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9 अगस्त को परेड ग्राउंड देहरादून से मुख्यमंत्री आवास कूच करेंगे राज्य आंदोलनकारी, ये होंगी मांगें

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Published : Aug 2, 2023, 7:32 PM IST

Updated : Aug 2, 2023, 7:55 PM IST

Uttarakhand state agitators सशक्त भू कानून मूल निवास जैसे मुद्दों को लेकर राज आंदोलनकारियों ने मुख्यमंत्री आवास का कूच करने का फैसला लिया है. इस दौरान राज्य आंदोलनकारी प्रदेश में सशक्त भू कानून बनाने, मूल निवास 1950 और धारा 370 की मांग उठाएंगे.

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मुख्यमंत्री आवास कूच करेंगे राज्य आंदोलनकारी

देहरादून: राज्य आंदोलनकारी मंच ने 9 अगस्त को परेड ग्राउंड देहरादून से मुख्यमंत्री आवास कूच किए जाने का आह्वान किया है. इस दौरान राज्य आंदोलनकारी मंच के कार्यकर्ता प्रदेश में सशक्त भू कानून बनाने, मूल निवास 1950 और धारा 370 की मांग उठाएंगे. राज्य आंदोलनकारियों का कहना है कि पहाड़ी जिलों में बाहरी लोग अतिक्रमण कर रहे हैं. इससे यहां आपराधिक गतिविधियां भी बढ़ रही हैं और हमारी संस्कृति और पहचान भी खतरे में पड़ गई है.

राज्य आंदोलनकारी मंच के जिलाध्यक्ष प्रदीप कुकरेती का कहना है कि उत्तराखंड राज्य बनने के 23 साल बाद भी आज राज्य के मूल निवासियों को कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है. उल्टा राज्य के मूल निवासियों को नुकसान उठाना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि जल जंगल और जमीन जो हमारी मुख्य पूंजी है उसे एक साजिश के तहत बाहरी तत्वों द्वारा सरकारी संरक्षण में कब्जा किया जा रहा है. ऐसे में सरकारी सेवाओं में बाहरी लोगों को धनबल के चलते नियुक्तियां भी मिल रही हैं और यहां का मूल निवासी बेरोजगार हो रहा है.

उन्होंने प्रदेश में सशक्त भू कानून लागू किए जाने की पैरवी करते हुए कहा कि पूरे हिमालयी राज्यों में वहां के मूल निवासियों के लिए विशेष कानून है, लेकिन उत्तराखंड में सरकार ने इस तरह की कोई व्यवस्था नहीं की है. राज आंदोलनकारियों का कहना है कि उत्तराखंड के मूल निवासियों के अधिकार सुरक्षित रहें और उस राज्य के शहीदों के सम्मान के अनुरूप यह राज्य बन पाए, इसलिए प्रदेश में भू कानून, मूल निवास 1950 और धारा 371 का कानून लाना जरूरी हो गया है.

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दरअसल राज्य गठन में अपनी अहम भूमिका निभाने वाले राज्य आंदोलनकारियों का कहना है कि यह प्रदेश देश का ऐसा राज्य है, जिसका अपना कोई भू कानून नहीं है और राज्य स्थापना के समय से उत्तराखंड में भू कानून के रूप में उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश अधिनियम 1950 लागू रहा है. यह अधिनियम मुख्य रूप से जमीनों पर एकाधिकार को खत्म करने और जमीदारी विनाश के उद्देश्य से बनाया गया था, लेकिन राज्य गठन के बाद सरकार की तरफ से कोई प्रयास नहीं किया गया, बल्कि उल्टे 2018 में अधिनियम में ऐसे संशोधन कर दिए गए. जिससे उस अधिनियम की आत्मा ही खत्म हो गई. इस संशोधन से औद्योगिक विकास के नाम पर देश में कहीं का भी कोई भी पूंजीपति राज्य में जितनी भी चाहे जमीन खरीद सकता है.

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Last Updated : Aug 2, 2023, 7:55 PM IST
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