ETV Bharat / state

हल्द्वानी में रेलवे भूमि से अतिक्रमणकारियों के विस्थापन पर सुनवाई, HC से नहीं मिली राहत

author img

By

Published : Dec 23, 2022, 6:23 PM IST

हल्द्वानी में रेलवे की 29 एकड़ भूमि पर अतिक्रमणकारियों का कब्जा है. उनके विस्थापन को लेकर नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई. जिस पर सुनवाई करते हुए नैनीताल हाईकोर्ट ने कोई राहत नहीं दी है.

Nainital High Court
नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका

नैनीतालः हल्द्वानी के वनभूलपुरा में रेलवे की भूमि पर काबिज अतिक्रमणकारियों के विस्थापन को लेकर दायर 5 जनहित याचिकाओं पर नैनीताल हाईकोर्ट ने एक साथ सुनवाई की. मामले को सुनने के बाद न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा और न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने अतिक्रमणकारियों को फिलहाल कोई राहत नहीं दी है. मामले में काबिज मुस्तफा हुसैन, मोहम्मद गुफरान, टीकाराम पांडे, मदरसा गुसाईं गरीब नवाज और भूपेंद्र आर्य व अन्य अतिक्रमणकारियों की ओर से जनहित याचिकाएं दायर की गई हैं.

दरअसल, बीते 9 नवंबर 2016 को नैनीताल हाईकोर्ट ने रविशंकर जोशी की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए 10 हफ्तों के भीतर रेलवे की जमीन से अतिक्रमण हटाने का आदेश (encroachment on railway land) दिया था. कोर्ट ने कहा था कि जितने भी अतिक्रमणकारी हैं, उनको रेलवे पीपीएक्ट के तहत नोटिस देकर जन सुवाइयां करें. रेलवे की तरफ से कहा गया कि हल्द्वानी में रेलवे की 29 एकड़ भूमि (Railway Land in Haldwani) पर अतिक्रमण किया गया है. जिनमें करीब 4,365 लोग मौजूद हैं. हाईकोर्ट के आदेश पर इन लोगों को पीपी एक्ट में नोटिस दिया गया. जिनकी रेलवे ने पूरी सुनवाई कर ली है.
ये भी पढ़ेंः हल्द्वानी में रेलवे की भूमि पर कब्जा कर बने 4,300 घर तोड़े जाएंगे, हाईकोर्ट का आदेश

वहीं, किसी भी व्यक्ति के पास जमीन के वैध कागजात नहीं पाए गए. इनको हटाने के लिए रेलवे ने जिलाधिकारी नैनीताल से दो बार सुरक्षा दिलाए जाने के लिए पत्र दिया. जिसपर आज तक कोई जवाब नहीं दिया गया. जबकि, दिसंबर 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को दिशा निर्देश दिए थे कि अगर रेलवे की भूमि पर अतिक्रमण किया गया है तो पटरी के आसपास रहने वाले लोगों को दो हफ्ते और उसके बाहर रहने वाले लोगों को 6 हफ्ते के भीतर नोटिस देकर हटाएं, ताकि रेलवे का विस्तार हो सके.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.