रामनगरः प्रसिद्ध वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर दीप रजवार के कमरे में दुलर्भ प्रजाति का टैनी फिश आउल कैद हुआ है. उल्लू की यह प्रजाति भी संकट में है. यह उल्लू बहुत ही कम नजर आता है, लेकिन कॉर्बेट और उसके आसपास के जंगलों में यह उल्लू नजर आने से पक्षी प्रेमी और कॉर्बेट पार्क प्रशासन गदगद हैं.
बता दें कि विश्व प्रसिद्ध जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क अपनी जैव विविधता के लिए जाना जाता है. यहां पर बाघ, भालू, हाथी, हिरण आदि के साथ कई प्रकार के पक्षी भी पाए जाते हैं. अब एक दुलर्भ प्रजाति का उल्लू यानी नी फिश आउल के दिखने से पक्षी प्रेमियों में खुशी की लहर है. टैनी फिश आउल के कान के गुच्छे काफी बड़े होते हैं. साथ ही ज्यादा बाहर की ओर निकले होते हैं. इस उल्लू को देखना आसान नहीं होता है. क्योंकि, दिन के समय ये घने और ऊंचे पेड़ों में छुप जाते हैं.
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आमतौर पर उल्लू रात या दिन ढल जाने के वक्त विचरण और शिकार करते हैं. टैनी फिश आउल गहरी हू-हू आवाज निकालता है. कभी-कभी यह बिल्ली की तरह म्याऊं की आवाज भी निकालता है. यह उल्लू आमतौर पर पानी में झपट्टा मारकर मछलियों का शिकार करता है. ज्यादातर उल्लुओं की तरह यह उल्लू भी एकांत में रहना पसंद करता है. इनका प्रजनन का मौसम नवंबर से फरवरी तक होता है. आमतौर पर यह उल्लू भारत, दक्षिणी नेपाल, बांग्लादेश, वियतनाम और चीन तक पाया जाता है.
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टैनी फिश आउल को अपने कैमरे में कैद करने वाले वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर दीप रजवार कहते हैं कि यह फिश आउल की एक प्रजाति है. जो कॉर्बेट समेत आस पास के जंगलों में पाया जाता है. इन्हें आसानी देखा नहीं जा सकता है. यह दुर्लभ प्रजाति का उल्लू है, जो नदी के आसपास घने जंगल में रहना पसंद करता है. ताकि, मछलियों का शिकार आसानी से कर सकें. दीप रजवार कहते हैं कि ये अच्छी खबर कि कॉर्बेट में यह उल्लू नजर आया है. कॉर्बेट में ध्वनि प्रदूषण होने की वजह से ये उल्लू कम नजर आते हैं. यहां से भी इनका पलायन हो चुका है. इस उल्लू का दिखाई देना, काफी अच्छे संकेत हैं.
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