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Justice Sanjay Mishra: जस्टिस संजय कुमार मिश्रा झारखंड HC में CJ नियुक्त, फुल कोर्ट रेफरेंस में दी गई विदाई

उत्तराखंड उच्च न्यायालय के जस्टिस संजय कुमार मिश्रा को झारखंड हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बनाया गया है. जिसको लेकर आज नैनीताल हाईकोर्ट में उनका विदाई समारोह किया गया. इस दौरान मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी ने उन्हें वर्चुअली रूप से बधाई दी. साथ ही संजय कुमार द्वारा दिए गए फैसलों की सराहना की.

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Published : Feb 18, 2023, 6:50 PM IST

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट के वरिष्ठ न्यायमूर्ति संजय कुमार मिश्रा को झारखंड हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बनाया गया है. जिसको लेकर उत्तराखंड उच्च न्यायालय में उनका विदाई समारोह कार्यक्रम आयोजित किया गया. इस दौरान मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी ने वर्चुअल माध्यम से जस्टिस मिश्रा को झारखंड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बनने पर बधाई दी. मुख्य न्यायाधीश ने कहा न्यायमूर्ति मिश्रा ने थोड़े से समय में ही उत्तराखंड उच्च न्यायालय के करीब 6 हजार से ज्यादा केसों का निस्तारण किया. जिनमे उनके कई निर्णय भविष्य में न्याय दिलाने में काम आएंगे.

न्यायमूर्ति मिश्रा ने अपने करीब डेढ़ साल के कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण निर्णय दिए. जिनमे उन्होंने कोरोना काल से जनहित याचिका को निस्तारित करते हुए कहा अगर कोरोना की चौथी लहर आती है तो, इस जनहित याचिका में फिर से प्रार्थना पत्र दे सकते हैं. उनके द्वारा एलटी कला वर्ग भर्ती प्रक्रिया पर लगी रोक को हटाया गया. दिल्ली से देहरादून एनएच चौड़ीकरण पर लगी रोक को हटाया. इस मामले को लेकर उन्होंने कहा सामाजिक विकास और सुरक्षा की दृष्टि से इसका निर्माण होना आवश्यक है.
ये भी पढ़ें: Chowlli Village Problem: 75 साल पहले बाढ़ से हुए विस्थापित, आज तक नहीं मिला वोटिंग का अधिकार

वहीं, उन्होंने एसिड अटैक पीड़िता के पक्ष में निर्णय देते हुए सरकार को उसे 35 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया. चारधाम यात्रा में सुविधाओं को लेकर चीफ सेक्रेटरी को आदेश दिया कि जितनी भी कमियां जनहित याचिका में उठाई गई है, उन्हें दो माह के भीतर पूर्ण करें. अंकिता भंडारी हत्या की जांच सीबीआई से कराए जाने के मामले में उन्होंने कहा एसआईटी सही जांच कर रही है. एसआईटी की जांच पर शक नहीं किया जा सकता. वहीं, कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद के घर आगजनी मामले में साक्ष्यों के अभाव पर आरोपियों को जमानत दी थी.

जस्टिस संजय मिश्रा ने कहा उत्तराखंड के रेवेन्यू कानून में सुधार की जरूरत है. क्योंकि उत्तराखंड के रेवेन्यू कानून पिता की संपत्ति पर केवल पुत्र को अधिकार देता है, बेटियों को नहीं. खासकर शादीशुदा बेटियों को बिल्कुल ही नहीं. इस पर उन्होंने निर्णय दिया, जो अभी सर्वोच्च न्यायालय में विचाराधीन है. इस विषय पर उत्तराखंड सरकार को विचार करना चाहिए.

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट के वरिष्ठ न्यायमूर्ति संजय कुमार मिश्रा को झारखंड हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बनाया गया है. जिसको लेकर उत्तराखंड उच्च न्यायालय में उनका विदाई समारोह कार्यक्रम आयोजित किया गया. इस दौरान मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी ने वर्चुअल माध्यम से जस्टिस मिश्रा को झारखंड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बनने पर बधाई दी. मुख्य न्यायाधीश ने कहा न्यायमूर्ति मिश्रा ने थोड़े से समय में ही उत्तराखंड उच्च न्यायालय के करीब 6 हजार से ज्यादा केसों का निस्तारण किया. जिनमे उनके कई निर्णय भविष्य में न्याय दिलाने में काम आएंगे.

न्यायमूर्ति मिश्रा ने अपने करीब डेढ़ साल के कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण निर्णय दिए. जिनमे उन्होंने कोरोना काल से जनहित याचिका को निस्तारित करते हुए कहा अगर कोरोना की चौथी लहर आती है तो, इस जनहित याचिका में फिर से प्रार्थना पत्र दे सकते हैं. उनके द्वारा एलटी कला वर्ग भर्ती प्रक्रिया पर लगी रोक को हटाया गया. दिल्ली से देहरादून एनएच चौड़ीकरण पर लगी रोक को हटाया. इस मामले को लेकर उन्होंने कहा सामाजिक विकास और सुरक्षा की दृष्टि से इसका निर्माण होना आवश्यक है.
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वहीं, उन्होंने एसिड अटैक पीड़िता के पक्ष में निर्णय देते हुए सरकार को उसे 35 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया. चारधाम यात्रा में सुविधाओं को लेकर चीफ सेक्रेटरी को आदेश दिया कि जितनी भी कमियां जनहित याचिका में उठाई गई है, उन्हें दो माह के भीतर पूर्ण करें. अंकिता भंडारी हत्या की जांच सीबीआई से कराए जाने के मामले में उन्होंने कहा एसआईटी सही जांच कर रही है. एसआईटी की जांच पर शक नहीं किया जा सकता. वहीं, कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद के घर आगजनी मामले में साक्ष्यों के अभाव पर आरोपियों को जमानत दी थी.

जस्टिस संजय मिश्रा ने कहा उत्तराखंड के रेवेन्यू कानून में सुधार की जरूरत है. क्योंकि उत्तराखंड के रेवेन्यू कानून पिता की संपत्ति पर केवल पुत्र को अधिकार देता है, बेटियों को नहीं. खासकर शादीशुदा बेटियों को बिल्कुल ही नहीं. इस पर उन्होंने निर्णय दिया, जो अभी सर्वोच्च न्यायालय में विचाराधीन है. इस विषय पर उत्तराखंड सरकार को विचार करना चाहिए.

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