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उत्तराखंड में पैक्स समितियों को किया जा रहा कंप्यूटरीकृत, पूरे देश में उत्तराखंड अव्वल

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Published : Jul 2, 2022, 5:05 PM IST

Updated : Jul 2, 2022, 8:37 PM IST

उत्तराखंड में पैक्स समितियों को कंप्यूटरीकृत किया जा रहा है. राज्य में अब तक ऐसी 100 समितियां हैं, जिनको ऑनलाइन किया जा चुका है. इस तरह इस क्षेत्र में उत्तराखंड देश का अग्रणी राज्य बन गया है. प्रदेश में कुल 647 पैक्स समितियां हैं. ये समिति किसानों को बीज, खाद और कम ब्याज पर ऋण उपलब्ध कराती हैं.

उत्तराखंड पैक्स
उत्तराखंड पैक्स

देहरादून: केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने जिस योजना को हाल ही में केंद्रीय कैबिनेट से मंजूरी दिलाई, उत्तराखंड में उस योजना पर साल 2019 से ही काम जारी है. मामला किसानों को पारदर्शी ऋण सुविधा देने से जुड़ा है. जिसके लिए सहकारिता क्षेत्र में ऋण की सबसे छोटी इकाई PACS को ऑनलाइन किया जा रहा है. खास बात यह है कि राज्य में अब तक ऐसी 100 समितियां हैं, जिनको ऑनलाइन किया जा चुका है. इस तरह इस क्षेत्र में उत्तराखंड देश का अग्रणी राज्य बन गया है.'

कृषि सेक्टर में छोटे और सीमांत किसानों को मजबूत करने के लिए PACS (Primary Agricultural Credit Society) का एक बड़ा योगदान है. PACS यानी प्राथमिक कृषि ऋण समितियां, जो देशभर में ऋण के रूप में सबसे छोटी इकाइयां है और किसानों को इसके माध्यम से प्रोत्साहित किया जाता है. हालांकि, प्राथमिक कृषि ऋण समितियों के कार्य को पारदर्शी बनाए जाने की दिशा में अब प्रयास शुरू किए गए हैं.

उत्तराखंड में पैक्स समितियों को किया जा रहा कंप्यूटरीकृत.

यूं तो हाल ही में केंद्रीय कैबिनेट इन समितियों को कंप्यूटरीकृत करने की मंजूरी दी है. लेकिन उत्तराखंड ने साल 2019 में ही प्रदेश के सभी प्राथमिक कृषि ऋण समितियों को कंप्यूटरीकृत करने का फैसला ले लिया था. अच्छी बात यह है कि अबतक प्रदेश में 100 PACS कंप्यूटर ठीक हो चुके हैं. सहकारिता सचिव बीवीआरसी पुरुषोत्तम कहते हैं कि प्रदेश में कुल 675 PACS हैं, जहां कंप्यूटराइजेशन किया जाएगा.

बता दें, देश भर में कुल 63 हजार समितियां हैं, जिन्हें कंप्यूटरीकृत करने और ढांचागत विकास के लिए ₹2516 करोड़ की लागत आएगी, जिसके लिए केंद्र की तरफ से मंजूरी दी जा चुकी है. इन समितियों के माध्यम से करीब 13 करोड़ छोटे और सीमांत किसान लाभान्वित होते हैं.

उत्तराखंड पैक्स
उत्तराखंड में पैक्स समितियों को किया जा रहा कंप्यूटरीकृत.
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PACS यानि प्राथमिक कृषि ऋण समितियां, जिनके किसान सदस्य होते हैं. सहकारिता में यह सबसे छोटी ऋण इकाई है, जो ग्राम स्तर पर होती है. PACS का गठन किसानों को साहूकारों के चंगुल से बचाए रखने के लिए किया गया था. इस समितियों के माध्यम से किसानों को सस्ता ब्याज मिलता है. समितियों के माध्यम से किसानों को खाद, बीज और दवाइयों मिलती हैं. समितियों के माध्यम से फसल लोन मिलना भी आसान होता है. साथ ही समय से कर्ज चुकाने पर ब्याज में भी छूट मिलती है. कृषि संयंत्र खरीदने के लिए किसानों को 20 लाख रुपए तक की राशि मिलती है.

उत्तराखंड सहकारिता विभाग ने साल 2019 में ही इस को मंजूरी देते हुए प्रदेश भर की 100 समितियों में कंप्यूटराइजेशन का काम पूरा कर लिया है, जिसका जल्द ही शुभारंभ किया जाएगा. इसी दिशा में आगे बढ़ते हुए सहकारिता विभाग इन समितियों को केवल कृषि सेक्टर तक ही सीमित ना रखते हुए बाकी क्षेत्रों में भी आगे बढ़ा रही है. इसके लिए राज्य के 103 PACS चिन्हित किए गए हैं, जिसके लिए पहले चरण में नाबार्ड के तहत प्रोजेक्ट दिए जा रहे हैं.
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इसके लिए बोर्ड से भी मंजूरी ली जा रही है. इसके तहत PACS की स्थितियों को देखते हुए उन्हें मजबूत करने की दिशा में काम किया जा रहा है. इसी के तहत मल्टीपर्पज शॉपिंग कॉम्प्लेक्स (Multipurpose Shopping Complex) उत्तरकाशी में भी बनाने को मंजूरी मिली है, जिसमें गेस्ट हाउस भी बनाया जाएगा, ताकि इन समितियों को मजबूत करते हुए किसानों की आय को बढ़ाया जा सके.

देश में छोटे और सीमांत किसानों के लिए कृषि ऋण समितियां किसी बड़े वरदान से कम नहीं है. इन सभी चीजों को मजबूत करने के लिए उत्तराखंड सरकार ने जिस तरह अलग-अलग योजनाओं के तहत विभिन्न क्षेत्रों में इन्हें आगे बढ़ाने और आमदनी दोगुना करने समेत पारदर्शी व्यवस्था कायम करने की कोशिश की है. उसका असर भविष्य में भी किसानों की आय को लेकर दिखाई देगा.

Last Updated : Jul 2, 2022, 8:37 PM IST
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