नैनीताल: सरोवर नगरी की शान कही जाने वाली रोप-वे को आखिरकार अब कुमाऊं मंडल विकास निगम दोबारा से खोलने जा रहा है. रविवार (21 फरवरी) से पर्यटकों और स्थानीय लोगों के लिए रोप-वे खोलने का फैसला किया गया है. अच्छी बात ये है कि पहले दिन रविवार को नैनीताल के स्थानीय लोगों के साथ-साथ यहां आने वाले पर्यटकों को फ्री में रोप-वे का सफर कराया जाएगा. बता दें कि बीते 22 मार्च से कोरोना के चलते रोप-वे बंद रखा गया था.
रविवार से नैनीताल आने वाले पर्यटक इस रोप-वे का जमकर लुफ्त उठा सकेंगे. इसी को लेकर आज कुमाऊं मंडल विकास निगम के अध्यक्ष केदार जोशी ने रोप-वे का स्थलीय निरीक्षण किया साथ ही खुद रोप-वे में सफर भी किया. उन्होंने बताया कि बीते 22 मार्च से नैनीताल की रोप-वे को कोरोना संक्रमण और रिपेयरिंग के चलते बंद कर दिया गया था लेकिन अब इसे खोला जा रहा है. नैनीताल आने वाले पर्यटक दिन-रात इस रोप-वे से नैनीताल की हसीन वादियों का दीदार कर सकेंगे.
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हालांकि, रोप-वे की शुरुआत के पहले दिन इसका सफर निशुल्क रखा गया है लेकिन सोमवार से पहले की भांति वयस्क पर्यटकों से 300 रुपए और बच्चों से 200 रुपए किराया लिया जाएगा.
नैनीताल रोप-वे का इतिहास
- नैनीताल की रोप-वे उत्तराखंड की सबसे पुरानी रोप-वे है.
- इसकी स्थापना 1985 में उत्तर प्रदेश के तात्कालिक मुख्यमंत्री स्वर्गीय नारायण दत्त तिवारी ने की थी.
- इस रोप-वे का संचालन कुमाऊं मंडल विकास निगम द्वारा किया जाता है.
- हर साल निगम को करीब 2 करोड़ रुपए सालाना का राजस्व भी मिलता है.
- अबतक इस रोप-वे का संचालन मैनुअल रूप से किया जाता था.
- इस बार रोप-वे को ऑटोमेशन (ऑटोमेटिक) मोड में तब्दील कर दिया गया है.
इस दौरान कुमाऊं मंडल विकास निगम के अध्यक्ष केदार जोशी ने बताया रोप-वे को ऑटोमेशन मोड में डालने के बाद इसकी गति में 25 फीसदी की बढ़ोतरी होगी. साथ ही एक दिन में करीब 14 चक्कर लगाए जा सकेंगे, जिससे कुमाऊं मंडल विकास निगम की आय के स्रोत में इजाफा होगा.