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Millets Year 2023: उत्तराखंड में 3 साल में मोटे अनाज का उत्पादन बढ़ा, बाजार में नहीं मिल रहा है मंडुवा

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Published : Jan 27, 2023, 10:19 AM IST

भारत समेत पूरी दुनिया इस वर्ष को मोटा अनाज वर्ष के रूप में मना रही है. इसीलिए भारत सरकार ने मोटे अनाज खरीद के लिए समर्थन मूल्य भी घोषित कर दिया है. उत्तराखंड में 3 सालों में मोटे अनाज का उत्पादन बढ़ा है. मोटे अनाज में कई प्रकार के औषधीय गुण पाए जाते हैं, जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं.

Millets Year 2023
Millets Year 2023

उत्तराखंड में मोटे अनाज की पैदावार बढ़ी.

हल्द्वानी: स्वास्थ्य और सेहत को ध्यान में रखते हुए लोगों ने अब अपने खानपान में परिवर्तन किया है. ऐसे में एक बार फिर से मोटे अनाज के प्रति लोगों में रुझान देखा जा रहा है. लोगों को स्वस्थ रहने के लिए डॉक्टर भी मोटे अनाज खाने की सलाह दे रहे हैं. ऐसे में अब मोटे अनाज खाने का चलन फिर से लौट आया है. मोटे अनाज की डिमांड को देखते हुए अब सरकार भी किसानों को इनके उत्पादन के लिए प्रोत्साहित करने के लिए कई तरह की योजनाएं चला रही है. जिससे किसान ज्यादा से ज्यादा मोटे अनाज की पैदावार करें और अपनी आर्थिक मजबूती के साथ-साथ लोगों को खाने के लिए मोटा अनाज मिल सके.

मोटे अनाज की डिमांड को देखते हुए अब उत्तराखंड के किसान फिर से मंडुवा, मक्का, सांवा, रामदाना, झंगोरा, चौलाई इत्यादि फसलों की खेती की ओर रुख कर रहे हैं. इसी को देखते हुए अब सरकार ने मोटे अनाज खरीद के लिए समर्थन मूल्य भी घोषित कर दिया है. जिससे कि किसान ज्यादा से ज्यादा मोटे अनाज की पैदावार कर सकें. बात उत्तराखंड की करें तो पिछले 3 सालों में उत्तराखंड में मोटे अनाज की पैदावार बढ़ी है.

आंकड़ों की बात करें तो जहां वर्ष 2020-21 में 1,49,898 हेक्टेयर क्षेत्रफल में मंडुवा, मक्का, सांवा, रामदाना का उत्पादन हुआ करता था. 2021-22 में उत्पादन का क्षेत्रफल बढ़कर 1,53,579 हेक्टेयर हो गया है. बात उत्पादन की करें तो वर्ष 2020-21 में 2,32,234 मीट्रिक टन था जो बढ़कर 2021-22 में 25,20,072 मीट्रिक टन हुआ है. वर्ष 2021-22 में मक्के का उत्पादन 52,236 मीट्रिक टन, मंडुवे का उत्पादन 1,26,916 मीट्रिक टन, सांवा 65,429 मीट्रिक टन, जबकि रामदाना 7491 मीट्रिक टन का उत्पादन हुआ है.
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कुमाऊं के संयुक्त निदेशक कृषि विभाग प्रदीप कुमार सिंह ने बताया कि मोटे अनाज की खरीद के लिए सरकार ने समर्थन मूल्य जारी किया है. मंडुवा के लिए ₹3,578 प्रति क्विंटल जबकि मक्का के लिए ₹1,962 रुपए प्रति क्विंटल मूल्य घोषित किया है. उन्होंने बताया कि पहाड़ों पर किसानों में अब मोटे अनाज उत्पादन का रुझान देखा जा रहा है, जिसका नतीजा है कि पिछले 3 सालों में पहाड़ों पर मोटे अनाज की उत्पादकता में वृद्धि हुई है.

उन्होंने बताया कि मोटे अनाज उत्पादन के लिए सरकार भी किसानों के लिए कई तरह की योजनाएं चला रही है, जिसका लाभ किसानों को मिल रहा है. यही नतीजा है कि किसान अब मोटे अनाज अधिक से अधिक उत्पादन कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि बाजारों में भी मोटे अनाज की डिमांड अधिक होने के चलते किसानों को भी काफी लाभ मिल रहा है. जानकारी के मुताबिक मंडुवे की डिमांड काफी बढ़ी है, जहां बाजारों में मंडुवे का आटा लोगों को नहीं मिल रहा है.

बढ़ती है रोग प्रतिरोधक क्षमता: मोटे अनाज में पौष्टिकता होने के साथ ही अनेक प्रकार के औषधीय गुण भी हैं. ये रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के साथ ही मधुमेह के रोगियों के लिए भी फायदेमंद है. मोटे अनाज में कैल्शियम, आयरन, फास्फोरस, मैग्नीशियम, जस्ता, पोटेशियम, विटामिन बी-6 और विटामिन बी-3 पाया जाता है. यही वजह है कि संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इस वर्ष को मोटा अनाज वर्ष के रूप में घोषित किया है.

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