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हरिद्वार में कांवड़ियों की भीड़ के बीच भी नाखुश हैं 70% व्यापारी, ये है कारण

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Published : Jul 23, 2022, 11:26 AM IST

Updated : Jul 23, 2022, 3:04 PM IST

करीब ढाई साल बाद हरिद्वार में एक बार फिर कांवड़ियों का भारी जमावड़ा लग रहा है. उम्मीद है कि इस बार कांवड़ मेले में दो से तीन करोड़ कांवड़िए गंगाजल भरने हरिद्वार आएंगे. इतनी बड़ी संख्या में कांवड़ियों के हरिद्वार आने के बावजूद हरिद्वार के व्यापारियों का एक बड़ा तबका कांवड़ मेले से शायद खुश नहीं है. व्यापारियों का कहना है कि इस मेले की अधिकतर कमाई बाहर के व्यापारी ले जाते हैं और कुछ फीसदी कमाई ही हरिद्वार के हाथ लगती है. देखिए रिपोर्ट...

Kanwar Mela 2022
कांवड़ मेला 2022

हरिद्वार: हरिद्वार के लोग श्रावण मास में होने वाली कावड़ यात्रा का इंतजार पूरे साल करते हैं. शहर का करीब 30 फीसदी व्यापारी वर्ग भी इस मेले को लेकर काफी उत्साहित नजर आता है. लेकिन बड़ी बात है कि करीब 70 फीसदी के व्यापारी इस मेले का कोई लाभ नहीं उठा पाते. हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि कावड़ के दौरान हरिद्वार के 70 फीसदी बाजार पर बाहर से आए लोगों का कब्जा हो जाता है. सिर्फ 10 दिन के कांवड़ मेले के लिए दूर-दूर से लोग कारोबार करने हरिद्वार में आते हैं.

बाजारों में स्थित दुकानों के बाहर अपना अस्थाई ठिया लगाकर व्यापार करते हैं और कांवड़ के सामान की कमाई का एक बड़ा हिस्सा बटोर लौट जाते हैं. शासन-प्रशासन को भी उम्मीद है कि इस बार के कांवड़ मेले में भी करीब तीन से चार करोड़ कांवड़िए हरिद्वार गंगा जल भरने आएंगे. इतनी बड़ी संख्या में कांवड़ियों के आने से अंदाजा लगाया जा सकता है कि कांवड़ का बाजार कई सौ करोड़ का होता है. लेकिन इस रकम में से कुछ ही रकम हरिद्वार के व्यापारियों की जेब तक पहुंच पाती है.

कांवड़ मेले में भी व्यापार मंदा !

कुंभ में भी नहीं आती इतनी भीड़: हरिद्वार का कुंभ मेला जब चलता है, तब उन चार से पांच महीनों में कुल आने वालों की संख्या भी बमुश्किल 4 करोड़ तक पहुंच पाती है, लेकिन सिर्फ 10 दिन तक चलने वाले कांवड़ मेले में इस बार प्रशासन को उम्मीद है कि 4 करोड़ के करीब कांवड़िया हरिद्वार गंगा जल भरने आएंगे.

10 दिन के लिए सजते हैं बाजार: कांवड़ मेले के दौरान जितनी भीड़ हरिद्वार आती है, अगर इसे देखते हुए हरिद्वार के तमाम व्यापारी कारोबार करें तो उन्हें अच्छा खासा मुनाफा हो. लेकिन हरिद्वार के 70 फीसदी से अधिक ऐसे व्यापारी हैं, जो कांवड़ के दौरान अपनी दुकानों पर ताले डाल दुकान के बाहर का हिस्सा किराए पर चढ़ा देते हैं और इसी जगह पर बाहर से आए दुकानदार अपनी अस्थाई दुकान लगाते हैं.
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वाहन पार्किंग स्थल भी बनता है व्यापार का बड़ा केंद्र: इतनी बड़ी संख्या में आने वाले कांवड़ियों के लिए हरिद्वार में जगह-जगह प्रशासन की ओर से पार्किंग स्थलों का अस्थाई निर्माण कराया जाता है. इन पार्किंग स्थलों में भी सैकड़ों की संख्या में अस्थाई दुकानें लगती हैं, जहां दूर-दूर से आए लोग दुकानें लगाकर मुनाफा कमाते हैं.

कांवड़ के लिए है 50 लाख का बजट: बीते 25 सालों में कांवड़ का स्वरूप हरिद्वार में काफी बदल गया है. जहां 25 साल पहले हजारों की संख्या में कांवड़िए हरिद्वार गंगा जल लेने आते थे. वहीं अब इनकी संख्या बढ़कर करोड़ों में हो गई है. इसके बावजूद अंतिम कांवड़ तक इतने बड़े मेले के लिए सरकार ने कोई बजट की व्यवस्था नहीं की. इस बार धामी सरकार ने कावड़ के लिए 50 लाख का बजट स्वीकृत किया है.

कई सौ करोड़ का होता है कारोबार: सरकार भले तीन से चार करोड़ कांवड़ियों के आने की उम्मीद लगा रही हो लेकिन यदि कांवड़ में दो करोड़ कांवड़िए भी गंगा जल भरने हरिद्वार पहुंचते हैं और एक कांवड़िया कम से कम हजार रुपए का सामान हरिद्वार के बाजारों से खरीदता है तो अंदाजा लगाया जा सकता है कि सिर्फ 10 दिनों में हरिद्वार के बाजारों में व्यापार करने वाले स्थाई व्यापारी हों या फिर अस्थाई, कितना पैसा उन तक पहुंच जाता है.

एक कांवड़िया दिन में खर्च कर देता है हजार रुपए: बढ़ती महंगाई के साथ जल भरने हरिद्वार आने वाले कांवड़ियों का खर्चा भी बढ़ता जा रहा है. कांवड़ियों की मानें तो वैसे तो एक कांवड़िया चाहे कितना भी पैसा हरिद्वार के बाजार में खर्च कर सकता है. लेकिन एक साधारण कांवड़िया भी कम से कम ₹1000 की खरीदारी करता है.

हरिद्वार के बड़े थोक व्यापारी सुरेश गुलाटी का कहना है कि हरिद्वार में करोड़ों कांवड़िये आते हैं लेकिन इससे सिर्फ 30 फीसदी व्यापारियों को ही लाभ होता है. क्योंकि 70 फीसदी व्यापारी कांवड़ से संबंधित सामान नहीं बेचते हैं. उन्होंने कहा कि यदि हरिद्वार के व्यापारियों को कांवड़ मेले का लाभ उठाना है सभी व्यापारियों को कांवड़ से संबंधित व्यापार करना होगा, जिससे उनको कांवड़ मेले का लाभ मिले.

गुलाटी का कहना है कि शासन-प्रशासन को कांवड़ मेले के दौरान सिर्फ हरिद्वार वालों को ही व्यापार करने की अनुमति देनी चाहिए. इस कांवड़ मेले के अंतिम दिनों में लाखों की संख्या में कांवड़ियों के आने की उम्मीद है. 10 दिन के मेले में ही करोड़ों रुपए का काम हो जाता है. पहली बार धामी सरकार ने इस मेले के लिए 50 लाख का बजट रखा है लेकिन अब मुख्यमंत्री से कांवड़ मेले का बजट बढ़ाए जाने की बात की जाएगी.

शहर व्यापार मंडल के महामंत्री अमन शर्मा का कहना है कि दो दिन पहले तक कांवड़ मेले से हरिद्वार का व्यापारी काफी मायूस था. अब दो दिन से जाकर हरिद्वार के बाजारों में कांवड़ियों की रौनक देखने को मिली है. उन्होंने कहा कि सरकार बात करती है कि कांवड़ मेले के दौरान चार करोड़ कांवड़िया आएगा और इतने बड़े मेले के लिए सरकार सिर्फ ₹50 लाख स्वीकृत करती है. उन्होंने कहा कि कांवड़ मेले में कुंभ से भी ज्यादा श्रद्धालु सिर्फ डेढ़ सप्ताह में हरिद्वार आ जाते हैं. ऐसे में सरकार को चाहिए कि यहां की व्यवस्थाओं के लिए और बजट बढ़ाए.

राजस्थान के अलवर जिले से कांवड़ लेकर अपने साथियों के साथ हरिद्वार पहुंचे रवि कुमार का कहना है कि दिन में खाने पीने, कपड़े आदि पर करीब एक से दो हजार रुपए तक खर्च हो जाते हैं, जबकि कांवड़ आज की तारीख में ₹1100 से शुरू होती है.

कांवड़ की व्यवस्थाओं को लेकर कांवड़ियों का कहना है कि इससे पहले जब वे कांवड़ लेने आए थे तो कांवड़ का माहौल इतना शांत नहीं था. इस बार कांवड़ का माहौल हरिद्वार में काफी शांत है. प्रशासन की ओर से कांवड़ियों के लिए अच्छी व्यवस्था की गई है.

Last Updated : Jul 23, 2022, 3:04 PM IST
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