ऋषिकेश: एम्स ऋषिकेश में वर्ल्ड एंटीमाइक्रोबियल अवेयरनेस वीक के अंतर्गत एक कार्यक्रम आयोजित किया गया. जिसमें विभिन्न विभागों के विशेषज्ञ चिकित्सकों ने एंटीबायोटिक दवाओं के बेवजह इस्तेमाल से बचने और इन दवाओं को चिकित्सक की सलाह पर ही लेने पर जोर दिया. उन्होंने बताया कि हरेक बीमारी में बिना जरूरत के एंटीबायोटिक दवाओं का इस्तेमाल जनस्वास्थ्य के लिए घातक हो सकता है.
निदेशक एम्स प्रोफेसर रविकांत की देखरेख में आयोजित सप्ताहव्यापी जागरूकता कार्यक्रम के अंतर्गत विभिन्न विभागों के चिकित्सकों ने एंटीबायोटिक दवाओं के दुरुपयोग व सही इस्तेमाल पर व्याख्यान दिए. गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. रोहित गुप्ता ने अपने विभाग में हो रहे एंटीबायोटिक्स के इस्तेमाल के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि उनके पास पेट की बीमारी को लेकर जो भी मरीज आते हैं. उन्हें एकदम एंटीबायोटिक शुरू नहीं किया जाता. उन्होंने बताया कि डायरिया होने पर एंटीबायोटिक का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए, क्योंकि अधिकतर इन्फेक्शन वायरस की वजह से होते हैं.
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इसलिए सबसे पहले कल्चर करना जरूरी है. पैंक्रियास और लीवर की बीमारी में भी इसका प्राथमिक अवस्था में इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. इसलिए कोई भी एंटीबायोटिक कल्चर किए बिना नहीं देना चाहिए.सामुदायिक और पारिवारिक चिकित्सा विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. संतोष कुमार ने बताया कि हमें इस विषय पर समाज में जागरूकता अभियान चलाने की आवश्यकता है.
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जिसके अंतर्गत लोगों को सफाई का विशेष ध्यान रखने व एंटीबायोटिक्स के अनावश्यक इस्तेमाल को रोकने के बारे में जागरूक कराना जरूरी है. भारत सरकार द्वारा दिए गए स्वच्छ भारत मिशन और कायाकल्प के अंतर्गत भी लोगों में जागरूकता फैलानी चाहिए. प्राथमिक चिकित्सक एवं परिवार चिकित्सक की भूमिका के बारे में उन्होंने बताया कि वह लोगों के ज्यादा करीब होते हैं. इसलिए उनका इसमें योगदान बेहद अहम है.