हल्द्वानी: इन दिनों प्रदेश में ही नहीं, बल्कि पूरे देश में सड़क दुर्घटनाओं की संख्या में बेतहाशा वृद्धि हो रही है. ऐसे में सड़क हादसे में घायल व्यक्ति रास्ते में ही पड़ा तड़पता रहता है, लेकिन कानूनी पचड़ों और सुविधाओं के अभाव में कोई भी व्यक्ति घायल की मदद के लिए आगे नहीं आता है. सड़क हादसे के दौरान आम आदमी पुलिस प्रशासन और एंबुलेंस का इंतजार ही करता रहता है और इलाज के अभाव में घायल दम तोड़ देता है. ऐसे में घायल व्यक्ति की जान कैसे बचाई जा सकती है. इसके लिए ईटीवी भारत ने डॉक्टर्स से राय ली.
सुशीला तिवारी अस्पताल के सर्जन डॉ. के एस शाही के अनुसार
- सड़क हादसे के दौरान घायल को तुरंत सड़क से किनारे लेकर आना चाहिए, जिससे कोई दूसरा हादसा न हो.
- घटना के दौरान तुरंत एंबुलेंस को फोन करने के बाद रक्त स्राव की स्थिति में किसी कपड़े से कटे हुए स्थान को बांध दें, जिससे खून का बहना कम हो जाएगा.
- अगर हादसे में घायल का कोई अंग क्षतिग्रस्त हो गया है तो उसको लकड़ी या बांस की खपच्चे के सहारे बांध दें.
- कोई लोहे की वस्तु शरीर के अंदर में घुसी हुई है तो उसे किसी भी हालत में नहीं निकालें.
- सबसे ज्यादा खतरा सिर पर लगी चोट से होता है तो सिर को कपड़े से अच्छी तरह बांध लें, जिससे घायल व्यक्ति के बहते खून को रोका जा सके.
- हादसे के दौरान घायल व्यक्ति को उठाने के लिए स्ट्रेचर का प्रयोग करें, जिससे घायल को और ज्यादा नुकसान न हो.
जानकारी के अनुसार, सुशीला तिवारी अस्पताल में रोजाना 10 से 15 लोग सड़क हादसे में इलाज के लिए आते हैं और इसमें अधिकतर मौतें सिर पर चोट लगने से या ज्यादा रक्तस्राव होने के कारण होती हैं.
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सुप्रीम कोर्ट ने जारी किए दिशा निर्देश
सड़क हादसा होने पर आप पीड़ित की निःसंकोच मदद कर सकते हैं. इसके लिए पुलिस आपको परेशान नहीं करेगी. सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद-141 के तहत तमाम राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए ये आदेश जारी किया है. इसके तहत घायल की मदद करने वाले राहगीर को कानूनी पचड़ों में नहीं डाला जाएगा.
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक सुनील कुमार मीणा ने बताया कि सड़क हादसे के दौरान पुलिस मौके पर पहुंचकर घायलों को अस्पताल ले जाने और इलाज की व्यवस्था करती है. पुलिसकर्मी को फर्स्ट एड प्राथमिकता के लिए ट्रेनिंग दी जाती है. साथ ही जरुरत पड़ने पर पुलिस प्राथमिक इलाज भी करती है.