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रोडवेज कर्मियों की याचिका पर HC ने केंद्र से मांगा जवाब, पूछा- क्यों नहीं हुई बैठक?

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Published : Aug 4, 2021, 4:36 PM IST

नैनीताल हाईकोर्ट ने परिवहन सचिव भारत सरकार से जवाब मांगा है कि वे यूपी और उत्तराखंड रोडवेज की परिसंपत्तियों के बंटवारे को लेकर दोनों राज्यों के परिवहन सचिवों की कब बैठक कराएंगे. दोनों राज्यों में एक ही पार्टी की सरकार होने के बाद भी इस समस्या का हल क्यों नहीं निकल पा रहा है?

Nainital High Court
नैनीताल हाईकोर्ट

नैनीताल: उत्तराखंड रोडवेज के कर्मचारियों के छह माह के बकाया वेतन और उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड के बीच परिसम्पतियों का बंटवारा नहीं होने के मामले में दायर याचिका पर बुधवार को नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान वित्त सचिव अमित नेगी, परिवहन सचिव रंजीत सिन्हा और नवनियुक्त महानिदेशक परिवहन नीरज खैरवाल वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट में पेश हुए.

भारत सरकार के सचिव को दिए आदेश: खंडपीठ ने परिवहन सचिव भारत सरकार को निर्देश दिए हैं कि जल्द से जल्द उत्तर प्रदेश परिवहन सचिव व उत्तराखंड परिवहन सचिव की मीटिंग कराएं. ताकि परिवहन विभाग की परिसम्पतियों का बंटवारा हो सके. केंद्र सरकार के अधिवक्ता एक सप्ताह के भीतर कोर्ट को बताएं कि कब तक दोनों प्रदेशों के परिवहन सचिवों की मीटिंग होगी.

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परिवहन सचिव ने दी जानकारी: पूर्व के आदेश के क्रम में उत्तराखंड के परिवहन सचिव ने कोर्ट को बताया कि सरकार की तरफ से 34 करोड़ रुपए उत्तराखंड परिवहन निगम के खाते में राज्य आकस्मिक निधि से ऋण के रूप में दिये जा रहे हैं. इसे कैबिनेट से भी मंजूरी दे दी गई है. ये रकम आज 4 अगस्त को निगम के खाते में जमा की जा रही है.

केंद्र की तरफ से नहीं मिला संतोषजनक जवाब: पूर्व में कोर्ट ने परिवहन सचिव केंद्र सरकार को निर्देश दिए थे कि परिसम्पतियों के बंटवारे के लिए उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड के सचिवों की बैठक करें. इस पर जब कोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा तो उनकी तरफ से कोई संतोषजनक उत्तर नहीं दिया गया. ऐसे में कोर्ट ने कहा कि जब दो देशों के प्रधानमंत्रियों की बैठक होती है तो विदेश सचिवों की मुख्य भूमिका होती है, लेकिन यहां कोर्ट की तरफ से बार-बार आदेश देने के बाद भी बैठक नहीं हो रही है.

क्यों नहीं सुलझा मामला?: कोर्ट ने केंद्र सरकार के पूछा कि दोनों राज्यों के सचिवों की बैठक कराने में कहां समस्या आ रही है. पिछली तिथि को कोर्ट ने यह तक कहा था कि जब केंद्र व दोनों राज्यों में सरकार एक ही पार्टी की है तो मामला एक बार आदेश करने पर सुलझ जाना चाहिए था.

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सचिव ने किया शपथ पत्र पेश: वहीं परिवहन सचिव उत्तराखंड ने कोर्ट में शपथ पत्र पेश कर कहा कि कर्मचारियों को भविष्य में वेतन देने के लिए वे सम्पूर्ण प्रपोजल कैबिनेट के सामने रखेंगे. अभी लॉकडाउन खुल गया है और परिवहन पहले की तरह काम करने लगा है. इससे भी निगम की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा.

अन्य मामलों पर सुनवाई नहीं: सुनवाई के दौरान उत्तराखंड रोडवेज यूनियन के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि निगम कर्मचारियों को एसीपी, ग्रेच्युटी और पीएफ भी नहीं दे रहा है. इस पर कोर्ट ने कहा कि ये मामले अलग हैं. अभी तो वेतन दिए जाने की समस्या है. कर्मचारियों को कहां से वेतन दिया जाय?

मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश आरएस चौहान व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में हुई. बता दें कि उत्तराखंड रोडवेज कर्मचारी यूनियन ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी. इसमें उन्होंने सरकार की तरफ एस्मा लगाने का विरोध किया था.

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उन्होंने कोर्ट को बताया था कि सरकार कर्मचारियों को हड़ताल करने पर मजबूर करती आई है. सरकार व परिवहन निगम न तो संविदा कर्मचारियों को नियमित कर रहे हैं, न उनको नियमित वेतन दिया जा रहा है. उनको पिछले चार साल से ओवर टाइम भी नहीं दिया जा रहा है. रिटायर्ड कर्मचारियों के देयकों का भुगतान नहीं किया गया. यूनियन का सरकार व निगम के साथ कई बार मांगों को लेकर समझौता हो चुका है, उसके बाद भी सरकार एस्मा लगाने को तैयार है.

साथ ही याचिका में कहा है कि सरकार ने निगम को 45 करोड़ रुपया बकाया देना है. वहीं उत्तर प्रदेश परिवहन निगम द्वारा भी निगम को 700 करोड़ रुपए देना है. न तो राज्य सरकार निगम को उनका 45 करोड़ पर दे रही है और न ही राज्य सरकार उत्तर प्रदेश से 700 करोड़ रुपए की मांग कर रही है. इस वजह से निगम न तो नई बसें खरीद पा रहा है और न ही बस में यात्रियों की सुविधाओं के लिए सीसीटीवी समेत अन्य सुविधाएं दे पा रहा है. इधर लॉकडाउन के चलते उनको फरवरी माह से वेतन तक नहीं दिया गया है.

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