड़ा 917 तक जा पहुंचा, जबकि बीते साल सिर्फ 892 यात्री ही मानसरोवर पहुंच पाए।

सिक्किम से यात्रा को खोले जाने के कारण यात्रा पर संकट के बादल मंडरा रहे थे। आशंका थी कि परम्परागत मार्ग दुर्गम होने के कारण ज्यादा यात्री सिक्किम का रूख करेंगे। लेकिन इस बार के आंकड़ें साफ दर्शा रहे हैं कि यात्रियों को परम्परागत मार्ग ही भा रहा है।

Byte: दिनेश गुरुरानी, प्रबंधक, केएमवीएनConclusion:
Last Updated : Sep 12, 2019, 6:28 PM IST
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