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सियासत की जमीन पर 'अतिक्रमण' की बिसात, होगा बुलडोजर से प्रहार या विपक्ष के आगे घुटने टेकेगी सरकार?

हल्द्वानी में रेलवे जमीन से अतिक्रमण हटाने का मामला अब सियासी मुद्दा बनता जा रहा है. जहां एक ओर अतिक्रमणकारियों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है. वहीं, मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस इस मुद्दे पर सरकार को घेरने और प्रभावितों के हितों के लिए आवाज उठाने में जुटी है. हालांकि, ये मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है. जिस पर फैसला आना अभी बाकी है, लेकिन इसको लेकर उत्तराखंड में सियासी माहौल गर्म है.

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हल्द्वानी रेलवे जमीन पर अतिक्रमण मामले में सियासत!
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Published : Jan 3, 2023, 9:54 PM IST

Updated : Jan 3, 2023, 10:40 PM IST

हल्द्वानी रेलवे जमीन पर अतिक्रमण मामले में सियासत!

देहरादून: नैनीताल जिले के हल्द्वानी से सबसे बड़ा अतिक्रमण हटाया जाएगा. दरअसल, हल्द्वानी में रेलवे की जमीन से अतिक्रमण हटाने का मामला इन दिनों उत्तराखंड में सबसे मुद्दा बना हुआ है. क्योंकि यहां एक दो नहीं, बल्कि करीब 4500 परिवारों द्वारा रेलवे की जमीन पर किए गए अतिक्रमण को हटाया जाना है. इसके लिए 10 जनवरी की तिथि भी नियत कर दी गई है. वहीं, मामले में 5 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है. लेकिन सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने से पहले ही उत्तराखंड की राजनीति में सियासत गरमानी शुरू हो गई है. इस मामले को लेकर भाजपा और कांग्रेस एक दूसरे पर हमलावर नजर आ रहे हैं.

दरअसल, उच्च न्यायालय के आदेश पर हल्द्वानी में रेलवे की जमीन पर हुए अतिक्रमण को हटाया जाना है. हल्द्वानी के बनफूलपुरा क्षेत्र के गफूर बस्ती समेत 78 एकड़ भूमि से करीब 4365 घरों को ध्वस्त कर हटाना है. नैनीताल हाईकोर्ट के आदेश के बाद अतिक्रमण हटाने की खबर से उत्तराखंड में सियासत शुरू हो गई है. मामले को लेकर राजनीतिक दल भी मैदान में उतर चुके हैं. अब इस मामले पर सभी दल अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने में जुट गए हैं. क्योंकि, हल्द्वानी के इस क्षेत्र में करीब 40 हजार लोग रहते हैं, जो सीधे तौर पर चुनाव को प्रभावित करते हैं. वहीं, अतिक्रमण हटाने को लेकर प्रशासन की ओर से तमाम तैयारियां शुरू कर दी है.

अपने आशियाना उजड़ने को लेकर प्रभावित लोगों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. इन लोगों ने राज्य सरकार के खिलाफ हजारों की संख्या में कैंडल मार्च निकालकर अपना विरोध जताया है. इस कैंडल मार्च में महिलाओं के साथ ही बच्चे और बुजुर्ग भी शामिल हुए. जहां उन्होंने सरकार से अतिक्रमण न हटाए जाने की मांग की. साथ ही कहा कि अगर सरकार अतिक्रमण हटाना ही चाहती है तो सबसे पहले उनको विस्थापित किया जाए. अतिक्रमणकारियों का कहना है कि कड़ाके की ठंड में उन्हें बेघर नहीं किया जाना चाहिए. उनके पूर्वज कई दशकों से इस भूमि पर रह रहे हैं. अब रेलवे उनकी भूमि को अपना बता रही है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने तक अतिक्रमण न हटाने की मांग की है.
ये भी पढ़ें: हल्द्वानी में रेलवे की भूमि से अतिक्रमण हटाने का जोरदार विरोध, देखिए वीडियो

मामले को लेकर नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने सरकार पर जमकर निशाना साधा है. उन्होंने कहा रेलवे प्रकरण के प्रति सरकार के मन में खोट है. सरकार चाहती है कि किसी भी तरह से पीड़ितों को बेदखल कर दिया जाए. राज्य सरकार ने न्यायालय में अपना पक्ष सही तरीके से नहीं रखा, जिस वजह से हजारों लोग सर्दी के मौसम में बेघर होने की कगार पर हैं. रेलवे जिसको अपनी जगह बता रहा है, उस जगह पर कई जगह सरकारी स्कूल, फ्री होल्ड जमीन और सरकारी संपत्ति भी है. इसलिए राज्य सरकार को चाहिए कि वह उच्चतम न्यायालय में अपना पक्ष रखे. वही, उन्होंने कहा कांग्रेस पार्टी भी रेलवे प्रकरण से पीड़ित लोगों के साथ खड़ी है.

हल्द्वानी में रेलवे जमीन पर हुए अतिक्रमण मामले में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा सरकार को 40 हजार लोगों का संरक्षण करने की जरूरत है. राज्य सरकार एक तरफ लोगों को आशियाना देने का दावा करती है. वही, हल्द्वानी में 50 साल से रह रहे लोगों को बेघर करने की रेलवे द्वारा तैयारी हो रही है. जिस पर राज्य सरकार चुप्पी साधे बैठी है. उन्होंने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की है, ताकि लोग बेघर ना हो.

वही, कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव और पूर्व विधायक काजी निजामुद्दीन भी इस मुद्दे पर सरकार को घेरने में जुटे हैं. वो भी हल्द्वानी में बेघर किए जा रहे परिवारों का मसला उठाया है. उन्होंने कहा हल्द्वानी में करीब 4500 परिवार बेघर होने की कगार पर हैं, जो एक गंभीर विषय है. सरकार कहीं की भी हो, वो हर बेघर को घर देने की बात करती है, लेकिन यहां घरवालों को ही बेघर किया जा रहा है. उन्होंने सवाल उठाया कि पहले रेलवे 29 एकड़ जमीन बता रहा था, फिर 79 एकड़ जमीन रेलवे की कैसे हो गई.

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हल्द्वानी से हटाया जाएगा सबसे बड़ा अतिक्रमण.

इसके साथ ही काजी निजामुद्दीन ने कहा सालों से इस जमीन पर मंदिर, मस्जिद, स्कूल, ओवरहेड टैंक, धर्मशालाएं, दो सरकारी इंटर कॉलेज और सरकारी स्वास्थ्य केंद्र मौजूद है. अगर यह रेलवे की लैंड थी, तो राज्य सरकार ने उसे शत्रु संपत्ति कैसे घोषित कर दिया. शत्रु संपत्ति के नाम से राज्य सरकार ने संपत्ति को ऑक्शन किया. वह जमीन जिसने भी ली वह राज्य सरकार की जिम्मेदारी है.

इस मामले में भाजपा से नैनीताल सांसद और केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने कहा वह उच्चतम न्यायालय के आदेश का पालन करते हैं. लिहाजा आदेश के विपरीत नहीं जा सकते. सरकार को इस पूरे मामले का ज्ञान है. ऐसे में जो बेहतर होगा वो सरकार करेगी, लेकिन हाईकोर्ट के किसी भी निर्णय पर सवाल नहीं उठा सकते हैं. वही, कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने कहा जब मामला कोर्ट में हो तो उसपर बोलना ठीक नहीं है. लिहाजा जो कोर्ट का निर्णय होगा, वो मान्य होगा.

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हल्द्वानी अतिक्रमण मामले के मुख्य बिंदु.

हालांकि, भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष खजान दास का इस मामले में कुछ अलग ही राय है. दरअसल खजान दास के अनुसार सरकार उन सबको बसाने का काम करेगी. खजान दास ने कहा सरकार ने कोई ऐसा निर्णय नहीं लिया है और ना ही लेगी. लिहाजा सरकार सबको बसाने का काम करेगी. साथ ही कहा कि उत्तराखंड या फिर देश के किसी भी कोने में किसी ने जन्म लिया हो, उसका संरक्षण करना भी सरकार का दायित्व है.

हल्द्वानी रेलवे जमीन पर अतिक्रमण मामले में सियासत!

देहरादून: नैनीताल जिले के हल्द्वानी से सबसे बड़ा अतिक्रमण हटाया जाएगा. दरअसल, हल्द्वानी में रेलवे की जमीन से अतिक्रमण हटाने का मामला इन दिनों उत्तराखंड में सबसे मुद्दा बना हुआ है. क्योंकि यहां एक दो नहीं, बल्कि करीब 4500 परिवारों द्वारा रेलवे की जमीन पर किए गए अतिक्रमण को हटाया जाना है. इसके लिए 10 जनवरी की तिथि भी नियत कर दी गई है. वहीं, मामले में 5 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है. लेकिन सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने से पहले ही उत्तराखंड की राजनीति में सियासत गरमानी शुरू हो गई है. इस मामले को लेकर भाजपा और कांग्रेस एक दूसरे पर हमलावर नजर आ रहे हैं.

दरअसल, उच्च न्यायालय के आदेश पर हल्द्वानी में रेलवे की जमीन पर हुए अतिक्रमण को हटाया जाना है. हल्द्वानी के बनफूलपुरा क्षेत्र के गफूर बस्ती समेत 78 एकड़ भूमि से करीब 4365 घरों को ध्वस्त कर हटाना है. नैनीताल हाईकोर्ट के आदेश के बाद अतिक्रमण हटाने की खबर से उत्तराखंड में सियासत शुरू हो गई है. मामले को लेकर राजनीतिक दल भी मैदान में उतर चुके हैं. अब इस मामले पर सभी दल अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने में जुट गए हैं. क्योंकि, हल्द्वानी के इस क्षेत्र में करीब 40 हजार लोग रहते हैं, जो सीधे तौर पर चुनाव को प्रभावित करते हैं. वहीं, अतिक्रमण हटाने को लेकर प्रशासन की ओर से तमाम तैयारियां शुरू कर दी है.

अपने आशियाना उजड़ने को लेकर प्रभावित लोगों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. इन लोगों ने राज्य सरकार के खिलाफ हजारों की संख्या में कैंडल मार्च निकालकर अपना विरोध जताया है. इस कैंडल मार्च में महिलाओं के साथ ही बच्चे और बुजुर्ग भी शामिल हुए. जहां उन्होंने सरकार से अतिक्रमण न हटाए जाने की मांग की. साथ ही कहा कि अगर सरकार अतिक्रमण हटाना ही चाहती है तो सबसे पहले उनको विस्थापित किया जाए. अतिक्रमणकारियों का कहना है कि कड़ाके की ठंड में उन्हें बेघर नहीं किया जाना चाहिए. उनके पूर्वज कई दशकों से इस भूमि पर रह रहे हैं. अब रेलवे उनकी भूमि को अपना बता रही है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने तक अतिक्रमण न हटाने की मांग की है.
ये भी पढ़ें: हल्द्वानी में रेलवे की भूमि से अतिक्रमण हटाने का जोरदार विरोध, देखिए वीडियो

मामले को लेकर नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने सरकार पर जमकर निशाना साधा है. उन्होंने कहा रेलवे प्रकरण के प्रति सरकार के मन में खोट है. सरकार चाहती है कि किसी भी तरह से पीड़ितों को बेदखल कर दिया जाए. राज्य सरकार ने न्यायालय में अपना पक्ष सही तरीके से नहीं रखा, जिस वजह से हजारों लोग सर्दी के मौसम में बेघर होने की कगार पर हैं. रेलवे जिसको अपनी जगह बता रहा है, उस जगह पर कई जगह सरकारी स्कूल, फ्री होल्ड जमीन और सरकारी संपत्ति भी है. इसलिए राज्य सरकार को चाहिए कि वह उच्चतम न्यायालय में अपना पक्ष रखे. वही, उन्होंने कहा कांग्रेस पार्टी भी रेलवे प्रकरण से पीड़ित लोगों के साथ खड़ी है.

हल्द्वानी में रेलवे जमीन पर हुए अतिक्रमण मामले में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा सरकार को 40 हजार लोगों का संरक्षण करने की जरूरत है. राज्य सरकार एक तरफ लोगों को आशियाना देने का दावा करती है. वही, हल्द्वानी में 50 साल से रह रहे लोगों को बेघर करने की रेलवे द्वारा तैयारी हो रही है. जिस पर राज्य सरकार चुप्पी साधे बैठी है. उन्होंने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की है, ताकि लोग बेघर ना हो.

वही, कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव और पूर्व विधायक काजी निजामुद्दीन भी इस मुद्दे पर सरकार को घेरने में जुटे हैं. वो भी हल्द्वानी में बेघर किए जा रहे परिवारों का मसला उठाया है. उन्होंने कहा हल्द्वानी में करीब 4500 परिवार बेघर होने की कगार पर हैं, जो एक गंभीर विषय है. सरकार कहीं की भी हो, वो हर बेघर को घर देने की बात करती है, लेकिन यहां घरवालों को ही बेघर किया जा रहा है. उन्होंने सवाल उठाया कि पहले रेलवे 29 एकड़ जमीन बता रहा था, फिर 79 एकड़ जमीन रेलवे की कैसे हो गई.

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हल्द्वानी से हटाया जाएगा सबसे बड़ा अतिक्रमण.

इसके साथ ही काजी निजामुद्दीन ने कहा सालों से इस जमीन पर मंदिर, मस्जिद, स्कूल, ओवरहेड टैंक, धर्मशालाएं, दो सरकारी इंटर कॉलेज और सरकारी स्वास्थ्य केंद्र मौजूद है. अगर यह रेलवे की लैंड थी, तो राज्य सरकार ने उसे शत्रु संपत्ति कैसे घोषित कर दिया. शत्रु संपत्ति के नाम से राज्य सरकार ने संपत्ति को ऑक्शन किया. वह जमीन जिसने भी ली वह राज्य सरकार की जिम्मेदारी है.

इस मामले में भाजपा से नैनीताल सांसद और केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने कहा वह उच्चतम न्यायालय के आदेश का पालन करते हैं. लिहाजा आदेश के विपरीत नहीं जा सकते. सरकार को इस पूरे मामले का ज्ञान है. ऐसे में जो बेहतर होगा वो सरकार करेगी, लेकिन हाईकोर्ट के किसी भी निर्णय पर सवाल नहीं उठा सकते हैं. वही, कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने कहा जब मामला कोर्ट में हो तो उसपर बोलना ठीक नहीं है. लिहाजा जो कोर्ट का निर्णय होगा, वो मान्य होगा.

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हल्द्वानी अतिक्रमण मामले के मुख्य बिंदु.

हालांकि, भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष खजान दास का इस मामले में कुछ अलग ही राय है. दरअसल खजान दास के अनुसार सरकार उन सबको बसाने का काम करेगी. खजान दास ने कहा सरकार ने कोई ऐसा निर्णय नहीं लिया है और ना ही लेगी. लिहाजा सरकार सबको बसाने का काम करेगी. साथ ही कहा कि उत्तराखंड या फिर देश के किसी भी कोने में किसी ने जन्म लिया हो, उसका संरक्षण करना भी सरकार का दायित्व है.

Last Updated : Jan 3, 2023, 10:40 PM IST
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