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वनाग्नि पर काबू पाने के लिए वेस्टर्न सर्किल का मास्टर कंट्रोल रूम तैयार, जंगलों में लगाए जा रहे वॉच टावर

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Published : Apr 13, 2023, 4:12 PM IST

अपनी संपन्न वन सम्पदा के कारण उत्तराखण्ड का देश के पर्यावरणीय संतुलन में बड़ा महत्वपूर्ण योगदान है. नवीन सिंह पवार का कहना है कि हर साल हजारों हैक्टेयर वनों और जैव विविधता को नुकसान पहुंचाने वाली वनाग्नि की रोकथाम करने के लिये फॉरेस्ट के कर्मचारी और अधिकारी पूर्ण तरीके से तैयार रहते हैं. लेकिन जंगल को आग से बचाने का काम राज्य सरकार के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा है.

वनाग्नि पर काबू पाने के लिए वेस्टर्न सर्किल का मास्टर कंट्रोल रूम तैयार
वनाग्नि पर काबू पाने के लिए वेस्टर्न सर्किल का मास्टर कंट्रोल रूम तैयार

वनाग्नि पर काबू पाने के लिए वेस्टर्न सर्किल का मास्टर कंट्रोल रूम तैयार

हल्द्वानी: हल्द्वानी के कुमाऊं परिक्षेत्र में गर्मी के दस्तक देने के साथ ही तराई क्षेत्रों व उससे लगे जंगलों में लगी आग बेकाबू हो चुकी है. जिसके चलते बेशकीमती वन सम्पदा ख़ाक होने के साथ ही हाथी, बाघ सहित अन्य वन्य-जीवों के अस्तित्व पर संकट मंडराने लगा है. वन अधिकारियों के मुताबिक डीएफओ संदीप कुमार का कहना है कि इस साल बारिश बहुत ज्यादा नहीं हुई जिससे जंगलो में आग लगने की आशंका बढ़ गई है. जिससे निपटने के लिए फायर सीज़न की तैयारी को अंतिम रूप दिया जा चुका है.

मास्टर कंट्रोल रुम से रखी जाएगी वनाग्नि पर पैनी नजर: वनाग्नि पर काबू पाने के लिए पश्चिमी वृत्त यानी वेस्टर्न सर्किल का मास्टर कंट्रोल रूम तराई पूर्वी वन प्रभाग के कार्यालय में तैयार किया जा रहा है. खास बात यह है कि पश्चिमी वृत के 5 वन प्रभागों के मास्टर कंट्रोल रूम को आपदा प्रबंधन कंट्रोल रूम और पुलिस कंट्रोल रूम के साथ भी जोड़ा जाएगा. मास्टर कंट्रोल रूम में 24 घंटे वन अधिकारी और कर्मचारियों की पैनी नजर है. इसके साथ ही हर एक वन कर्मचारी अलर्ट मोड पर रहेगा. जंगल मे आग लगने की सूचना कहीं से भी आए उसको तुरंत ही संबंधित वन प्रभाग के क्रू स्टेशन प्रभारी और रेंज कार्यालय तक पहुंचाया जाएगा.

जंगलों में लगाए जा रहे वॉच टावर: मास्टर कंट्रोल रूम का काम यह होगा कि सूचना पुलिस के माध्यम से मिले या आपदा प्रबंधन कंट्रोल रूम से मिले वनाग्नि पर काबू पाना सबसे पहली प्राथमिकता होगी. यह कंट्रोल रूम 24 घंटे नॉन स्टॉप काम कर रहा है. इस बार सर्दियों में बारिश अपेक्षाकृत कम हुई है लिहाजा आग लगने की घटनाओं में तेजी आ सकती है. इसको देखते हुये जंगलों के बीच-बीच में वॉच टावर भी लगाए गए हैं जिससे फायर और और अन्य घटनाओं पर नजर रखी जा सके. वन विभाग ग्रामीणों के साथ भी सहभागिता निभाने के लिए बातचीत कर रहा है. इसके अलावा वन पंचायतों की भागीदारी भी तय की जा रही है. इसके अलावा फॉरेस्ट फायर के लिहाज से संवेदनशील वन क्षेत्रों में फायर ड्रिल लगातार की जा रही है.
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उम्मीद की जानी चाहिए कि इस बार पहले से ही मास्टर कंट्रोल रूम तैयार किया जा चुका है जिससे जंगल में आग लगने की सूचना मिलते ही वनाग्नि पर तुरंत काबू पाये जा सकने में मदद मिल सकेगी. आग से बचाने के लिए फॉरेस्ट विभाग अलर्ट मोड में है क्योंकि गर्मी के सीजन में वन संपदा का भारी नुकसान होता है. वन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों द्वारा आग से जंगल को बचाने के लिए तैयारियां जोरों पर चल रही है.

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