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ये कैसी गंगा स्वच्छता? कांवड़ मेले के 6 महीने बाद भी नहीं हुई साफ-सफाई

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Published : Nov 9, 2019, 10:34 AM IST

Updated : Nov 9, 2019, 10:53 AM IST

डामकोठी के पास बने गेट में आज भी फंसी हुई कांवड़ बयां कर रही है कि प्रशासन अपनी जिम्मेदारी कैसे निभा रहा है. समाजसेवी जेपी बडोनी का कहना है कि राज्य में गंगा के लिए कोई ठोस कानून नहीं है.

gangaकांवड़ मेले के 6 महिने बाद भी नहीं हुई कोई साफ-सफाई.

हरिद्वार: जिले में हर साल कांवड़ जैसे विशाल मेले का आयोजन होता है. करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु गंगाजल लेने हरिद्वार आते हैं. कांवड़ मेले के बाद हरिद्वार में घाट समेत गंगा की साफ सफाई की जिम्मेदारी प्रशासन की होती है, मगर जिले के डामकोठी के पास बने गेट में आज भी फंसी हुई कांवड़ बयां कर रही है कि प्रशासन अपनी जिम्मेदारी कैसे निभा रहा है.

कांवड़ मेले के 6 महीने बाद भी नहीं हुई कोई साफ-सफाई.

डामकोठी के पास गंगा में कांवड़ फंसी हुई है, कांवड़ मेला बीते हुए 6 महीने हो गए हैं और अभी गंगा की साफ सफाई के लिए की जाने वाली वार्षिक गंगा बंदी भी की गई मगर इस ओर किसी भी अधिकारी का ध्यान तो गया नहीं बल्कि गंगा स्वच्छता का दम भरने वाली समाजसेवी संस्थाओं को भी ये कांवड़ नहीं दिखी.

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बीइंग भगीरथ के नाम से गंगा स्वछता के लिए बनी संस्था के संयोजक ने इसका ठीकरा सिंचाई विभाग के सिर फोड़ दिया. उन्होंने कहा कि गंगा बंदी के दौरान सिंचाई विभाग ने कुछ नहीं किया. हालांकि, उन्होंने अपनी संस्था द्वारा सफाई के भरपूर प्रयास करने की बात जरूर कही. वहीं, हरिद्वार के समाजसेवी इसके लिए राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं.

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समाजसेवी जेपी बडोनी का कहना है कि राज्य में गंगा के लिए कोई ठोस कानून नहीं है. गंगा की सफाई और घाटों की मरम्मत के लिए गंगा बंदी की जाती थी, लेकिन अब गंगा बंदी के मायने बदल गए हैं. उन्होंने कहा कि अब गंगा के दोहन के लिए गंगाबन्दी की जाती है. गंगा बंदी के दौरान हरिद्वार में कोई सफाई का काम नहीं किया जाता. उन्होंने आरोप लगाया कि हरिद्वार की तमाम सामाजिक संस्था जो गंगा की सफाई का दावा करती हैं, वो सिर्फ फोटो खिंचाने तक सीमित रह गई है.

Intro:एंकर:- धर्मनगरी हरिद्वार में हर साल कांवड जैसे विशाल मेले का आयोजन होता। लाखो नही करोड़ो की संख्या में श्रद्धालु कांवड़ और गंगाजल लेने हरिद्वार आते है। कांवड़ मेले के बाद हरिद्वार में घाट समेत गँगा की साफ सफाई की जिम्मेदारी प्रशासन की होती है, मगर हरिद्वार के डामकोठी के पास बने डाम्म में आज भी फसी हुई कांवड़ बयाँ कर रही है कि प्रशासन अपनी जिम्मेदारी कैसे निभा रहा है।

Body:वीओ1:- डामकोठी के पास गँगा में कांवड़ फसी हुई है, कांवड़ मेला बीते हुए 6 महीने हो गए है और अभी गँगा की साफ सफाई के लिए की जाने वाली वार्षिक गँगा बंदी भी की गई मगर इस और किसी भी अधिकारियों का ध्यान तो गया नही बल्कि गँगा स्वच्छता का दम भरने वाली समाजसेवी संस्थाओं को भी ये कांवड़ नही दिखी। बीइंग भगीरथ के नाम से गँगा स्वछता के लिए बनी संस्था के संयोजक से भी इस मामले पर कुछ कहते नही बनता। उन्हीने भी इसका ठीकरा सिंचाई विभाग के सिर फोड़ दिया। उन्होंने कहा कि गँगा बंदी के दौरान सिंचाई विभाग ने कुछ नही किया। हालांकि उन्होंने अपनी संस्था द्वारा सफाई के भरपूर प्रयास करने की बात जरूर कही।


वीओ2:- वही हरिद्वार के समाजसेवी इसके लिए राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहराते है। समाजसेवी जेपी बडोनी का कहना है कि राज्य में गंगा के लिए कोई ठोस कानून नही है। गँगा की सफाई और घाटों की मरम्मत के लिए गँगा बंदी की जाती थी लेकिन अब गँगा बंदी के मायने बदल गए है। अब गँगा के दोहन के लिए गंगाबन्दी की जाती है। गँगा बंदी के दौरान कोई सफाई का काम हरिद्वार में नही किया जाता। केवल खनन करके गँगा का दोहन किया जाता है। इस बार उन्होंने इस पर ओरी नजर बनाए रखी हो अवैध खनन नही हो पाया। उन्होंने आरोप लगाया कि हरिद्वार की तमाम सामाजिक संस्था जो गँगा की सफाई का दावा करती है वो सिर्फ फ़ोटो खींचना तक सीमित रह गई है। धरातल पर कोई काम दिखाई नही देता।
Conclusion:बाइट:- शिखर पालीवाल, संयोजक, बीइंग भगीरथ, हरिद्वार
बाइट:- जेपी बडोनी, समाजसेवी, हरिद्वार
Last Updated : Nov 9, 2019, 10:53 AM IST
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