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मॉनसून की दस्तक के साथ ही सक्रिय हुए शिकारी, वन विभाग ने चलाया विशेष गश्त अभियान

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Published : Jun 20, 2022, 3:28 PM IST

Updated : Jun 20, 2022, 5:22 PM IST

मॉनसून सीजन में जंगल और वन्यजीवों की सुरक्षा वन विभाग के लिए किसी चुनौती से कम नहीं होती है. दरअसल इस दौर में प्राय: शिकारियों की घुसपैठ बढ़ने लगती है. इसी को ध्यान में रखते हुए राजाजी नेशनल पार्क की तीनों रेंज चीला, गोहरी और रवासन में संयुक्त टीमों ने मॉनसून पेट्रोलिंग शुरू कर दी है.

Monsoon patrolling  started
Monsoon patrolling started

हरिद्वार: उत्तराखंड में मॉनसून की दस्तक के साथ ही शिकारी भी सक्रिय हो जाते हैं और राजाजी नेशनल पार्क में घुसने की फिराक में रहते हैं. शिकारियों की इस सक्रियता को देखते हुए राजाजी नेशनल पार्क की तीनों रेंज चीला, गोहरी और रवासन में संयुक्त टीमों ने मॉनसून पेट्रोलिंग शुरू कर दी है. हाथियों के साथ सुबह पांच बजे शुरू हुई गश्त राजाजी के मुंढाल सेंटर पर पहुंची.

दरअसल, हर साल देखने में आता है कि गंगा तटीय क्षेत्रों से शिकारी राजाजी नेशनल पार्क में घुसने का प्रयास करते हैं. सबसे ज्यादा संवेदनशील चीला व गौहरी रेंज को माना जाता है. इसके साथ ही लैंसडाउन वन प्रभाग से सटी रवासन यूनिट को भी संवेदनशील माना जाता है. ऊंची पहाड़ियां होने के चलते यह क्षेत्र विषम परिस्थितियों से भरा है, जिसके चलते यहां पर गश्त करना महकमे के लिए हमेशा टेढ़ी खीर रहा है.

वन विभाग ने चलाया विशेष गश्त अभियान
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मॉनसून में विशेष सतर्कता: चीला और गोहरी रेंज हरिद्वार व ऋषिकेश के बीच मुख्य मार्ग से जुड़ी हुई है. इस मार्ग पर अक्सर वाहनों की आवाजाही बनी रहती है. साल भर चलने वाली नियमित पेट्रोलिंग के साथ ही मॉनसून के दौरान इस क्षेत्र में पार्क महकमा विशेष सतर्कता बरतता है. मॉनसून गश्त को लेकर महकमे ने कई तैयारियां की हैं.

हर रेंज में कई युवा कर्मियों की चार-चार टीमें बनाई गई हैं. हर टीम में 10 लोगों को रखा गया है. ये युवा वनकर्मी समय-समय पर रोटेशन के तहत गश्त कर उसका ब्यौरा मुख्यालय को सौपेंगे. चीला रेंज के वन क्षेत्राधिकारी अनिल पैन्यूली ने बताया कि राजाजी बाघों के गढ़ के रूप में भी विख्यात है. मॉनसून में विभाग विशेष रणनीति के तहत कार्य करते हैं. वन्यजीव संरक्षण व संवर्धन ही विभाग की पहली प्राथमिकता है.

Monsoon patrolling
वन विभाग ने चलाया विशेष गश्त अभियान

राजाजी की रवासन यूनिट के वन क्षेत्राधिकारी प्रमोद ध्यानी ने बताया कि गोहरी रेंज के आसपास आबादी का दबाव अधिक है. उनकी तरफ से मॉनसून गश्त की तैयारी पूरी कर ली गई है. नियमित पेट्रोलिंग के साथ ही औचक पेट्रोलिंग भी की जाएगी. वन्यजीवों को बचाने के साथ ही वन क्षेत्रों की रक्षा हमारी जिम्मेदारी है. हमारा अधिकतर क्षेत्र पहाड़ी होने के साथ ही लैंसडाउन वन प्रभाग से जुड़ा हुआ है. इस क्षेत्र में बाघ, भालू सहित कई शेड्यूल वन के प्राणी वास करते हैं. मॉनसून में यहां के हालात और भी विषम हो जाते हैं. इसको लेकर विशेष सतर्कता अभियान चलाया जा रहा है.
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वन्यजीवों की सुरक्षा चुनौती: बता दें कि मॉनसून सीजन में जंगल और वन्यजीवों की सुरक्षा वन विभाग के लिए किसी चुनौती से कम नहीं होती है, क्योंकि इस दौर में प्राय: शिकारियों की घुसपैठ बढ़ने लगती है. जंगल के अंदर कच्चे रास्तों पर बारिश का पानी भरने से गश्त करने वाले कर्मियों के लिए जंगल के चप्पे-चप्पे की निगरानी रखने में मुश्किलें आती हैं. इसलिए गश्त में हाथी का इस्तेमाल किया जा रहा है. वन संपदा एवं वन्यजीवों की सुरक्षा तथा संरक्षण के लिहाज से बरसात के मौसम में वन कर्मियों की गश्त में मुश्किलें आने लगती हैं.

Monsoon patrolling
हाथियों पर गश्त करती टीम.

बरसात के दिनों में जंगल के अंदर पानी भरने से रास्ते दलदल हो जाते हैं. ऐसे में वन विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों के लिए वाहनों के माध्यम से जंगल में गश्त करने में दिक्कतें आने लगती हैं. इसीलिए मॉनसून की दस्तक के साथ ही शिकारियों की गतिविधियां बढ़ने लगी हैं. ऐसे में वन विभाग की ओर से मॉनसून सीजन के दौरान गश्त को प्रभावी बनाने के लिए विशेष रणनीति तैयार की जाती है. यह व्यवस्था 15 जून से लेकर 15 अक्टूबर तक लागू चलती है.

Last Updated : Jun 20, 2022, 5:22 PM IST
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