ETV Bharat / state

उत्तराखंड के पौड़ी में तेंदुए का खौफ, खाली हो गए गोदी और भरतपुर गांव

author img

By

Published : Sep 2, 2022, 4:49 PM IST

पौड़ी जिले में इन दिनों तेंदुए का खौफ कायम है. आलम ये है कि तेंदुए की बढ़ती दस्तक से ग्रामीण ना सिर्फ डर के साये में जीने को बाध्य हैं, बल्कि अपने गांवों को भी छोड़ने को मजबूर हैं. दुगड्डा के गोदी गांव और पोखरा के भरतपुर गांव के ग्रामीण अपना घर छोड़कर कोटद्वार सहित अन्य स्थानों पर किराए पर रह रहे हैं. जिससे दोनों गांव पूरी तरह से खाली हो चुके हैं.

Etv Bharat
Etv Bharat

कोटद्वार: पौड़ी जिले के दुगड्डा और पोखरा प्रखंड में तेंदुए का खौफ (Leopard fear in Dugadda and Pokhara block) कायम है. आलम यह है कि तेंदुए की दहशत से ग्रामीण अपने पुश्तैनी घर छोड़कर पलायन करने को मजबूर हैं. यही कारण है कि दुगड्डा के गोदी गांव और पोखरा के भरतपुर गांव के ग्रामीण सामूहिक रूप से अपना घर छोड़कर कोटद्वार सहित अन्य स्थानों पर किराए पर रह रहे हैं. वहीं, पड़ोसी गांवों के लोग भी इन तेंदुए की वजह से डर के साये में जी रहे हैं.

तेंदुए का खौफ (fear of leopard) क्षेत्र में इतना कायम है कि अंधेरा होते ही लोग घरों से बाहर नहीं निकलते हैं. वहीं, बच्चों की सुरक्षा के लिए लोग उन्हें खुद ही स्कूल पहुंचाते और वापस लेने जाते हैं. इसमें उनका लगभग सारा समय लग जाता है, जिससे उनका काम और वित्तीय स्थिति प्रभावित होती है.

कोटद्वार से 16 किमी दूर स्थित गोदी गांव 25 अगस्त को पूरी तरह से वीरान हो गया. गांव में केवल चार परिवार रह गए थे और वे भी अपने पुश्तैनी घरों और खेतों को छोड़कर बाहर चले गए थे. ग्रामीणों ने दुगड्डा और कोटद्वार में किराए के मकानों में शरण ली है. इससे पहले 12 परिवार गांव छोड़कर जा चुके थे. इन 12 परिवारों में से आठ कुछ वर्ष पूर्व ही पलायन कर गये थे और समय-समय पर वह गांव वापस आते जाते रहते थे.

तेंदुए के खौफ से अपना गांव छोड़ कोटद्वार में रहने वाले चौधरी ने बताया कि पिछले साल 10 अप्रैल को एक तेंदुआ चंद्र मोहन डबराल की 5 वर्षीय बेटी माही को घर के आंगन से ले गया. वहीं, पिछले महीने रीना देवी को एक तेंदुआ उस वक्त घसीट कर ले गया, जब वह अपने बच्चे को स्कूल छोड़ कर लौट रही थी. जिसकी वजह से गांव में रह रहे चार परिवारों ने भी अपने पुश्तैनी घरों को छोड़ने का सामूहिक निर्णय लिया.
ये भी पढ़ें: 10 सितंबर तक केदारघाटी में लौट आएंगी हेली सेवाएं, यात्रा होगी सुगम

गोदी गांव निवासी शांति देवी ने कहा कि उन्होंने अपना अधिकांश सामान गांव में छोड़ दिया है. उन्हें नया जीवन शुरू करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. कोटद्वार के अनुविभागीय दंडाधिकारी प्रमोद कुमार ने गोदी गांव से ग्रामीणों के पलायन की वजह तेंदुओं की बढ़ती संख्या बताया है. वहीं, गांव खाली होने से तेंदुआ और अधिक आक्रामक हो गया है.

उन्होंने कहा कि हम इलाके में गश्त तेज करने के लिए वन विभाग के साथ समन्वय कर रहे हैं. इससे ग्रामीणों में विश्वास पैदा होगा और वे गांव लौटेंगे. वहीं, पोखरा प्रखंड की चौबट्टाखाल तहसील के दर्जनों गांव के लोग भी वर्षों से तेंदुए के खौफ में जी रहे हैं. पिछले साल 10 जून को डबरा गांव की गोदावरी देवी अपने घर के पास खेतों में काम कर रही थी. तभी तेंदुए ने उन्हें अपना निवाला बना लिया. मई 2018 में, एक तेंदुए ने सुंदराई गांव निवासी वीरेंद्र कुमार को सड़क किनारे यात्री शेड में मौत के घाट उतार दिया.

डबरा और सुंदराई के अलावा मझगांव, किलवास, क्विन, चामनौ और सौदल जैसे दर्जनों गांवों में रहने वाले लोग लगातार तेंदुए के खौफ में जी रहे हैं. पौड़ी जिले का एक और गांव भरतपुर पूरी तरह से खाली हो गया है, क्योंकि सभी ग्रामीण डर की वजह से पलायन कर चुके हैं. कोविड के दौरान, दो परिवार खेती करने के लिए गांव लौट थे, लेकिन तेंदुए के डर ने संजय सुंदरियाल को कुछ महीने पहले अपने परिवार के साथ दिल्ली जाने का मजबूर कर दिया.

गढ़वाल रेंज के संभागीय वन अधिकारी मुकेश कुमार ने कहा कि तेंदुए का बढ़ता हमला पलायन का एक कारण हो सकता है. प्रशासन की ओर से उन ग्रामीणों के पुनर्वास के लिए प्रयास किए जाएंगे, जिन्हें तेंदुए के डर से पलायन करना पड़ा है. गांव में अकेले रहने वाले रमेश चंद्र सुंदरियाल ने आखिरकार दो दिन पहले ही घर छोड़ दिया. उन्होंने गांव से करीब 10 किलोमीटर दूर गवानी कस्बे को अपना नया घर बनाया है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.