ETV Bharat / state

कोसी नदी की दो धाराओं के बीच है मां गर्जिया का ये खास मंदिर, बावड़ घास बांधकर मांगी जाती है मन्नत

author img

By

Published : Sep 30, 2019, 12:53 PM IST

Updated : Sep 30, 2019, 3:16 PM IST

रामनगर में गर्जिया देवी मंदिर कोसी नदी की दो धाराओं के बीच पहाड़ी पर स्थित है. वहीं गर्जिया देवी मंदिर में नवरात्रि में श्रद्धालुओं की खासी भीड़ उमड़ती है.

गर्जिया देवी मंदिर.

रामनगर: देवभूमि की दिव्यता किसी से अछूती नहीं है. देवभूमि के कण-कण में देवी- देवताओं का वास माना जाता है. यहां मां भगवती के कई शक्ति पीठ हैं. जहां बड़ी संख्या में देश-विदेश से श्रद्धालु पहुंचते हैं. वहीं रामनगर के गर्जिया देवी के मंदिर में नवरात्रि में भक्तों का तांता लगा हुआ है. जहां दूर-दूर से श्रद्धालु पहुंच रहे हैं.

पूरे देश में नवरात्रि पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है. वहीं नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की उपासना की जा रही है. भक्तों का सुबह से ही मंदिरों में तांता लगा हुआ है. वहीं रामनगर के गर्जिया मंदिर में सुबह से श्रद्धालु बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं. रामनगर में गर्जिया देवी मंदिर कोसी नदी की दो धाराओं के बीच पहाड़ी पर है. नवरात्रि में माता गर्जिया देवी के दर्शन और पतित पावनी कौशिकी (कोसी) नदी में स्नानार्थ के लिए भक्तों की भारी संख्या में भीड़ उमड़ती है. कोसी नदी की कल-कल बहती धारा श्रद्धालुओं को बरबस ही अपनी ओर आकर्षित करती हैं.

प्रकृति की गोद में बसा मंदिर
प्रकृति की गोद में बसा यह मंदिर लोगों को प्रकृति के नैसर्गिक सौन्दर्य के साथ ही देवत्व का भी अहसास कराता है. यह प्रसिद्ध मंदिर रामनगर से लगभग 11 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. मां भगवती का ये मंदिर छोटी पहाड़ी के ऊपर बना हुआ है. मां गर्जिया देवी मंदिर में श्रद्धालु मन्नत मानकर बावड़ घास या चुनरी की गांठ बांधतें हैं. वहीं मनोकामना पूरी होने पर श्रद्धालु उस गांठ को खोलने अवश्य आते हैं. जो लोगों की अटूट आस्था को दर्शाता है. मंदिर के बारे में पौराणिक मान्यता है कि ये मंदिर महाभारतकालीन है. जहां राजा विराट ने पांडवों को अज्ञातवास के दौरान रहने की अनुमति दी थी.

दूर-दूर से आते हैं दर्शनार्थी
माना जाता है कि राजा विराट ने इस स्थल पर ही मां गर्जिया की कठोर तपस्या की थी. मां गर्जिया को ही मां पार्वती का रूप माना जाता है. राजा विराट की तपस्या से प्रसन्न होकर मां गर्जिया ने उन्हें मोक्ष का वरदान दिया था. अतीत से ये मंदिर लोगों की अटूट आस्था का केन्द्र रहा है. मंदिर में गंगा दशहरा, नव दुर्गा, शिवरात्रि, उत्तरायणी, बसंत पंचमी में भी भारी संख्या में दर्शनार्थी दूर-दूर से आते हैं.

Intro:Body:

नवरात्रि विशेष: भक्तों की आस्था का केंद्र है मां गर्जिया देवी मंदिर, श्रद्धालु इस तहर मांगते हैं मन्नोतियां

garjiya devi temple story in ramnagar



रामनगर: देवभूमि की दिव्यता किसी से अछूती नहीं हैं. देवभूमि के कण-कण में देवताओं का वास माना जाता है. जहां मां भगवती के कई शक्ति पीठ हैं. जहां बड़ी संख्या में देश-विदेश से श्रद्धालु पहुंचते हैं. वहीं रामनगर के गर्जिया देवी मंदिर में भी भक्तों का तांता लगा हुआ है. जहां दूर-दूर से श्रद्धालु पहुंच रहे हैं. 

पूरे भारत में नवरात्रि पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है. वहीं नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की उपासना की जा रही है. भक्तों का सुबह से ही मंदिरों में तांता लगा हुआ है. वहीं रामनगर के गर्जिया मंदिर में सुबह से श्रद्धालु बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं. रामनगर में गर्जिया देवी मंदिर कोसी नदी की दो धाराओं के बीच पहाड़ी पर है. नवरात्रि पर्व पर श्रद्धालु माता गर्जिया देवी के दर्शनों एवं पतित पावनी कौशिकी (कोसी) नदी में स्नानार्थ के लिए भक्तों की भारी संख्या में भीड़ उमड़ती है. कोसी नदी की कल-कल बहती धारा श्रद्धालुओं को बरबस ही अपनी ओर आकर्षित करती है.

प्रकृति की गोद में बसा है मंदिर

प्रकृति की गोद में बसा यह मंदिर लोगों को प्रकृति के नैसर्गिक सौन्दर्य के साथ ही देवत्व का भी अहसास करती है. यह प्रसिद्ध मंदिर रामनगर से लगभग 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. मां भगवती का ये मंदिर छोटी पहाड़ी के ऊपर बना हुआ है. मां गर्जिया देवी मंदिर में श्रद्धालु मन्नत मानकर बावड़ घास या चुनरी की गांठ बांधतें हैं. वहीं मनोकामना पूरी होने पर श्रद्धालु उस गांठ को खोलने आते हैं. जो लोगों की आस्था को दर्शाता है. मंदिर के बारे में पौराणिक मान्यता है कि ये मंदिर महाभारतकालीन है. जहां राजा विराट ने पांडवों को  अज्ञातवास के दौरान  रहने की अनुमति दी थी. 

दूर-दूर से आते हैं दर्शनार्थी 

माना जाता है कि राजा विराट ने इस स्थल पर ही मां गर्जिया जिन्हें मां पार्वती का रूप माना जाता है उनकी कठोर तपस्या की थी. राजा विराट की तपस्या से प्रसन्न होकर मां गर्जिया ने उन्हें मोक्ष का वरदान दिया था. अतीत से ये मंदिर लोगों की अटूट आस्था का केन्द्र रहा है. मंदिर में गंगा दशहरा, नव दुर्गा, शिवरात्रि, उत्तरायणी, बसंत पंचमी में भी भारी संख्या में दर्शनार्थी दूर-दूर से आते हैं. 


Conclusion:
Last Updated : Sep 30, 2019, 3:16 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.