नैनीताल: सड़क पर गाड़ियों का दवाब कम करने के लिए काठगोदाम से नैनीताल तक रोप-वे बनाए जाने का मामला अब उच्च न्यायालय पहुंच गया है. जिसकी सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने राज्य सरकार और टूरिज्म डेवलपमेंट बोर्ड को दो सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है.
बता दें कि नैनीताल निवासी अजय रावत ने उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की थी. जिसमें कहा गया था कि हल्द्वानी के काठगोदाम से नैनीताल तक बनने वाले रोप-वे में निहाल नाले, बनियान वाले समेत मनोरा पिक से होता जाएगा. लेकिन मनोरा पिक भू-गर्भीय रिपोर्ट के आधार पर अति संवेदनशील है. जिस के चलते यहां किसी भी प्रकार का निर्माण नहीं किया जा सकता.
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साथ ही पूर्व में भी मनोरा पिक समेत आसपास के क्षेत्र में निर्माण न करने को लेकर अजय रावत द्वारा जनहित याचिका दायर की गई थी. जिसमें कहा गया था कि यह क्षेत्र रेत के ढेर के ऊपर बना है. इस झेत्र में किसी भी प्रकार का निर्माण बड़े खतरे को न्योता देगा, लिहाजा इस स्थान पर कोई भी निर्माण ना हो.
इसके अलावा याचिका में कहा गया है कि जिस स्थान पर रोप-वे बनाया जा रहा है उसके दोनों तरफ बलिया नाला और निहाल नाला हैं . इन दोनों नालों में लंबे समय से भूस्खलन हो रहा है, जिससे नैनीताल के अस्तित्व पर भी खतरा मंडरा रहा है.
वहीं, बुधवार को इस मामले की सुनवाई करते हुए नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने राज्य सरकार और उत्तराखंड टूरिज्म डिपार्टमेंट को 2 सप्ताह के भीतर अपना जवाब कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं.