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हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज रैगिंग मामला: हाईकोर्ट ने दिखाई सख्ती, प्रिंसिपल से 20 अप्रैल तक मांगा जवाब

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Published : Mar 30, 2022, 12:34 PM IST

नैनीताल हाईकोर्ट ने हल्द्वानी के राजकीय मेडिकल कॉलेज के छात्रों के साथ रैगिंग किए जाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. साथ ही खंडपीठ ने मेडिकल कॉलेज के प्रिंसपल को अंतिम अवसर देते हुए 20 अप्रैल तक जवाब पेश करने को कहा है.

Uttarakhand High Court Nainital
नैनीताल हाईकोर्ट

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने हल्द्वानी के राजकीय मेडिकल कॉलेज के 27 छात्रों के साथ रैगिंग किए जाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. मामले को सुनने के बाद कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल को अंतिम अवसर देते हुए 20 अप्रैल तक जवाब पेश करने को कहा है. मुख्य स्थायी अधिवक्ता सीएस रावत द्वारा कोर्ट को अवगत कराया कि मेडिकल कॉलेज प्रबंधन द्वारा कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए परिसर में स्थापित सभी सीसीटीवी कैमरों को ठीक कराकर उनका संचालन कर दिया गया.

हाईकोर्ट ने समाचार पत्रों में छपी खबर का भी संज्ञान लिया है, जिसमे कॉलेज प्रबंधन ने कहा कि रैगिंग करने वाले छात्रों के ऊपर अर्थदंड लगाया गया है. सरकार से इस पर भी स्पष्ट करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई 20 अप्रैल की तिथि नियत की है. पूर्व में कोर्ट ने मामले की जांच कराने हेतु कुमाऊं कमिश्नर व कुमाऊं डीआईजी की दो सदस्यी कमेटी गठित की थी और दो सप्ताह के भीतर जांच कर दोषियों के खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए थे. रिपोर्ट में जो शिकायतें थी वे सही पाई, कॉलेज परिसर में सीसीटीवी कैमरे नहीं लगे हैं, जो लगे है वे खराब है तथा प्रिंसिपल ने 18 मार्च को अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर दिया है.

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मामले के अनुसार हरिद्वार निवासी सचिदानंद डबराल ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि हल्द्वानी के राजकीय मेडिकल कॉलेज में 27 छात्रों का सिर मुंडवाकर उनके साथ रैगिंग की गई. उनके पीछे बकायदा एक सुरक्षा गार्ड भी चल रहा है. हालांकि, कॉलेज प्रबंधन का कहना है कि उसके पास रैगिंग की कोई शिकायत नहीं आयी है. सुनवाई के दौरान याचिकर्ता के अधिवक्ता द्वारा कोर्ट को बताया गया था कि वायरल वीडियो में 27 छात्र एक लाइन में खड़े सिर मुंडवाये हुए हैं और सभी के हाथ पीछे की ओर हैं साथ ही एक गार्ड उनके पीछे खड़ा दिखाई दे रहा है. जबकि रैगिंग करना सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों के विरुद्ध है.

समाचार पत्रों में छपी खबर व वायरल वीडियो में पता लगा कि ये सभी छात्र एमबीबीएस प्रथम वर्ष के छात्र हैं. प्रथम वर्ष के सभी स्टूडेंट्स को बाल कटवाने के निर्देश इनके सीनियर छात्रों ने दिए हैं. इस मामले को रैंगिंग से जोड़कर देखा जा रहा है. जहां तक छात्रों के बाल काटने का मामला है कॉलेज की तरफ से कहा जा रहा है कि छात्रों के सिर में डैंड्रफ व जूं पड़ गए थे, इसलिए इनके बाल मुंडवा दिये. याचिककर्ता के अधिवक्ता द्वारा वायरल वीडियो को कोर्ट में दिखाया गया था.

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